रांची: झारखंड की राजनीति इस समय बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में एक ट्वीट करके अपनी स्थिति साफ की। बाबूलाल मरांडी के खिलाफ तंज कसते हुए सोरेन ने लिखा कि अगर विपक्षी नेता को लगता है कि युवाओं के मुद्दे पर कोई गड़बड़ी हुई है, तो वह उन्हें 50 साल तक की सजा दिलवा सकते हैं, और सोरेन ‘उफ’ तक नहीं करेंगे। क्या यह एक राजनीतिक शांति का संकेत है या फिर झारखंड की राजनीति में एक नए तूफान की आहट?
वहीं, चुनावी माहौल में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। 8 नवंबर को राहुल गांधी लोहरदगा में एक चुनावी सभा को संबोधित करने आ रहे हैं, जहां वह कांग्रेस के उम्मीदवार डॉक्टर रामेश्वर राव के लिए वोट मांगेंगे। गुलाम अहमद मीर का कहना है कि लोहरदगा ने हमेशा नेहरू-गांधी परिवार का समर्थन किया है, और अब समय आ गया है जब यह समर्थन पहले से भी कहीं अधिक बढ़े। क्या यह भरोसा सच में लोकल स्तर पर वोटों में तब्दील हो पाएगा?
झारखंड की राजनीति में सबकुछ हमेशा ‘साफ’ नजर नहीं आता। केंद्र की एजेंसियों की त्वरित सक्रियता से लेकर चुनावी सभाओं तक, हर कदम पर एक नई कहानी बन रही है। क्या यहां के नेताओं के पास सिर्फ राजनीति के खेल में ही महारत है, या फिर जनता के मुद्दों पर भी वही ‘चमत्कारी’ रणनीति अपनाई जा रही है?