Desk: भारत समेत चार देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक पहुंचनेवाले Axiom Mission 4 (Ax-4) एक बार फिर स्थगित कर दी गई है। यह चौथी बार है जब इस मिशन की लॉन्चिंग टली है। इस बार की देरी का प्रमुख कारण फाल्कन-9 रॉकेट के लॉन्च व्हीकल के बूस्टर स्टेज में लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) लीक को बताया गया है।
स्पेसएक्स के इस मिशन की लॉन्चिंग फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से होनी थी। बुधवार को लॉन्चिंग से पहले 7 सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया, जिसमें प्रोपल्शन बे में LOX का रिसाव पाया गया। ISRO ने जानकारी दी कि यह तकनीकी खामी गंभीर थी और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लॉन्च को टालना जरूरी हो गया।
शुभांशु शुक्ला: अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व
Ax-4 मिशन भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें शामिल हैं विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला, जो ISS पर जाने वाले पहले भारतीय और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। उनसे पहले केवल राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी।
शुभांशु का जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से ट्रेनिंग ली और 2006 में भारतीय वायु सेना में शामिल हुए। वे एक प्रशिक्षित फाइटर पायलट हैं और उन्हें ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चयनित किया गया है। उन्होंने रूस और अमेरिका में विशेष अंतरिक्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिसमें माइक्रोग्रेविटी, आपात स्थितियों की हैंडलिंग और वैज्ञानिक प्रयोगों की ट्रेनिंग शामिल है।
ISS पर क्या करेंगे शुभांशु?
इस मिशन के दौरान शुभांशु 14 दिनों तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहेंगे और कुल 12 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें:
- 7 प्रयोग भारतीय शैक्षणिक संस्थानों द्वारा डिजाइन किए गए हैं। इनमें बायोलॉजिकल स्टडीज, माइक्रोग्रेविटी में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं।
- 5 प्रयोग NASA के सहयोग से किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के लिए डेटा जुटाना है। इन प्रयोगों के परिणाम भारत के गगनयान मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
भारत की भागीदारी और निवेश
भारत सरकार ने इस मिशन में लगभग ₹548 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसमें शुभांशु शुक्ला और उनके बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर की ट्रेनिंग, उपकरणों की खरीद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर खर्च शामिल है। यह अनुभव न सिर्फ गगनयान मिशन को मजबूत करेगा, बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक मंच पर और ऊंचाई देगा।
Ax-4 मिशन का उद्देश्य
Axiom Mission-4 का उद्देश्य सिर्फ एक रूटीन स्पेस ट्रिप नहीं है। इसके जरिए कई महत्वपूर्ण लक्ष्य पूरे किए जाने हैं:
- माइक्रोग्रेविटी में वैज्ञानिक शोध
- नई अंतरिक्ष तकनीकों का परीक्षण
- अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग को प्रोत्साहन
- शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से वैश्विक प्रेरणा
यह मिशन Axiom Space की उस बड़ी योजना का हिस्सा है। जिसके तहत भविष्य में एक इन्डीपेंडेंट कमर्शियल स्पेस स्टेशन – Axiom Station बनाया जाएगा।
ISS क्या है?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित एक विशाल अंतरिक्ष प्रयोगशाला है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है और इसकी स्पीड लगभग 28,000 किमी प्रति घंटा है। ISS का निर्माण NASA (अमेरिका), Roscosmos (रूस), ESA (यूरोप), JAXA (जापान), और CSA (कनाडा) ने मिलकर किया है। इसका पहला हिस्सा 1998 में लॉन्च किया गया था। यहां रहने वाले अंतरिक्ष यात्री शून्य गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं।
नई लॉन्चिंग डेट का इंतजार
Ax-4 मिशन की अगली लॉन्च विंडो की घोषणा जल्द की जाएगी। शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम के स्पेस में उड़ान भरने को लेकर पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग का अहम हिस्सा बन चुका है।