केंद्र सरकार अनुदानों की बरसात कर रही, लेकिन हेमंत सरकार ने बाल्टी उलट रखी है- कुणाल षाड़ंगी

  • हेमंत सरकार के आरोप अखबारी बयान तक सिमटे, कभी बकाया को लेकर केंद्र को नहीं लिखी गई चिट्ठी- कुणाल षाड़ंगी

रांचीः भारतीय जनता पार्टी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उस बयान पर पलटवार किया है जिसमें नीति आयोग के समक्ष सीएम ने केंद्र सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया था। गुरुवार को प्रदेश भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने इस आशय में राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा की राज्य सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर राजनीतिक आरोप लगा रही है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लगातार वित्तीय अनुदानों की बारिश हो रही है, किंतु दुर्भाग्य है की हेमंत सरकार ने इन वित्तीय बारिश को सुरक्षित करने के बजाये बाल्टी उलट कर रखा है। ऐसे में लाभ न मिलना स्वभाविक है।उन्होने कहा की राज्य की स्थिति सुधारने के लिए संसाधन पर्याप्त है, किंतु इच्छाशक्ति का अभाव दिख रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना में राज्य सरकार की ओर से प्रति लाभुक 50,000/- रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा हुई थी जिसका आज तक कुछ अता पता नही है। पता लगा आंगनबाड़ी केद्रों में अनुदान का सही तरीक़े से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अनाज के आवंटन में प्रतिदिन घोटाले की ख़बरें आती है। सत्तर सालों में जिन्होंने राज्य को एक AIIMS नहीं दिया उसके साथ मुख्यमंत्री जी गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। और जब राज्य को केद्र सरकार की ओर से एक AIIMS मिला है तो उसे सुचारु रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की भी है जिस पर राज्य सरकार पूरी तरीके से विफल रही है।

भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने कहा सरकार आंकड़ों पर बात नहीं करती है। कहा की श्रेय लेने की राजनीति के चक्कर में राज्य का बेड़ा गर्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा की केंद्र सरकार ने दिसंबर 2022 में स्पष्ट ऐलान किया था की गरीबों के लिए मुफ़्त राशन की योजना का विस्तार दिसंबर 2023 तक रखी जायेगी। इसके बावजूद प्रदेश के सीएम हेमंत सोरेन ने भी वाहवाही के चक्कर में फरवरी 2023 को ऐलान किया की वे हर महीने ग्रीन गार्ड धारकों को मुफ़्त राशन देंगे। सरकार के इस दावे की सच्चाई सर्वविदित है। राशन मुहैया कराने में विफल राज्य सरकार अब मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है। कहा की केंद्र सरकार के जन उपयोगी योजनाओं से जनता को आच्छादित करने के मामले में भी हेमंत सरकार फिसड्डी है। हर घर जल योजना में झारखंड की प्रगति बेहद सुस्त है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के समापन तक के आंकड़े को देखें तो महज 33.21 प्रतिशत घरों तक नल जल योजना पहुँच सकी है। झारखंड की स्थिति देश भर में खराब है और केवल पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से ऊपर है। भाजपा ने सूबे की महागठबंधन सरकार को हिदायत दिया की बिना तथ्य के आरोप लगाने से परहेज हो और इच्छा शक्ति मजबूत कर के जनता के महत्वाकांक्षी योजनाओं को बाधित न किया जाये।

वित्तीय कमिशन की ग्रांट को देखे तो रघुवर दास जी की सरकार में जहाँ राज्य को केंद्र की ओर से पांच वर्षों मे लगभग 6600 करोड मिले वही 2019-2022 तक बर्तमान सरकार को 8800 करोड आंवटित हो चुके हैं। पीएम आवास, पीएम सडक योजना जैसी योजनाओं मे राज्य को मिले टारगेट का पचास प्रतिशत राशि भी राज्य सपकार खर्च नही कर पाई है। जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन नही कर पाने की नाकामी को ढंकने के लिए बयानबाजी हो रही है।

 

Share with family and friends: