Shibu Soren के निधन पर गंगाराम अस्पताल पहुंचे पीएम, सीएम हेमंत सहित परिवार का बंधाया ढाढस…

Ranchi : झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक और राज्य के सबसे प्रभावशाली नेताओं में शुमार दिशोम गुरु शिबू सोरेन (Shibu Soren) का 81 वर्ष की उम्र में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके निधन की सूचना मिलते ही पीएम मोदी सर गंगाराम अस्पताल पहुंचे। उन्होने सीएम हेमंत सोरेन से मिलकर उनको ढांढस बंधाया।

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Shibu Soren एक जमीनी नेता थे-पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिनका जीवन आदिवासी समुदायों, वंचितों और गरीबों के अधिकारों के लिए संघर्ष में समर्पित रहा। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर संवेदना प्रकट की और बाद में सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर व्यक्तिगत रूप से भी शोक जताया।

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आज शाम को रांची एयरपोर्ट पर लाया जाएगा Shibu Soren का शव

शाम को उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा। सबसे पहले उसे मुख्यमंत्री आवास, मोरहाबादी ले जाया जाएगा, फिर झामुमो कार्यालय में कार्यकर्ता अंतिम दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद झारखंड विधानसभा में राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी जाएगी। अंततः उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा में होगा।

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राज्य सरकार ने शिबू सोरेन के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे, कोई आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा, और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। शिबू सोरेन का जीवन संघर्ष, प्रतिबद्धता और जनसेवा की मिसाल रहा। उनके जाने से झारखंड की राजनीति में एक अपूरणीय क्षति उत्पन्न हो गया है।

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चर्चित राजन हत्याकांड : पुलिस ने यश को किया गिरफ्तार

चर्चित राजन हत्याकांड : पुलिस ने यश को किया गिरफ्तार
चर्चित राजन हत्याकांड : पुलिस ने यश को किया गिरफ्तार

मोतिहारी : मोतिहारी के नगर थाना क्षेत्र के चर्चित राजन हत्याकांड में शामिल यश को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही घटना वाली रात का सीसीटीवी फुटेज का फोटो भी डाला है। जिसमें देखा जा रहा है कि यश अपनी हाथों में चाकू लिए हुए है। यश की गिरफ्तारी के बाद राजन की हत्या किसने की थी और क्यों हुआ था इस बात का खुलासा हो जाएगा।

गुप्त सूचना के आधार पर यश की गिरफ्तारी की गई है – नगर थानाध्यक्ष राजीव रंजन

नगर थानाध्यक्ष राजीव रंजन ने बताया गुप्त सूचना के आधार पर यश की गिरफ्तारी की गई है। वहीं इसके आठ साथी की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है। बता दें कि सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने मुख्य आरोपी राजा सिंह सहित नौ आरोपियों के घर पर कुर्की के लिए इश्तहार चपका दिया है। इश्तेहार की कार्रवाई करने पहुंची नगर थाना थानाध्यक्ष राजीव रंजन ने ढोल नगाड़े बजाकर माइक से साफ शब्दों में संदेश दिया था कि अगर 48 घंटे के अंदर आत्मसमर्पण नहीं करता है तो सभी के घरों पर कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।

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राजा के घर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में बड़ी संख्या में पुलिस निगरानी कर रही है

आपको बता दें कि महाबीरी झंडा से वापसी के दौरान राजन और राजा के बीच पूर्व के रंजिश को लेटकर विवाद हुआ था। जिसमें चाकू लगने से राजन की मौत हो गई थी। इस घटना से नाराज राजन के समर्थकों ने राजा के घर पर हमला कर उसकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया था। उसके बाद चार घंटे तक गांधी चौक को जाम रखा। वहीं इस हत्या के विरोध में बाजार भी बंद रहे थे। इन तमाम चीजों को देखते हुए पुलिस एहतियात के तौर पर बड़ी संख्या में बल की तैनाती की थी। घटना के चार रोज बाद भी राजा के घर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में बड़ी संख्या में पुलिस निगरानी कर रही है।

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सोहराब आलम की रिपोर्ट

GMCH में बरसात ने खोली व्यवस्थाओं की पोल, करोड़ों की लागत पर पानी का इंतजाम नहीं!

