मुहर्रम के मौके पर बेल्जियम के ग्लास के बीच मोमबत्ती से जगमगाता नौबतखाना, अखाड़ा बना आकर्षण का केंद्र

मुहर्रम के मौके पर बेल्जियम के ग्लास के बीच मोमबत्ती से जगमगाता नौबतखाना, अखाड़ा बना आकर्षण का केंद्र

नालंदा : पूरे देश सहित बिहार में कल यानी 17 जुलाई को मुहर्रम का पर्व मनाया गया। सभी जगहों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया निकाली। बिहार में ताजिया जुलूस के दौरान कई जगहों से छिटपुट घटनाएं भी सामने आई। मुहर्रम के दूसरे दिन बिहारशरीफ के भुसटटा मोहल्ले से गुरुवार की अहले सुबह जगमग रौशनी के बीच नौबतखाना निकाली गई। जो शहरवासियों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा।

नौबतखाना में लगे बेल्जियम के गिलास के बीच मोमबत्तियां की रौशनी के साथ अखाड़ा के लोग नौबतखाना लेकर जैसे ही सड़क पर निकले नौबतखाना देखने के लिए लोगों की हुजूम उमड़ पड़ी। इस दौरान जिला प्रशासन के सभी शर्तों को पालन किया गया। सुरक्षा की दृष्टिकोण से भारी संख्या में इलाके में पुलिस वालों की भी तैनाती की गई थी। अखाड़ा में शामिल युवक तरह-तरह के करतब दिखाते हुए लोगों का मन मोह रहे थे। पूरे इलाका इमाम हुसैन से गूंज रहा था।

मुहर्रम महीना इस्लामी कैलेन्डर के मुताबिक, साल का पहला महीना होता है। इस महीने में इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। जिसमें लोग इस्लामी प्रचम के साथ ताजिया, सिपल बनाते और जुलूस के साथ हसन हुसैन एवं क़र्बला में शहीद लोगों को याद करते हैं। मुस्लिम रीति-रिवाजों से मुहर्रम को अलग माना जाता है क्योंकि यह महीना शोक का होता है। मुहर्रम के दिन लोग इमाम हुसैन के पैगाम को लोगों तक पहुंचाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। मुहर्रम का महीना इस्लाम धर्म के लिए बेहद खास होता है।

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राजा कुमार की रिपोर्ट

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