नवादा : नवादा जिले के कौआकोल प्रखंड के बरौन में 10 वर्ष पूर्व बने मॉडल विद्यालय में विभाग के अनदेखी के कारण ताला लटका रहता है। 2014-15 में लगभग एक करोड़ 38 लख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए इस विद्यालय में आज तक ना तो एक शिक्षक की पदस्थापना हो सकी है और ना ही छात्रों का नामांकन हो सका है। लिहाजा यह भवन सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह रहा है। सब मिलकर कहे तो कौआकोल का यह एकमात्र प्रखंड स्तरीय मॉडल स्कूल का भवन बिना छात्र और शिक्षक के यूं ही धूल पक रहा है।
आपको बता दें कि भवन निर्माण के इतने लंबे अरसे बीत जाने के बावजूद भी इस भवन में किसी स्कूल को शिफ्ट नहीं करने के पीछे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही है। आखिर इतनी बड़ी रकम से इस तीन मंजिले भवन का किस उद्देश्य से निर्माण किया गया है। लोगों को पता तक नहीं चल पा रहा है। जबकि इस भवन के बगल में ही बुनियादी विद्यालय का भवन है जहां काफी संख्या में छात्र-छात्राएं अध्यायनरत है। शिक्षकों की संख्या भी सिर्जित पद के अनुसार समुचित है, भवन भी बने हुए हैं। इसके बावजूद इस विद्यालय भवन का निर्माण किस मकसद से किया गया यह किसी को आज तक पता नहीं चल सका है।
ग्रामीणों के अनुसार, इस विद्यालय के भवन को चालू करने के लिए कई बार विभाग के प्रखंड से लेकर जिले के अधिकारियों को ध्यान एक्रस्ट कराया गया बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी के कानों पर जू तक नहीं रेंग पाई। लिहाजा या भवन इन दिनों पूरी तरह से भूत बंगला का रूप ले रखा है तथा रखरखाव के अभाव में दीवाल का प्लास्टर रंग दरवाजे आदि धीरे-धीरे बर्बादी के कगार पर पहुंचने लगे हैं। सरकार द्वारा जिस उद्देश्य से इस मॉडल स्कूल के भवन का निर्माण कर मेधावी छात्रों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने का प्रयास किया गया था वह विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण पूरा नहीं हो सका जिससे सरकार की मनसा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
यह भी देखें :
जानकारी के अनुसार, इस मॉडल विद्यालय भवन का निर्माण इसलिए हुआ था कि स्थानीय छात्रों को पढ़ाई के लिए दूर दराज भटकना न पड़े। सरकार की अवधारणा थी कि वर्ग-6 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को उच्च कोटि एवं पुनरबंद व कौशल विकास की पढ़ाई, छात्रों को नि:शुल्क छात्रावास, खेलकूद की सुविधा, रोजगार परक शिक्षा की मुहैया औऱ कृषि आधारित शिक्षा की सुविधा सहित अन्य तरह की शिक्षाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए इस भवन में शिक्षक प्रकोष्ठ वर्ग कक्षा छात्र एवं शिक्षकों के लिए आवश्यक कमरे किचेन प्रयोग कक्ष तथा कंप्यूटर कच्छ सहित अन्य तरह की सुविधाओं से विद्यालय भवन को लेस कराया गया था। पर विभाग की लापरवाही के कारण सरकार की सारी की सारी अवधारणाएं धराशायी होकर रह गई।
लिहाजा निर्माण के लगभग 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस मॉडल विद्यालय में अभी तक विभाग द्वारा ना तो शिक्षक की पद स्थापन किया जा सका है और ना ही छात्रों का नामांकन हो सका है। जिसके चलते भवन में ताले लटके हुए हैं। वह मॉडल स्कूल भूतबंगला में तब्दील हो गया है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि निर्माण के 10 वर्ष बीत चुके है इसके बावजूद आज तक इस स्कूल का उद्घाटन भी नहीं हो पाया है।
यह भी पढ़े : इंटरमीडिएट परीक्षा : कल से होगी शुरू…
अनिल कुमार की रिपोर्ट