GMCH में बरसात ने खोली व्यवस्थाओं की पोल, करोड़ों की लागत पर पानी का इंतजाम नहीं!
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बेतिया/अरवल : बेतिया जिले के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (GMCH) की व्यवस्थाएं एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। एक दिन की बारिश ने अस्पताल प्रबंधन और निर्माण एजेंसी की कार्यशैली की पूरी सच्चाई उजागर कर दी। जीएमसीएच के विभिन्न वार्डों, गलियारों और परिसर में बारिश का पानी घुस चुका है। जिससे मरीजों और उनके परिजनों को आने-जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

करोड़ की लागत से निर्मित इस अस्पताल का निर्माण प्रतिष्ठित एलएनटी कंपनी द्वारा किया गया है

आपको बता दें कि कई सौ करोड़ की लागत से निर्मित इस अस्पताल का निर्माण प्रतिष्ठित एलएनटी कंपनी द्वारा किया गया है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि निर्माण के दौरान वर्षा जल निकासी व्यवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) को गंभीरता से नहीं लिया गया। परिणामस्वरूप मामूली बारिश में भी अस्पताल तालाब में तब्दील हो गया। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों का कहना है कि इतना पैसा खर्च करके अगर सिर्फ इमारत खड़ी कर दी गई है और उसमें मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, तो इसका क्या लाभ? बारिश का मौसम है अगर हर बार यही स्थिति रही तो मरीजों की जान पर आफत बन सकती है।

प्रशासन और एजेंसी से जवाब तलब जरूरी

इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की निष्क्रियता और निर्माण एजेंसी की लापरवाही पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ड्रेनेज सिस्टम की जांच नहीं की गई थी। क्या तकनीकी परीक्षण के बिना अस्पताल का उद्घाटन कर दिया गया। फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस मामले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है। विपक्ष इसे एक बड़ा निर्माण घोटाला भी बता सकता है।

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अरवल में जलजमाव से केमदारचक गांव में आम जन परेशान

अरवल जिले के कुर्था प्रखंड के मानिकपुर पंचायत के केमदारचक गांव जो एसएच-69 के बगल में स्थित है। एसएच-69 से जुड़ने वाले पीसीसी सड़क पर लगभग 200 मीटर में लगभग डेढ़ से दो फिट तक पानी का जमाव हर वक्त बना है। वहीं भगवान इंद्र की कृपा होती है तो यह जलजमाव लगभग तीन फीट तक हो जाती है। जिसमें छोटे-छोटे बच्चे को डुबाना आम बात हो गई है। वहीं ग्रामीणों कि माने तो स्थानीय मुखिया जलजमाव को दूर करने के नाम पर लाखों रुपए का निकासी पूर्व में ही कर चुके हैं।

अरवल में जलजमाव से केमदारचक गांव में आम जन परेशान

छोटे-छोटे बच्चों को किसी तरह से पार कर विद्यालय भेजना मजबूरी हो चुका है

ग्रामीणों ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों को किसी तरह से पार कर विद्यालय भेजना मजबूरी हो चुका है। वहीं जलजमाव से रिस्तेदार भी मुख्य सड़क एसएच-69 से ही लौट कर चले जाते हैं। वहीं स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि यह सड़क लगभग 50 फिट चौड़ी थी। जिसे अतिक्रमण कर दोनों तरफ लोगों ने कब्जा कर रखा है, जिससे पानी का निकास बंद हो चुका है। स्थानीय ग्रामीण गुडीया देवी कहती हैं कि गंदे पानी में प्रतिदिन गुजरना मजबूरी हो गई है। जिससे ग्रामीण विभिन्न तरह के बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं, रिस्तेदार भी आना जाना बंद कर दी है।

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दीपक कुमार और विनय कुमार की रिपोर्ट

Yemen Accident : यमन के तट पर बड़ा हादसा: नाव पलटने से 68 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत, 74 अब भी लापता

Yemen Accident : यमन के तट पर नाव हादसा: 68 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत, 74 अब भी लापता
Yaman Accident : यमन के तट पर नाव हादसा: 68 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत, 74 अब भी लापता

Yemen Accident : यमन के तट के पास एक और दिल दहला देने वाली नाव दुर्घटना में 68 अफ्रीकी प्रवासियों की मौत हो गई, जबकि 74 अन्य अब भी लापता हैं। संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी (IOM) ने इस हादसे की पुष्टि करते हुए कहा है कि लापता लोगों की खोज जारी है, लेकिन उनके जीवित मिलने की संभावना बेहद कम है।

