Tuesday, July 1, 2025

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Post Election Campaign : पीएम मोदी अबकी कन्याकुमारी में लगाएंगे ध्यान

डिजीटल डेस्क : Post Election Campaign  – पीएम मोदी हो रहे लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का प्रचार खत्म होते ही ध्यान केंद्रित कर आराम करेंगे और केंद्रीय सत्ता की तीसरी पारी के लिए खुद को आध्यात्मिक रूप से तरोताजा करने को ध्यान लगाएंगे। पीएम मोदी का यह ध्यान वाला निजी कार्यक्रम इस बार दक्षिण भारत के कन्याकुमारी में होगा। मतगणना 4 जून को होना है और उनके निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा लेकिन 30 मई चुनाव प्रचार के थमते ही पीएम मोदी का मतगणना के दिन से पहले तक का व्यस्त निजी आध्यात्मिक प्रवास का शेड्यूल तय हो गया है। Post Election Campaign Post Election Campaign Post Election Campaign

Post Election Campaign – 31 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे पीएम मोदी 

पीएम नरेंद्र मोदी 30 मई को पंजाब के होशियारपुर में चुनावी रैली करेंगे। उसके बाद वह वहीं से सीधे तमिलनाडु जाएंगे। बताया जा रहा है कि वहां  रात्रि विश्राम के बाद पीएम मोदी 31 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे। वहां पर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर पीएम मोदी ध्यान लगाएंगे। बता दें कि पीएम मोदी वर्ष 2019 चुनाव के दौरान भी मतदान के आखिरी चरण के समय प्रचार थमते ही  केदारनाथ गए थे और वहां उन्होंने रुद्र गुफा में ध्यान लगाया था।

पीएम मोदी कन्याकुमारी में जिस विवेकानंद रॉक मेमोरियल में जाने वाले हैं, उसका भी अपना अलग महत्व है और अपनी अनूठे खासियतों के लिए जाना जाता है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल

पीएम मोदी का 31 मई और 1 जून को कोई ऑफिसयल प्रोग्राम नहीं

इस बार के चुनाव में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां की। उन्होंने दिन में 4-4 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। अब लोकसभा चुनाव-2024 अपने अंतिम पड़ाव पर है। सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी। इस चुनाव के लिए पीएम मोदी की आखिरी रैली 30 मई को होगी। पीएम मोदी 30 मई की सुबह 11 बजे पंजाब के होशियारपुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे।

उसी दिन आखिरी चरण के लिए चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। रैली के बाद पीएम मोदी के तमिलनाडु में ध्यान लगाने के लिए प्रवास का कार्यक्रम सामने आया है। पीएम मोदी के आधिकारिक कार्यक्रम में 31 मई और 1 जून का कार्यक्रम अभी जारी नहीं किया गया है। Post Election Campaign Post Election Campaign

शिकागो जाने से पहले इसी रॉक मेमोरियल पर स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान

पीएम मोदी कन्याकुमारी में जिस विवेकानंद रॉक मेमोरियल में जाने वाले हैं, उसका भी अपना अलग महत्व है और अपनी अनूठे खासियतों के लिए जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने के लिए अमेरिका के शिकागो गए थे। शिकागो में उन्होंने जो ओजस्वी भाषण दिया था, उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी। आज भी उनके उस भाषण की चर्चा होती है। कहा जाता है कि उस यात्रा से पहले स्वामी विवेकानंद ने 24 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी का दौरा किया था। Post Election Campaign Post Election Campaign

वहां पर समंदर के किनारे से लगभग 500 मीटर दूर पानी के बीच में उन्हें एक विशाल शिला दिखी। वो तैरकर वहां पहुंचे और ध्यान मग्न हो गए। आखिर में उन्हें अपने जीवन से जुड़े लक्ष्य और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान की प्राप्ति हुई और उसके बाद वह नरेंद्र से विवेकानंद बन गए। Post Election Campaign Post Election Campaign

विवेकानंद रॉक मेमोरियल का धार्मिक महत्व भी है

वर्ष 1970 में इस शिला के पास स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया। इसमें चार मंडप हैं। इस मंदिर की आर्किटेक्चर डीटेल एंटीक स्टाइल की है। इसके 70 फीट ऊंचे गुंबद को लाल और नीले ग्रेनाइट से तैयार किया गया है। ये स्थान 6 एकड़ में फैला है। यहां पर 4 फीट ऊंची प्लैटफॉर्म पर स्वामी विवेकानंद की बड़ी मूर्ति भी स्थापित की गई थी। कांसे से तैयार इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब साढ़े 8 फीट है।

इस चट्टान के साथ एक और कहानी जुड़ी है। बताया जाता है कि समंदर के पानी में स्थित इस चट्टान पर देवी कन्याकुमारी ने भगवान शिव की आराधना करते हुए तप किया था। उनके पैरों के निशान भी यहां पाए गए थे। इस वजह से ये जगह धार्मिक महत्व भी रखती है। स्मारक में एक सभा कक्ष भी है, जिसका नाम नमस्तुभ्यम जगदम्बा और सभा मंडपम है।

पिछले साल मार्च में राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी विवेकानंद रॉक मेमोरियल का दौरा किया था।
फाइल फोटो

एकता का प्रतीक भी है विवेकानंद रॉक मेमोरियल

कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानन्द का यह स्मारक- एकता और पवित्रता का एक अनूठा प्रतीक है, जो राष्ट्र की एकजुट आकांक्षा का एक और प्रतीक है। स्मारक में देश की समस्त स्थापत्य सुंदरता का सुखद और सौहार्द्रपूर्ण मिश्रण है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल एकता का भी प्रतीक है, क्योंकि पूरे देश ने इसके लिए काम किया और योगदान दिया। इसके उद्घाटन में सभी राज्यों से लोग शामिल हुए।

इस स्मारक को काच्ची कामकोटि पीठम के परमाचार्य ने डिजाइन किया था और उसके लिए चिन्मय मिशन के स्वामी चिन्मयानंद ने पहला दान दिया था। इसके लिए सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने योगदान दिया।

राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी कर चुकी हैं विवेकानंद रॉक मेमोरियल का दौरा

पिछले साल मार्च में राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी विवेकानंद रॉक मेमोरियल का दौरा किया था। वे उस समय केरल, लक्षद्वीप और तमिलनाडु के छह दिवसीय दौरे पर थीं। उन्‍होंने इस दौरे को एक यादगार अनुभव बताया था। भारत के तत्‍कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने 2 सितम्बर 1970 को रॉक मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यह स्वामी विवेकानंद के साथ-साथ एकान्तजी रानाडे का भी स्मारक है।

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