Monday, June 30, 2025

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हजारीबाग जमीन घोटाला: पूर्व डीसी विनय चौबे समेत तीन पर एसीबी ने मांगी प्राथमिकी की अनुमति, ट्रस्ट की जमीन निजी लोगों को देने का आरोप

रांची: हजारीबाग जिले में 2.75 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े एक गंभीर मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अपनी प्रारंभिक जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। जांच में तत्कालीन उपायुक्त (डीसी) विनय कुमार चौबे, तत्कालीन खासमहाल पदाधिकारी और दो पावर ऑफ अटॉर्नी धारकों विजय सिंह एवं सुधीर कुमार की भूमिका संदेहास्पद पाई गई है। एसीबी ने इन तीनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह जमीन खासमहाल और एक ट्रस्ट की संपत्ति थी, जिसे नियमों और उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर वर्ष 2008 से 2010 के बीच निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया। जांच में सामने आया है कि तत्कालीन डीसी विनय चौबे ने ट्रस्ट का नाम जानबूझकर आवेदन से हटवा दिया, जिससे उक्त भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर मनमाने ढंग से 23 निजी लोगों को बांटा जा सके।

एसीबी को जांच के दौरान यह भी जानकारी मिली कि उक्त भूमि वर्ष 1948 में एक ट्रस्ट को 30 वर्षों के लिए लीज पर दी गई थी और इसकी लीज 2008 में नवीनीकरण भी हुई थी। इसके बावजूद षड्यंत्र के तहत इसे सरकारी भूमि घोषित कर दिया गया और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से इसे आवंटित किया गया। इस प्रक्रिया में विजय सिंह और सुधीर कुमार के नाम पर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर भूमि की बिक्री की कोशिश की गई।

हाईकोर्ट ने वर्ष 2005 में आदेश दिया था कि ट्रस्ट की भूमि को किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बावजूद तत्कालीन राजस्व विभाग और डीसी के आदेश पर कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए ट्रस्ट की भूमि निजी लाभ के लिए आवंटित की गई। एसीबी की रिपोर्ट में इसे सुनियोजित साजिश करार दिया गया है।


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