Yemen Accident : 154 इथियोपियाई प्रवासी नाव पर सवार थे

यह दुर्घटना यमन के दक्षिणी प्रांत अबयान के पास अदन की खाड़ी में उस समय हुई जब एक नाव में 154 इथियोपियाई प्रवासी सवार होकर अरब देशों की ओर यात्रा कर रहे थे। यमन में IOM के प्रमुख अब्दुसत्तोर एसोव ने बताया कि दुर्घटना में केवल 12 लोग ही बच पाए। 54 शव खानफर जिले के तट पर बहकर आ गए, जबकि 14 अन्य प्रवासियों के शव भी बाद में बरामद हुए। सभी शवों को अबयान की राजधानी जिंजीबार के अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया है।

अबयान सुरक्षा निदेशालय ने इस दर्दनाक हादसे के बाद एक बड़े स्तर पर खोज और बचाव अभियान चलाने की घोषणा की है। कई शव अब भी तटीय इलाकों में बिखरे हुए हैं, जिन्हें एकत्र कर पहचान की जा रही है।

Yemen Accident : हादसे में केवल केवल 12 लोग ही बच पाए

यह हादसा यमन के तट पर हाल के वर्षों में प्रवासी नावों के डूबने की एक लंबी श्रृंखला की ताजा कड़ी है। अफ्रीकी प्रवासी, विशेषकर इथियोपिया और सोमालिया जैसे देशों से, गरीबी, संघर्ष और बेरोजगारी से बचने के लिए खाड़ी देशों की ओर खतरनाक यात्रा पर निकलते हैं। यमन, गृहयुद्ध के बावजूद, अफ्रीका से अरब देशों में जाने वाले प्रवासियों के लिए एक प्रमुख ट्रांजिट प्वाइंट बना हुआ है।

तस्कर अक्सर प्रवासियों को ओवरलोडेड और असुरक्षित नावों में लाल सागर और अदन की खाड़ी पार कराते हैं, जिससे इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। IOM के मुताबिक, केवल मार्च 2025 में ही यमन और जिबूती के तटों पर चार नाव हादसे हुए थे, जिनमें दो प्रवासी मारे गए थे और 186 लापता हो गए थे।

2024 में अब तक 60,000 से अधिक प्रवासी यमन पहुंचे हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 97,200 थी। हालांकि समुद्री निगरानी बढ़ी है, लेकिन प्रवासी नाव हादसों की रोकथाम अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सके दिशोम गुरु शिबू सोरेन? पढ़िए राजनीति की अनसुनी कहानी

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सके दिशोम गुरु शिबू सोरेन? पढ़िए राजनीति की अनसुनी कहानी
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सके दिशोम गुरु शिबू सोरेन? पढ़िए राजनीति की अनसुनी कहानी

रांची: झारखंड आंदोलन के प्रणेता, दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन के बाद उनकी जीवन यात्रा के कई अनसुने और महत्वपूर्ण किस्से एक-एक कर सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक प्रसंग है, जब झारखंड बनने के बाद भी वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। जबकि झारखंड आंदोलन में उनकी केंद्रीय भूमिका रही थी और जनमानस की भी यही चाहत थी कि नया राज्य बनने पर नेतृत्व की बागडोर उन्हीं के हाथों में दी जाए।

15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ और पहले मुख्यमंत्री बने भाजपा के बाबूलाल मरांडी। सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों शिबू सोरेन इस पद से वंचित रह गए?

झारखंड गठन के समय की राजनीतिक गणित

2000 के फरवरी में बिहार विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसके आधार पर ही झारखंड के लिए 81 विधानसभा सीटों का निर्धारण हुआ। इन सीटों में भाजपा के पास 32, राजद के पास 17, झामुमो के पास 12, कांग्रेस के पास 9 और जेडीयू के पास 7 सीटें थीं। भाजपा और जेडीयू ने मिलकर कुल 39 सीटें जुटाईं और कुछ निर्दलीयों व समता पार्टी के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया।

इस प्रकार एनडीए ने बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री बनाकर झारखंड में सरकार बना ली। वहीं झामुमो के पास बहुमत से बहुत दूर केवल 12 सीटें थीं, जिससे शिबू सोरेन के लिए मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं हो पाया।

बीजेपी और झामुमो के बीच की खींचतान

शिबू सोरेन ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से भी मुलाकात की थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से इनकार कर दिया और बाबूलाल मरांडी को अपना चेहरा घोषित किया।

