डिजीटल डेस्क : Politics in UP BJP – भाजपा नेतृत्व की खास हिदायत – आपसी ब्लेमगेम बंद करें यूपी के भाजपा नेता, सत्ता और संगठन में खींचतान बरकरार। सियासत के खेल में दिल्ली के पहुंचने के रास्ते में एनडीए की अगुवा राजनीतिक पार्टी भाजपा को यूपी में जो धक्का बीते लोकसभा चुनाव 2024 में लगा उसने पार्टी के राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक अंदर से हिलाकर रख दिया है। हालात यह है कि अंदरखाने में मचे हायतौबा के सही वजह तलाशने और उस पर मरहम लगाने के अब तक के जारी प्रयास के बाद भी सबकुछ ठीक नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने हार कारणों के संबंध में यूपी के 40 हजार कार्यकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर 15 पेज की जो रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी है, उसमें निशाने पर सीधे पर प्रदेश की योगी सरकार है जिसपर केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का भरोसा अब भी पूर्ववत अटूट है। भाजपा के अंदर जारी राजनीति का सबसे अहम अप़डेट यह है कि केंद्रीय नेतृत्व ने यूपी में फिलहाल अपने नेताओं को आपसी ब्लेमगेम से पूरी तरह किनारा करने को कहा ताकि जमीनी स्तर पर संगठन में छाई मायूसी को छांटने के असली टॉस्क पर तेजी से काम शुरू हो।
भूपेंद्र चौधरी के 15 पेज वाले आंतरिक रिपोर्ट से सरकार – संगठन में हलचल
बता दें कि उत्तर प्रदेश से वर्ष 2014 में 71 सीट और वर्ष 2019 में 62 सीट जीतने वाली भाजपा को इस बार महज 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। यूपी में अपनी 29 लोकसभा सीटें हारने के चलते ही वर्ष 2024 में बहुमत के लिए भाजपा को लोकसभा में सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी की जरुरत पड़ी। इसी लखनऊ से दिल्ली तक लगातार जारी सियासी मंथन के बीच प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने शीर्ष नेतृत्व को आंतरिक रिपोर्ट सौंप दी है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने पीएम मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की और 40 हजार कार्यकर्ताओं के आधार तैयार की गई 15 पेज की रिपोर्ट पर चर्चा हुई। इसी चर्चा में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के नेताओं से सार्वजनिक बयान बंद करने और आगामी 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों पर ध्यान केंद्रित करने का आदेश दिया। उसी के बाद से यूपी भाजपा में सत्ता और संगठन के स्तर पर हलचल मची हुई दिख रही है। बताया जा रहा है कि उस आंतरिक रिपोर्ट पर अब भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व जल्द ही सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ विस्तार से चर्चा करने का मन बना चुका है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर यूपी में सरकार और संगठन के बीच जारी मौजूदा खींचतान का खुलकर जिक्र किया है। बीते दिनों भाजपा के यूपी प्रदेश कार्यसमिति में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या दोनों ने यूपी में खराब प्रदर्शन की अलग-अलग वजहें बताई, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के बयान को योगी सरकार के खिलाफ टिप्पणी के रूप में देखा गया। केशव प्रसाद मौर्या ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था तो सीएम योगी ने अति आत्मविश्वास को हार का कारण बताया था।
यूपी भाजपा में सरकार से संगठन तक में फेरबदल की हैं अटकलें
सरकार बनाम संगठन के बयानों के बाद जेपी नड्डा से केशव और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी की मुलाकात को एक धड़ा इस रूप में प्रचारित कर रहा है कि यूपी में कुछ बड़ा होने वाला है। यूपी में जिस तरह के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, उसके बाद संगठन से सरकार तक में सियासी सर्जरी होने का दावा किया जा रहा है। इसी क्रम में डिप्टी सीएम को लेकर दावा किया जा रहा है कि उन्हें सत्ता से अलग संगठन में जिम्मेवारी मिल सकती है और उसी क्रम में उनके नए यूपी भाजपा अध्यक्ष होने का भी कयास लगने लगे हैं। इस तब और बल मिला जब केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की टिप्पणियों पर उसी अंदाज में पलटवार किया जैसा कि वह प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान अखिलेश राज को लेकर किया करते थे। बता दें कि वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने भूपेंद्र चौधरी को पार्टी की कमान सौंपी थी और अभी उनके कार्यकाल पूरे होने में कुछ महीने ही बाकी रह गए हैं। इस तरह से पार्टी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही नए प्रदेश अध्यक्ष की भी ताजपोशी लगभग एकसाथ होने के भी कयासों का बाजार गर्म है। इस बीच पार्टी के भीतर से एक धड़ा यह भी बताने से नहीं चूक रहा कि केशव प्रसाद मौर्या संगठन के साथ ही सरकार में भी अपना रूतबा बरकरार रखना चाह रहे हैं और उनकी यह चाहत पूरी होगी या नहीं, आने वाले दिनों में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर तय होना है।
भाजपा में खटपट का मजा ले रहे विरोधी- फिर कौन बनने वाला है नया कल्याण सिंह
भाजपा के विधायक से लेकर सहयोगी दलों के नेताओं ने संगठन और सरकार पर खुलकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। इसी क्रम में उनके जुबान पर सीधे यूपी के अधिकारी और प्रशासन है लेकिन निशाने पर योगी सरकार है। इस तरह सरकार और संगठन के बीच दबी खींचतान अब सतह पर आ गई है तो विरोधियों की भी बांछें खिल गईं। सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सियासी मनमुटाव की चर्चा को लेकर विपक्षी दलों को भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। सपा और कांग्रेस इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने में जुटी हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि यूपी में भाजपा ने जो हश्र कल्याण सिंह का किया था और अब उसी फॉर्मूले को फिर से अपनाया जा रहा है। इस बार देखना होगा कि कौन कल्याण सिंह बनता है। इस बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केशव प्रसाद मौर्य का नाम लिए बगैर कह दिया है कि मानसून ऑफर है और 100 विधायक लाओ – सरकार बनाओ। एक दिन पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा में यह लड़ाई सीएम की कुर्सी को लेकर हो रही है।