शिक्षकों की भूमिका आज भी व्यावहारिक – जिलाधिकारी

शिक्षकों की भूमिका आज भी व्यावहारिक - जिलाधिकारी

बेतिया : बेतिया जिला प्रशासन द्वारा आज यानी पांच सितंबर शिक्षक दिवस के अवसर पर समाहरणालय सभाकक्ष में शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 10 गुरुजनों को प्रशस्ति पत्र, मोमेंटों, पौधा, किताब देकर सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने विधिवत दीप प्रज्जवलित कर शिक्षक सम्मान समारोह का शुभारंभ किया। इसके पूर्व डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के चित्र पर जिलाधिकारी और उप विकास आयुक्त सुमित कुमार सहित अन्य उपस्थित अधिकारियों एवं शिक्षकों द्वारा माल्यार्पण किया गया।

उत्कृष्ट कार्य करने वाले उमवि परसौनी की शिक्षका अर्चना राय, उमावि तमकुहवा के शिक्षक मुन्ना प्रसाद, प्रावि सिसवनिया के शिक्षक अरुण कुशवाहा, प्रावि पोखरा टोला की शिक्षिका संगीता कुमारी, प्रावि बखरी उर्दू की शिक्षिका प्रीति कुमारी, जनता उच्च विद्यालय सिकटा के शिक्षक विकास कुमार लाल, प्रावि नुनिया टोला के शिक्षक मनीष कुमार, प्रावि नवका टोला के शिक्षक युजीनिया पीटर मिंज, मवि समधवा के शिक्षक विजय कुमार एवं मवि नौतन की शिक्षिका सुचिता रानी को जिला प्रशासन द्वारा प्रशस्ति पत्र, मोमेंटों, शॉल, पौधा और किताब देकर सम्मनित किया गया।

जिलाधिकारी दिनेश कुमार राय ने अपने वक्तव्य की शुरुआत शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं सब को देकर की। शिक्षकों के योगदान को उन्होंने सराहा और कहा कि बच्चों को अच्छी शिक्षा, संस्कार और अनुशासन देकर शिक्षक योग्य बनाते हैं। विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति और समाज का ज्ञान शिक्षक ही करवाते हैं। इतिहास गवाह रहा है की जब-जब समाज भटकाव की राह पर होता है तो शिक्षक की उसे सही रास्ता दिखाते हैं। समाज की मुख्य धारा से भटके लोगों को रास्ता बताने का काम शिक्षक ही करते हैं। शिक्षक की ख़्वाहिश होती है कि हर बच्चा अच्छा करें। समाज में विगत वर्षों में बहुत बदलाव आया है फिर भी शिक्षकों की भूमिका आज भी व्यावहारिक बना हुआ है। व्यक्ति चाहे किसी पद पर आसीन हो उसके पीछे कोई न कोई शिक्षक ही है। अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का काम शिक्षकों के द्वारा ही होता है। अज्ञानता से ज्ञान की ओर जाकर शिक्षक पथ प्रदर्शक की भूमिका अदा करते हैं।

भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति साथ ही भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक सर्वेपल्लि राधाकृष्णन का उदाहरण देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि किसी के लिए भी इनका जीवन उदाहरण हो सकता है। एक शिक्षक से देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचना अद्वितीय उदाहरण है। शिक्षा का महत्व ही है कि सरकार के प्राथमिकताओं में हमेशा रहा है। इसके लिए अच्छा-खासा बजट का भी हर साल प्रावधान होता है। वर्तमान में संसाधन की कोई कमी नहीं है। सरकार का पूरा जोर शिक्षा क्षेत्र पर है।आने वाला भविष्य और भी उज्जवल होगा इसकी पूरी संभावना है।

कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से मुस्कुराकर जिलाधिकारी ने कहा कि आप लोग अच्छे से पढ़ाई करें आपके माता-पिता काफ़ी मेहनत से आप लोगों को पढ़ाते हैं।देश का भविष्य आप लोगों पर निर्भर है। आप अच्छा करेंगे तो जिला और राज्य का नाम रोशन होगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने सभा कक्ष में मौजूद तमाम लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा जिलाधिकारी का आदेश होगा उसे अक्षरशः पालन किया जाएगा। आपका मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहता है और हम लोग उससे काफ़ी लाभान्वित होते हैं। उन्होंने बताया कि पहले जहां स्कूल में बच्चों की 52 प्रतिशत उपस्थिति रहती थी वह अब बढ़कर 76 प्रतिशत हो गई है। बच्चे अच्छा कर रहे हैं। कई अवार्ड हमारे जिले में आए है। मझौलिया अंचल के विशंभरपुर पंचायत के प्राथमिक विद्यालय अगरवा जगन्नाथपुर में पदस्थापित शिक्षिका उषा कुमारी को शिक्षक दिवस पर राजकीय पुरस्कार के लिए चुना जाना पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है।

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उप विकास आयुक्त सुमित कुमार ने कहा कि शिक्षक देश का भविष्य लिखते है। शिक्षा विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है। अक्सर देखा गया है कि बच्चे पढ़-लिख कर डॉक्टर-इंजीनियर बनना चाहते हैं। ऐसा कम देखा जाता है कि बच्चे शिक्षक बनना चाहते हो। जबकि विदेश में ऐसा नहीं है।इसलिए अच्छा शिक्षक बनना भी एक आदर्श करियर हो सकता है। शिक्षक सम्मान समारोह में असलम कौव्वाल एवं अनिल कुमार शर्मा द्वारा बिहार गीत प्रस्तुत किया गया। तबला पर इनका साथ सत्यम मिश्रा ने दिया। असलम कौव्वाल द्वारा सूफी गीत की प्रस्तुति दी गई, जिसे काफी सराहा गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी और पश्चिम चंपारण द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।

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दीपक कुमार की रिपोर्ट

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