होली हो तो पटना की चप्पलमार होली
Patna– आपने होली तो बहुत खेली होगी, बृज की लठमार होली,
मथुरा की फूलों की होली और भी न जाने कितने रंगों-बेरंगों की होली.
लेकिन एक होली और भी है, जिसकी चर्चा अब तक कम ही होती रही है.
शायद इसका कारण हम बिहारियों का वह शर्मिला स्वभाव है,
जो किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अपने गुणों के बखान से हमें रोकता है,
यही कारण है कि हम अपनी मेरिट की चर्चा भी जरा दबे जुबान से ही करते हैं.
लेकिन जब मौका मिल जाय तब बिहारी कहां रुकता है.
अपनी इसी खासियत से बिहारी किसी को भी किसी भी मौके पर पसीना छुड़ा देता है.
भले ही वह मौका होली के हुड़दंग का ही क्यों नहीं हो.
चप्पलों के भी छुटे पसीने, धरती के चप्पल का आसमान की सैर
लेकिन यहां जो पसीना छुट् रहा है वह किसी और का नहीं बल्कि उस चप्पल का है,
जिसे पहना तो आम रुप से पैर में जाता है, लेकिन वक्त की जरुरतों के हिसाब से इसके और भी कई उपयोग-सदुपयोग हम बिहारी करते आ रहे हैं.
दरअसल यह पूरा मामला है राजधानी पटना के सम्पतचक के वाटर पार्क में होली के हुड़दंग का,
जहां पैर चप्पल में नहीं या यों कहें कि चप्पल पैर में नहीं वह तो हवा में उड़ रहा है, वह चप्पल हवा में उड़़ रहा है,
जिसकी हिफाजत के लिए हम बिहारी अपनी जान लड़ा देते हैं.
पानी से भरे इस वाटर पार्क मे जब चप्पलें चलने लगी तो आयोजकों को रोकने के लिए एयर गन से हवाई फायरिंग करनी पड़ी, तब जाकर मामला शांत हुआ .
सम्पतचक के वाटर पार्क में होली को लेकर कई दिनों से स्पेशल प्रोग्राम चल रहा था.
पूरे वाटर पार्क को होली थीम से सजाया गया था. पार्क रंग भरे पानी से लबा-लब था.
दोस्तों ने की चप्पल फेंकने की शुरुआत
इस बीच कुछ दोस्तों ने वहां मौजूद अपने दोस्तों पर चप्पल फेंकने की शुरुआत की,
लेकिन उसके बाद देखते देखते चप्पलों की बारिश होने लगी, दाएं चप्पल बांए चप्पल, जिधर देखों उधर चप्पल. कोई भी अपना चप्पल पहनने को तैयार नहीं था.
माहौल को शांत करने के लिए आयोजकों ने हवाई फायरिंग करनी शुरु कर दी.
बताया जा रहा है कि पार्क में करीबन 1500 लड़कों की हुड़दंगी टोली थी. जिनके हुंड़दंग के आगे सिस्टम भी लाचार नजर आ रहा था.
रिपोर्ट- शक्ति
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