बीजेपी ने झामुमो को सरकार में शामिल करने का प्रस्ताव भी दिया था, लेकिन दिशोम गुरु को सिर्फ मुख्यमंत्री पद चाहिए था, जिसे नकारे जाने पर उन्होंने एनडीए से दूरी बनाए रखी।

बाद के वर्षों में मुख्यमंत्री बनने के मौके

शिबू सोरेन को पहली बार 2005 में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, लेकिन 10 दिन में ही बहुमत सिद्ध न कर पाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा। 2008 और 2009 में वे दो बार और मुख्यमंत्री बने, लेकिन दोनों बार कार्यकाल बहुत अल्पकालीन रहे।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का सपना था कि झारखंड बनने के बाद वे उसके पहले मुख्यमंत्री बनें। लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों और आंकड़ों की कमी ने उनका यह सपना अधूरा छोड़ दिया। बावजूद इसके, उन्होंने झारखंड की राजनीति में अपनी गहरी छाप छोड़ी और आज उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं।

शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन का चेहरा, आदिवासी अस्मिता के प्रतीक और सामाजिक न्याय के संघर्ष की मिसाल बने रहेंगे। उनका योगदान अमर रहेगा।

सावन की आज आखिरी सोमवारी, शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की दिखी भारी भीड़

सावन की आज आखिरी सोमवारी, शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की दिखी भारी भीड़
सावन की आज आखिरी सोमवारी, शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की दिखी भारी भीड़

सासाराम/आरा/मोकामा/औरंगाबाद/मधेपुरा : सावन की आज यानी समोवार आखिरी सोमवारी है। पटना सहित बिहार के हर जिलों के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों में बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर रहे हैं। बिहार के सासाराम, भोजपुर और बाढ़ के शिवालय में ही भक्तों की सुबह से ही भारी भीड़ देखी जा रही है। श्रद्धालु लंबी-लंबी लाइन लगाकर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर रहे हैं। राजधानी पटना की मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी।

गुप्ता धाम शिवालय में 54 फीट का कावड़ लेकर कांवरियों का दल जलाभिषेक के लिए पहुंचा

रोहतास जिले में सावन के अंतिम सोमवारी के दिन चेनारी के कैमूर पहाड़ी पर स्थित गुप्ता धाम शिवालय में 54 फीट का कावड़ लेकर कांवरियों का दल जलाभिषेक के लिए पहुंचा है। इस 54 फीट के कांवर को उठाने के लिए 75 कावरियों का जत्था पहुंचा है। यह लोग अपने कांवर में भगवान शिवये, देवी पार्वती के अलावा देवी दुर्गा, देवी काली, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी और गणेश जी की भी प्रतिमा और तस्वीर सम्मिलित किए हुए हैं। इतना ही नहीं, कांवर में चांदी भी कई जगह जड़ित की गई है। शिव भक्तों की टोली गुप्तेशर धाम पैदल पहुंचे हैं।

कांवरिया का जत्था पटना से चेनारी पहुंचा है

आपको बता दें कि कांवरिया का जत्था पटना से चेनारी पहुंचा है। चेनारी से अदभुत कांवर लेकर लगभग 40 किलोमीटर पहाड़ी इलाकों और जंगलों से गुजरते हुए गुप्तेश्वर नाथ महादेव के गुफा में पैदल पहुंचकर जलाभिषेक कर रहे हैं। साथ में ढोल नगाड़ा भी लेकर भी चल रहे है। यह अद्भुत कांवर यात्रा को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ गई। बता दें कि कैमूर पहाड़ी के गुप्ता धाम शिवालय में सावन में विशेष जलाभिषेक की परंपरा है।

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आरा में सावन के अंतिम सोमवारी पर बुढ़वा महादेव में उमड़े श्रद्धालु, मंदिरों में लगी भक्तों की कतार

भोजपुर के आरा शहर में बुढ़वा महादेव मंदिर में गहरी आस्था है। सावन की अंतिम सोमवारी को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। सावन माह में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सोमवार का दिन भगवान शंकर को समर्पित होता है, जिस वजह से सावन के सोमवार का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। सावन के अंतिम सोमवार पर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जलाअभिषेक को लेकर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही है।

आरा में सावन के अंतिम सोमवारी पर बुढ़वा महादेव में उमड़े श्रद्धालु, मंदिरों में लगी भक्तों की कतार

