गोड्डा: गोड्डा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत सैदापुर गांव में अंधविश्वास की भयानक कीमत तीन मासूम बच्चों ने अपनी जान देकर चुकाई। देर रात घर में घुसे जहरीले सांप ने पहले दो सगे भाई-बहन को डंस लिया। उम्र में महज छह साल का बालक और नौ साल की बहन परिजनों की उम्मीद भरी नजरों में थे, लेकिन सही इलाज के अभाव और झाड़फूंक पर विश्वास ने उनकी जिंदगी छीन ली।
परिजनों ने तत्काल बच्चों को अस्पताल ले जाने की बजाय ओझा-गुनी के पास ले जाकर झाड़फूंक करवाया। इस प्रक्रिया में कीमती वक्त गुजरता गया और देखते ही देखते पहले बच्चे ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। फिर बच्ची को लेकर जब सदर अस्पताल पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
स्थानीय संवाददाता नरेंद्र के अनुसार, तीसरे बच्चे की मौत की सूचना भी सामने आई है, जो गोड्डा के ही किसी अन्य गांव से है। इस तरह एक ही दिन में तीन मासूम बच्चों की जिंदगी अंधविश्वास की भेंट चढ़ गई।
परिजन अब पछता रहे हैं, उन्होंने भी स्वीकार किया कि उन्होंने झाड़फूंक पर विश्वास करके बहुत बड़ी गलती की। उनका मानना है कि अगर वे समय रहते अस्पताल चले गए होते तो शायद बच्चों की जान बचाई जा सकती थी।
यह घटना न केवल गहरी पीड़ा देने वाली है बल्कि समाज के सामने एक गंभीर सवाल भी खड़ा करती है—क्या 21वीं सदी में भी लोग वैज्ञानिक सोच को अपनाने के बजाय अंधविश्वास के अंधेरे में जी रहे हैं?