जनगणना और परिसीमन से झारखंड की सियासत में बड़ा बदलाव संभव: आदिवासी सीटें घटीं तो किसका बढ़ेगा राजनीतिक वर्चस्व?

रांची : केंद्र सरकार ने देशभर में जनगणना और जातीय सर्वेक्षण को लेकर बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में गृह मंत्रालय द्वारा जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहले चरण में हिमालयी और पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 तक जनगणना पूरी होगी, जबकि शेष देश में 1 मार्च 2027 तक यह कार्य संपन्न होगा। इसके साथ ही जातीय गणना भी कराई जाएगी।

इस जनगणना का सबसे बड़ा असर झारखंड जैसे राज्यों पर पड़ेगा, जहां जनसंख्या में परिवर्तन के आधार पर परिसीमन आयोग का गठन होगा और लोकसभा व विधानसभा सीटों का नया निर्धारण किया जाएगा। झारखंड में 2001 की जनगणना के आधार पर वर्तमान में 14 लोकसभा और 81 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन नई जनगणना और परिसीमन के बाद इनमें बदलाव तय माना जा रहा है।

सीटों की संख्या में संभावित इजाफा

जानकारों के अनुसार, झारखंड में विधानसभा सीटों की संख्या 90 से 95 तक हो सकती है, जबकि लोकसभा सीटों की संख्या 16 से 18 तक बढ़ सकती है। यह विस्तार मुख्यतः शहरीकरण, औद्योगीकरण और जनसंख्या घनत्व पर आधारित होगा। रांची, धनबाद, बोकारो और पूर्वी सिंहभूम जैसे जिलों में सीटों की संख्या बढ़ सकती है, जहां आबादी में तेज़ वृद्धि देखी गई है।

आदिवासी और दलित राजनीति पर पड़ेगा असर

2011 की जनगणना के अनुसार, झारखंड में 28% आबादी आदिवासी, 12% दलित, 45-50% ओबीसी और सवर्ण, तथा 14% अल्पसंख्यक समुदाय हैं। परिसीमन के दौरान यदि शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में सीटों की संख्या बढ़ती है तो आदिवासी आरक्षित सीटों की संख्या में कमी आने की आशंका है। इससे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे आदिवासी जनाधारित दलों को राजनीतिक नुकसान हो सकता है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही इस आशंका को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि “जनसंख्या के आधार पर परिसीमन किया गया तो आदिवासी प्रतिनिधित्व को नुकसान पहुंचेगा”, वहीं बीजेपी ने इस आरोप को खारिज किया है।

किन इलाकों में हो सकता है बदलाव?

  • पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जैसे जिलों में एक नई लोकसभा सीट का गठन संभव।

  • गढ़वा और पलामू में परिसीमन के कारण सीटों का विभाजन हो सकता है।

  • गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और साहिबगंज जैसे जिलों में सीटों को मिलाकर सीमाएं बदली जा सकती हैं।

  • देवघर, दुमका और गोड्डा में भी सीटों की सीमाओं में फेरबदल की संभावना जताई जा रही है।

जातीय गणना से और दिलचस्प होगा समीकरण

इस बार जनगणना के साथ जातीय सर्वेक्षण भी किया जा रहा है, जिससे दलित, ओबीसी और आदिवासी समुदायों की सटीक संख्या सामने आएगी। यह डेटा सियासी दलों को अपने-अपने चुनावी गणित को फिर से गढ़ने के लिए मजबूर करेगा। कांग्रेस और झामुमो जैसे गठबंधन दलों के बीच पहले ही आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक को लेकर अंतर्विरोध उभरने लगे हैं।

जनगणना, जातीय गणना और परिसीमन के बाद झारखंड की राजनीतिक जमीन पर बड़ा बदलाव तय है। सीटों के सीमांकन से लेकर उनके आरक्षण तक, हर बदलाव राज्य की सियासत की दिशा तय करेगा। खासकर आदिवासी समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व और दलित-ओबीसी समीकरण आने वाले वर्षों की चुनावी रणनीति को पूरी तरह प्रभावित कर सकता है।

📍 लोकेशन और मौसम लोड हो रहा है...

Stay Connected
124,000FansLike
21,400FollowersFollow
497FollowersFollow
529,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest News

20 को सिवान में PM के दौरे की तैयारी जोरों पर,...

सिवान: सिवान के जसौली में PM नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर सारण जिले में एनडीए नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।...

22scope is your trusted destination for the latest news, updates, and in-depth coverage across various topics, including politics, entertainment, sports, technology, and More.