पटना : बिहार सरकार के स्वास्थ्य व कृषि मंत्री मंगल पांडे ने एक देश एक चुनाव को मोदी कैबिनेट से मिली मंजूरी को एनडीए सरकार का स्वागतयोग्य कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह देशहित में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय है। वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को कैबिनेट ने सर्वसम्मति से स्वीकृत किया है।
आपको बता दें कि 2024 के आम चुनाव में भाजपा ने वन नेशन, वन इलेक्शन का वादा किया था, जिसे पूरा करना एनडीए सरकार की प्राथमिकता है। वन नेशन वन इलेक्शन से देश का विकास होगा। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक राष्ट्र, एक चुनाव पर जोर देकर कहा था कि लगातार चुनाव देश के विकास को धीमा कर रहे थे। मोदी सरकार इसकी सारी बाधाओं को दूर कर सर्वसम्मति से इस योजना को बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। चुनावी खर्च से देष का पैसा बर्बाद हो रहा है, जिसकी बचत होगी।
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देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ होना ही चाहिए – जीतनराम मांझी
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन होना ही चाहिए था। 1967 तक जो भी चुनाव हुए सब एक साथ हुए थे। इसलिए वन नेशन वन इलेक्शन का हम स्वागत योग्य मानते हैं। इससे यह फायदा होगा कि जो नौ महीना तक लगभग आदर्श आचार संहिता लागू रहता है, जिससे कई काम बाधित रहता है उससे छुटकारा मिलेगा।
मोदी कैबिनेट का फैसला स्वागत योग्य, होना चाहिए देश में एक साथ चुनाव – गिरिराज सिंह
केंद्रीय कैबिनेट से वन मिशन वन इलेक्शन को पास किए जाने के बाद जहां विपक्षी दल लगातार इसे केंद्रीय कैबिनेट का गलत फैसला बता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह ने इसका स्वागत किया है। गिरिराज सिंह ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन के पक्ष में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। देश के सभी पूर्व चीफ जस्टिस से इस संबंध में चर्चा की गई , देश के तमाम राजनीतिक दलों से मुढधन्य लोगों से इस विषय पर चर्चा की गई, देश के सभी चेंबर ऑफ कॉमर्स से इस संबंध में चर्चा की गई और अंततः केंद्रीय कैबिनेट ने वन इलेक्शन को पास कर दिया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की भाषा विधवंषक भाषा और नेगेटिव भाषा होती है। यह वहीं खड़गे हैं, जिन्होंने कहा था कि यदि 20 सीट और उन्हें आ जाती तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उनके पार्टी के तमाम नेताओं को जेल भेज देता। देश के विकास देश के लॉ एंड ऑर्डर के लिए जरूरी है। क्योंकि जब भी देश के किसी कोने में इलेक्शन होता है तो देश के फोर्स को उन राज्यों में भेजा जाता है। जहां इलेक्शन होता है दो-तीन महीने तक फोर्स उन्हीं एरिया में रहती है। देश की प्रगति के लिए वन नेशन वन इलेक्शन काफी जरूरी है। 1967 के पहले राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे बताएं ना कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन होता था कि नहीं होता था। उसमें कौन सा नुकसान था। क्यों नहीं नेहरु ने इसे रोक दिया था। इसलिए वन नेशन वन इलेक्शन बेस्ट पॉलिसी है और इसे कांग्रेस पॉलिटिकल मेंडेटा के तहत इसे रोकना चाहती है।
वन नेशन वन इलेक्शन पर राजद सांसद मनोज झा ने कई सवाल उठाए
केंद्रीय कैबिनेट से वन नेशन वन इलेक्शन को पास किए जाने के बाद जहां केंद्र सरकार में मौजूद कैबिनेट मंत्री लगातार इसका स्वागत कर रहे हैं। इसे केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिया गया सही फैसला बता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ केंद्र में बैठे विपक्षी पार्टियों के द्वारा इसका लगातार विरोध किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बयान के बाद इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस पर कई सवाल उठाए।
राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट है, मैं, मेरा और मुझको जिसका फलसफा है। इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प कल था नहीं। हमारी पार्टी के कुछ मौलिक सवाल थे और है। इस देश में 1960 से 1962 तक वन पेंशन वन इलेक्शन था। उसके बाद यह माला टूटी। यह हमारा इसलिए टूटी एक पार्टी का जो डोमिनेंस था, उसे कई क्षेत्रों में चैलेंज होना शुरू हुआ। गैर कांग्रेस सरकार देश के कई राज्यों में सत्ता में आई। इसकी जो लय था वह टूट गई। कई जगह अलग-अलग मत की सरकार थी और वहां जगह मध्यवर्ती चुनाव भी हुए। सरकार सक्सेस नहीं रही तो फिर चुनाव हुए। कई राज्यों में पांच वर्ष के अंदर दो से तीन चुनाव तक हो गए। अब जब एक बार फिर से वन नेशन वन इलेक्शन की बात हो रही है तो इसके अंतर्गत क्या होगा इसका मसौदा तो हम नहीं जानते।
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विवेक रंजन और महीप राज की रिपोर्ट