रांची: झारखंड में वर्ष 2023 में शुरू हुई 26 हजार सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में घिर गई है। हाल ही में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा मध्य विद्यालय में विज्ञान और गणित शिक्षकों के 5008 पदों पर नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया। लेकिन परिणाम आने के बाद चयन प्रक्रिया को लेकर कई अहम सवाल खड़े हो गए हैं।
आयोग ने कुल 5008 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की थी, लेकिन 2734 अभ्यर्थियों को ही दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया। इनमें से केवल 1661 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा की गई है। इस प्रकार लगभग 3347 पद खाली रह गए, जिस पर अभ्यर्थी नाराज हैं। वे पूछ रहे हैं कि जब इतनी बड़ी संख्या में पद खाली हैं, तो बाकी अभ्यर्थियों को क्यों बाहर कर दिया गया?
सबसे गंभीर सवाल यह है कि आयोग ने न तो प्राप्तांक (मार्क्स) जारी किए, न ही यह बताया कि किस आधार पर मेरिट तैयार की गई। अभ्यर्थियों का कहना है कि उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनकी नियुक्ति क्यों नहीं हुई। बिना मार्क्स बताए रिजल्ट जारी कर देना पारदर्शिता के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
इस बीच, रिजल्ट तैयार करने में ‘नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया’ को अपनाए जाने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। नॉर्मलाइजेशन एक तकनीकी प्रक्रिया है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों में आयोजित होती है, ताकि सभी परीक्षार्थियों को समान स्तर पर मूल्यांकन मिल सके। लेकिन अभ्यर्थियों का आरोप है कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली में नॉर्मलाइजेशन का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, फिर भी इसे लागू किया गया।
अब अभ्यर्थी आयोग से यह मांग कर रहे हैं कि रिजल्ट की पूरी प्रक्रिया को सार्वजनिक किया जाए, प्राप्तांक जारी किए जाएं और यह बताया जाए कि नॉर्मलाइजेशन को किस नियम के तहत अपनाया गया। अभ्यर्थियों ने इस पूरे मामले को लेकर कानूनी विकल्पों की भी बात की है।
इस मामले ने झारखंड में शिक्षा विभाग और जेएसएससी की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।