धनबाद : नया बाजार में सोमवार को महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मनाई गई. धनबाद विधायक राज सिन्हा ने उनके प्रतिमा पर फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
धनबाद विधायक राज सिन्हा ने कहा की वे स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे. नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा बुलंद करने वाले सुभाष चंद्र बोस आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं. एक दुख की बात जरूर है कि आजाद भारत में उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए वो उन्हें बहुत देर से मिला. बीजेपी की सरकार ने वो काम किया. आज उनकी विशाल प्रतिमा इंडिया गेट पर मौजूद है. नेता जी के विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देखा था पूर्ण स्वराज का सपना
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महापुरुषों ने अपना योगदान दिया था जिनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम पहली पंक्ति में है. सुभाष चंद्र बोस ने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा था. भारत को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने के उन्होंने कई आंदोलन किए और इसकी वजह से नेताजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. उन्होंने अपने वीरतापूर्ण कार्यों से अंग्रेज़ी सरकार की नींव को हिलाकर रख दिया था. जब तक नेताजी रहे, तब तक अंग्रेज़ी हुक्मरान चौन की नींद नहीं सो पाए.
ऐसे तो हमें अंग्रजी हुकूमत से आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन करीब 4 साल पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने हिन्दुस्तान की पहली सरकार का गठन कर दिया था. इस लिहाज से 21 अक्टूबर 1943 का दिन हर भारतीय के लिए बेहद ही खास और ऐतिहासिक है.
आजादी से पहले हिन्दुस्तान की पहली सरकार
उस वक्त भारत पर अंग्रेजों का राज था, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्बूर 1943 को वो कारनामा कर दिखाया, जिसे अब तक किसी ने करने के बारे में सोचा तक नहीं था. उन्होंने आजादी से पहले ही सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना की. नेताजी ने इस सरकार के जरिए अंग्रेजों को साफ कर दिया कि अब भारत में उनकी सरकार का कोई अस्तित्व नहीं है और भारतवासी अपनी सरकार चलाने में पूरी तरह से सक्षम हैं.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: 21 अक्टूबर 1943 को हुई आजाद हिंद सरकार की स्थापना
आजाद हिंद सरकार के बनने से आजादी की लड़ाई में एक नए जोश का संचार हुआ. करीब 8 दशक पहले 21 अक्टूबर 1943 को देश से बाहर अविभाजित भारत की पहली सरकार बनी थी. उस सरकार का नाम था आजाद हिंद सरकार. अंग्रेजी हुकूमत को नकारते हुए ये अखंड भारत की सरकार थी. 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर के कैथे भवन में हुए समारोह में रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान सुभाष चंद्र बोस के हाथों में सौंप दी.
इसके बाद 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना हुई. आज़ाद हिंद फौज के सर्वाेच्च सेनापति की हैसियत से सुभाष चन्द्र बोस ने स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई.
रिपोर्ट: मुन्ना