बुढ़वा महादेव मंदिर की अपनी आस्था है, सच्चे मन से मन्नत मांगने पर पूरी होती है

आरा के बुढ़वा महादेव मंदिर की अपनी आस्था है यहां सच्चे मन से मन्नत मांगने पर पूरी होती है। इसे लेकर सावन की सोमवारी और महाशिवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की व्यवस्था रखी गई है। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ है। वहीं जिला प्रशासन और यहां मंदिर प्रशासन द्वारा सुरक्षा को लेकर विशेष तैयारी और व्यवस्था है। इस रास्ते में आने जाने वाले वाहनों को नो एंट्री कर दी गई है। यातायात पुलिस और जिला प्रशासन के कर्मी मौजूद है।

अंतिम सोमवरी को मोकामा के शिवालयों में आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा

सावन माह की अंतिम सोमवरी को मोकामा के शिवालयों में आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। हर तरफ शिव के जयकारे से मंदिर गुंजायमान हो उठा। सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी रही। भक्तों ने आखिरी सोमवारी को शिव पर जलाभिषेक किया और सुख-शांति की दुआ मांगी। मोकामा के सभी शिवालयों में भक्तों ने शिव की पूजा की। शिवनार के ऐतिहासिक नीलकंठ महादेव मंदिर में सूबे के कोने-कोने से आए भक्तों का तांता लगा रहा। कहा जाता है कि नीलकंठ महादेव के दर से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। भक्तों ने गंगाधर महादेव की भी पूजा अर्चना की। हर तरफ आखिरी सोमवरी की रौनक रही।

अंतिम सोमवरी को मोकामा के शिवालयों में आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा

सावन के अंतिम सोमवारी को एक निजी स्कूल के बच्चों ने बना दिया यादगार

औरंगाबाद में सावन के अंतिम सोमवारी को एक निजी स्कूल के बच्चों ने यादगार बना दिया। कांवरिया बन पांच किलोमीटर नंगे पांव चलकर भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाया और देश के सुख समृद्धि की कामना की। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर के टिकरी मुहल्ले स्थित एक विद्यालय के बच्चों की जिद थी कि विद्यालय की तरफ से उन्हें भी अन्य कांवरियों की तरह सुल्तानगंज से जल उठाकर बाबाधाम पहुंचे और भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाए।

सावन के अंतिम सोमवारी को एक निजी स्कूल के बच्चों ने बना दिया यादगार

परिजन और स्कूल प्रबंधन झुका और एक अलग ढंग से कांवर यात्रा प्रारंभ की

आपको बता दें कि बच्चों की जिद के आगे परिजन और स्कूल प्रबंधन झुका और एक अलग ढंग से कांवर यात्रा प्रारंभ की। शहर के ही टिकरी मोहल्ला के श्री वीर अखाड़ा के मंदिर में जाकर शिव भगवान को बच्चों ने जल चढ़वाया। इस दौरान बच्चों ने गेरुआ वस्त्र धारण कर स्कूल कैंपस से निकले और बोलबम का नारा लगाते हुए मंदिर तक पहुंचे। एक साथ सैकड़ों बच्चों को बोलबम का नारा लगाते देख शहरवासियों ने भी उनकी हौसला बढ़ाया। इस दौरान पूरा टिकरी रोड बोलबम के नारों से गूंज उठा।

अंतिम सोमवारी पर शिव भक्ति में डूबा शहर, शिव मंदिरों में जलाभिषेक को उमड़ा आस्था का सैलाब

हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा बिहार के प्रसिद्ध सिंहेश्वर धाम सहित मधेपुरा जिले के सभी इलाका। बता दें कि सावन की अंतिम (चौथी) सोमवारी पर मधेपुरा जिले के मुरलीगंज शिव मंदिर,गंगापुर शिव मंदिर सहित बिहार के प्रसिद्ध सिंहेश्वर धाम में पूरी तरह शिव भक्ति के रंग में डूबा रहा। ऐतिहासिक सिंहेश्वर शिव मंदिर में बाबा भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए सुबह से ही आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हर-हर महादेव के जयकारों के बीच भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं और लोगों ने बेलपत्र, पुष्प और एक लोटा जल अर्पित कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की।

