कांटाटोली फ्लाईओवर के 24 पिलरों का कैपिंग काम पूरा

रांची: झारखंड की राजधानी में कांटाटोली फ्लाईओवर के काम को लेकर खास आकर्षण बन रही है। पिछले 6 साल से, 2018 से 2022 तक, यह फ्लाईओवर का काम कई बार रुकावटों का सामना कर रहा था।

इस अवधि में, नगरिकों को केवल अधूरे पिलरों की दृश्यता ही मिलती थी। लेकिन 6 साल बाद, अब फ्लाईओवर धीरे-धीरे अपनी असली आकृति ले रहा है।

यह फ्लाईओवर शांति आश्रम से बहू बाजार तक फैलता है और इसमें कुल 44 पिलर स्थापित किए गए हैं। 24 पिलरों का कैपिंग काम पूरा हो चुका है, जबकि बचे हुए 20 पिलरों की कैपिंग का काम तेजी से चल रहा है।

मंगल टावर से कांटाटोली चौक तक, पिलरों के ऊपर प्री-कास्ट सेगमेंटल बॉक्स रखने का काम भी आरंभ हो चुका है। ये सेगमेंटल बॉक्स फ्लाईओवर की सड़क के रूप में उपयोग होंगे। अब तक, 11 सेगमेंटल बॉक्स पहले ही रख दिए गए हैं।

मंगल टावर से कांटाटोली चौक तक शेष 6 पिलरों के बीच सेगमेंटल बॉक्स रखने की तैयारी चल रही है। सेगमेंटल बॉक्सेस लगने के बाद, कांटाटोली चौक से शांति आश्रम तक फ्लाईओवर अपना सम्पूर्ण आकार प्राप्त करेगा।

इस 2.24 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर में कुल 486 सेगमेंटल बॉक्सेस रखे जाएंगे, जो 30-30 मीटर की दूरी पर बने पिलरों के बीच 11-11 सेगमेंटल बॉक्सेस से जुड़ेगा। इनके बाद, रेलिंग, डिवाइडर, लाइट और अन्य कार्यों को पूरा किया जाएगा।

दिनेश अग्रवाल एंड संस नामक कंपनी को मार्च 2024 तक फ्लाईओवर को पूरा करने का अंतिम अवधि दी गई है। कंपनी ने जनवरी तक ही इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा है और उसके लिए 198 करोड़ रुपये का खर्च किया जा रहा है।

इस फ्लाईओवर के काम का निर्णय पूर्व सीएम रघुवर दास के कार्यकाल में 2016 में लिया गया था। 2017 में इसके लिए टेंडर निकाला गया और 2018 में काम शुरू हुआ, लेकिन कंपनी द्वारा केवल 19 पिलर ही बनाए गए थे।

इसके बाद काम कई बार रुका रहा था। 2022 में फिर से फ्लाईओवर बनाने की योजना बनी और इसकी लंबाई 1.25 किलोमीटर से बढ़ाकर 2.24 किलोमीटर कर दी गई। इसके लिए टेंडर निकला गया और काम दिनेश अग्रवाल एंड संस को सौंपा गया।

कंपनी को शुरू में अतिक्रमण और कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन सहयोग के साथ सभी अवधारणाएं दूर हो गईं और अब फ्लाईओवर धीरे-धीरे आकार लेने लगा है।

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