पटना: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 लोकसभा और राज्यसभा में पास होने से पहले से ही देश भर में विपक्षी दलों के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। लोकसभा और राज्यसभा में JDU के द्वारा समर्थन किये जाने के बाद कई नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। अब इस मामले में JDU के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के साथ ही कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी का स्टैंड रखा है। JDU कार्यालय में जदयू के महासचिव अफाक अहमद, एमएलसी गुलाम गौस, सिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया।
विपक्ष फैला रहा है भ्रांति
प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए JDU अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया है। हमारे किसी भी जिला में किसी भी संगठन के किसी सदस्यों ने इस्तीफा नहीं दिया है। यह बात सबको पता है कि नीतीश कुमार ने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है वे हमेशा समाजहित में काम करते रहे हैं। विपक्ष के लोग समाज में भ्रांतियां फैला रहे हैं। जेपीसी में JDU की तरफ से दिलेश्वर कामत थे और पार्टी के निर्देशानुसार उन्होंने अपनी तरफ से जेपीसी को सलाह दी थी।
RJD का करैक्टर है तुष्टिकरण का
जेपीसी ने हमारी बातों को सुन कर उस पर अमल भी किया तभी हमने लोकसभा और राज्यसभा में बिल का समर्थन किया है। प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने विपक्ष पर जम कर हमला किया। अंजुम आरा ने कहा कि राजद का तुष्टिकरण का करैक्टर रहा है और वह वैसा ही करती रही है। मैं आवाम को भरोसा दिला रही हूं कि जब तक नीतीश कुमार हैं तब तक अल्पसंख्यक समाज के लिए काम करते रहेंगे।
वक्फ संशोधन विधेयक से पहले नीतीश ने बनाया था वक्फ विकास बोर्ड
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वक्फ संशोधन विधेयक आने के पहले ही वक्फ की चिंता की और उन्होंने बिहार में वक्फ विकास बोर्ड की स्थापना की। इसके तहत राज्य में 110 करोड़ रूपये का वित्तीय आवंटन भी किया जिससे अल्पसंख्यक छात्रावास, विवाह भवन, मल्टी पर्पस बिल्डिंग इत्यादि का निर्माण कराया गया। वक्फ की संपत्ति के विकास का नजीर अगर देखना हो तो पटना के अशोक राजपथ स्थित अंजुमन इस्लामिया हॉल को देखा जा सकता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाई, हुनर और औजार योजना लग की, परित्यक्ता नारी के लिए पेंश्म, तालीमी मरकज, मदरसों को मान्यता, मदरसा में कार्यरत शिक्षकों की सेवा शर्तों में सुधार, अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं के लिए निःशुल्क कोचिंग जैसी सुविधाएं दी। नीतीश कुमार के शासनकाल में अल्पसंख्यकों के कल्याण का बजट 282 गुना बढ़ा जिससे अल्पसंख्यकों का राज्य में काफी विकास हुआ है। JDU प्रवक्ता अंजुम आरा ने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर JDU की तरफ से जेपीसी को पांच सुझाव दिए गए थे
JDU की तरफ से JPC को दिया गया था 5 सुझाव
- जमीन राज्य का मामला है इसलिए नए कानून में भी यह प्राथमिकता बरकरार रहे
- नया कानून पुर्वप्र्भावी नहीं हो।
- अगर वक्फ की कोई संपत्ति रजिस्टर्ड नहीं है तो उस पर कोई धार्मिक भवन मसलन मस्जिद दरगाह इत्यादि हो तो उसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाये और उसका स्टेटस बरकरार रखा जाये।
- वक्फ संपत्ति से जुड़े विवादों के निराकरण के लिए जिलाधिकार से ऊपर के अधिकारी को अधिकृत किया जाये।
- वक्फ बोर्ड की संपत्ति के डिजिटलाईजेशन के लिए छः महीन की समय सीमा बढाई जाये।
दंगा पीड़ितों को नीतीश सरकार में मिला न्याय
अंजुम आरा ने कहा कि RJD के सांसद भी वक्फ के लिए गठित जेपीसी में थे, वे लोग विरोध तो कर रहे हैं लेकिन एक भी सुझाव उन लोगों ने नहीं दिया। अंजुम आरा ने राजद पर पर हमला करते हुए कहा कि भागलपुर के दंगाइयों को लालू राज में बचाया जाता रहा लेकिन नीतीश कुमार की सरकार बनते ही सभी को न्याय दिया गया। लालू राबड़ी काल में दंगों के कारण विस्थापित लोगों को नीतीश कुमार की सरकार बनते ही अपने घर जमीन पर कब्जा दिलाया गया।
देश में नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं जो हमेशा ही अल्पसंख्यकों के हित और उनकी सुरक्षा और अधिकार को संरक्षित किया है। उन्होंने कभी अल्पसंख्यकों के मामले में कोई समझौता नहीं किया और अल्पसंख्यक समाज की भी उनमे आस्था बरकरार है।
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पटना से विवेक रंजन की रिपोर्ट
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