श्रावण मास की अंतिम सोमवारी होने के कारण आज का दिन अति पावन है

मंदिर के पुजारी लाल बाबा ने बताया कि श्रावण मास की अंतिम सोमवारी होने के कारण आज का दिन अति पावन है। इस अवसर पर मंदिर में दुग्ध (दूध) और गन्ने के रस की धारा से विशेष रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। शाम को होगा बाबा का भव्य श्रृंगार। आज शाम सात बजे बाबा भोलेनाथ और मां पार्वती का विशेष श्रृंगार किया जाएगा, जो यहां का सबसे बड़ा आकर्षण होता है। उन्होंने कहा कि श्रृंगार के समय ऐसा प्रतीत होता है मानो भगवान शिव स्वयं कैलाश से उतरकर भक्तों को अपना स्नेह और आशीर्वाद दे रहे हों। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन कि तरफ से सभी शिव मंदिरों पर काफी संख्या में पुलिस पदाधिकारियों कि तैनाती की गई।

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सलाउद्दीन, नेहा गुप्ता, विकाश कुमार, रुपेश कुमार और रमण कुमार की रिपोर्ट

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Breaking : गुरुजी के निधन पर राहुल गांधी, सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने जताया शोक…

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Ranchi : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आज 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे शिबू सोरेन के निधन से पूरे झारखंड में शोक की लहर है। उन्होंने जीवनभर आदिवासी समाज, वंचितों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया।

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Breaking : गुरुजी एक प्रख्यात राजनेता थे-नीतीश कुमार

उनके निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, गुरुजी एक प्रख्यात राजनेता थे, जिनका झारखंड की राजनीति में अमूल्य योगदान रहा है। उनके निधन से देश की राजनीति और समाज दोनों को अपूरणीय क्षति पहुँची है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और परिजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य प्रदान करने की कामना की।

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Breaking : आदिवासी अधिकारों के लिए उनका योगदान ऐतिहासिक है-तेजस्वी यादव

राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, शिबू सोरेन गरीब, वंचित, उपेक्षित और मेहनतकश वर्गों की आवाज़ थे। सामाजिक न्याय और आदिवासी अधिकारों के लिए उनका योगदान ऐतिहासिक है, जिसे सदैव याद रखा जाएगा।

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Breaking : आदिवासी समाज की मज़बूत आवाज़ थे गुरुजी-राहुल गांधी

वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शिबू सोरेन के निधन को एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, सोरेन जी आदिवासी समाज की मज़बूत आवाज़ थे। उनके नेतृत्व में झारखंड आंदोलन ने दिशा पाई। उनके संघर्ष और समर्पण को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

शिबू सोरेन के निधन के बाद राज्य सरकार ने तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली से लेकर आएंगे गुरुजी शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर, शाम 6 बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचेगा शव

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली से लेकर आएंगे गुरुजी शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर, शाम 6 बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचेगा शव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली से लेकर आएंगे गुरुजी का पार्थिव शरीर, शाम 6 बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचेगा शव

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के महानायक गुरुजी शिबू सोरेन का निधन दिल्ली में हो गया है। वे पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से अस्वस्थ थे और दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज शाम 6 बजे उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली से विशेष विमान द्वारा रांची लाया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं दिल्ली से गुरुजी के पार्थिव शरीर के साथ रांची आएंगे। रांची एयरपोर्ट पर झारखंड सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उनका स्वागत किया जाएगा।

झारखंड के गुरुजी शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार :

एयरपोर्ट से गुरुजी के पार्थिव शरीर आम लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिसके बाद उसे उनके पैतृक गांव रामगढ़ जिले के नेमरा ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

 गुरुजी के निधन से झारखंड ही नहीं, पूरे देश में शोक की लहर है। उन्हें झारखंड आंदोलन के जननायक और आदिवासी अस्मिता की आवाज के रूप में जाना जाता है। उनके योगदान को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा राजकीय शोक की घोषणा की जा सकती है।

शिबू सोरेन के निधन पर मुख्यमंत्री ने व्यक्त की गहरी शोक-संवेदना, कहा- एक प्रख्यात राजनेता थे

शिबू सोरेन के निधन पर मुख्यमंत्री ने व्यक्त की गहरी शोक-संवेदना, कहा- एक प्रख्यात राजनेता थे
शिबू सोरेन के निधन पर मुख्यमंत्री ने व्यक्त की गहरी शोक-संवेदना, कहा- एक प्रख्यात राजनेता थे

पटना : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्ष के शिबू सोरेन किडनी से जुड़ी बीमारी के चलते पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की जानकारी के बाद पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद दिल्ली में मौजूद हैं और उस वक्त अस्पताल में ही थे, जब उनके पिता ने अंतिम सांस ली। सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन की जानकारी साझा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं, आज मैं शून्य हो गया हूं।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, नीतीश कुमार, लालू यादव, तेजस्वी, गिरिराज व चिराग ने दी श्रद्धांजलि

शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और सांसद पप्पू यादव सहित देश के तमाम पार्टी के नेता ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

मुख्यमंत्री नीतीश ने अपने शोक संदेश में कहा- स्व. शिबू सोरेन एक प्रख्यात राजनेता थे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि स्व. शिबू सोरेन एक प्रख्यात राजनेता थे। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे थे। झारखंड की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है। उनके निधन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति और उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

उनके ऐतिहासिक कार्यों को याद रखा जाएगा – तेजस्वी यादव

राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, कद्दावर नेता, गरीब वंचित उपेक्षित और मेहनतकश वर्गों के स्वर, आदिवासी अधिकारों के प्रबल पैरोकार अभिभावक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। सामाजिक न्याय और आदिवासी कल्याण के लिए किए गए उनके ऐतिहासिक कार्यों को सदैव याद रखा जाएगा।

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शिबू सोरेन न केवल एक राजनीतिक नेता के रूप में, बल्कि आदिवासी समाज के संरक्षक और संघर्षकर्ता के रूप में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी – गिरिराज सिंह

उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिबू सोरेन के निधन पर कहा कि न केवल एक राजनीतिक नेता के रूप में, बल्कि आदिवासी समाज के संरक्षक और संघर्षकर्ता के रूप में उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। उनका जीवन आदिवासी अस्मिता, राज्य निर्माण की आकांक्षा और सामाजिक न्याय की लड़ाई का प्रतीक रहा। उनके निधन से झारखंड एवं पूरे आदिवासी समाज ने एक महान नेता खो दिया है। उन्होंने भगवान से उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है – चिराग पासवान

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक्स पर लिखा है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। जनजातीय समाज के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्षों के लिए वो सदैव स्मरण किए जाएंगे। ईश्वर पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित उनके सभी परिजनों व शुभचिंतकों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!

मेरे लिए अत्यंत पीड़ादायक क्षण – पप्पू यादव

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने कहा कि झारखंड के निर्माता आदिवासी गौरव दिशोम गुरु शिबू सोरेन गुजर गए। यह झारखंड, देश और आदिवासी समाज की अपूरणीय क्षति है, मेरी पूरी संवेदना हेमंत, कल्पना सोरेन और झारखंड के उनके करोड़ों अनुयायियों के साथ है। मेरे लिए अत्यंत पीड़ादायक क्षण है। उनसे सदैव पिता तुल्य स्नेह मुझे मिलता था। मरांग बुरु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

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Breaking : “झारखंड की आत्मा गुरुजी”, दिशोम गुरु के निधन पर मंत्री योगेन्द्र प्रसाद, लुईस मरांडी और रामचंद्र सिंह ने जताया शोक…

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Ranchi : झारखंड आंदोलन के प्रणेता और पूर्व सीएम शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड में शोक की लहर है। आज विधानसभा में मानसून सत्र से पहले कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। गुरुजी के निधन पर मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने कहा कि शिबू सोरेन की मौत की सूचना बेहद दुखदायी है। एक तरह से हमारा आत्मा निकल गया। हमारे पार्टी के लिए और राज्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। भगवान उनको अपने चरणो में स्थान दे।

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Breaking : झारखंड की आत्मा गुरुजी बाबा पर बसती है-लुईस मरांडी

वहीं विधायक लुईस मरांडी ने कहा झारखंड की आत्मा गुरुजी बाबा पर बसती है। उनके जाने से गांव गवां में क्या परिस्थिति खड़ी होगी वह समझ से परे है। अभी थोड़े ही समय हुआ और हजारो लोगों का फोन आने लगा है। उन्होने इस राज्य के लिए राज्य के जनता के लिए और राज्य के खासकर आदिवासी लोग, दबे कुचले लोगो के लिए जो उन्होने किया वो जबतक झारखंड रहेगा उनको याद किया जाएगा।

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Breaking : झारखंड में गुरुजी से बड़ा कोई लीडर नहीं-रामचंद्र सिंह

विधायक रामचंद्र सिंह ने कहा कि झारखंड में गुरुजी से बड़ा कोई लीडर नहीं है। उनका देहांत राज्य के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। उन्ही की बदौलत आज झारखंड राज्य बना है।

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