Ranchi: झारखंड सरकार की बहुचर्चित ‘मंईया सम्मान योजना’ को लेकर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है- जब योजना के खाते में महज 3000 करोड़ रुपए बचे हैं और दो महीने की स्वावलंबन राशि अब भी दी जानी है, तो आखिर यह वित्तीय बोझ सरकार कैसे उठाएगी?
राज्य सरकार की मंशा साफ है: “जनता को राहत और कल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता।” लेकिन जब सरकार हाल ही में 89 करोड़ रुपए के ओवर ड्राफ्ट (Ways and Means Advance) में गई और कुल बजट बोझ लगभग 1.45 लाख करोड़ है, तब इस सवाल का जवाब आसान नहीं लगता।
राजस्व वसूली पर फुल फोकस, हर सप्ताह निगरानी
मुख्यमंत्री कार्यालय की सीधी निगरानी में अब हर सप्ताह राजस्व वसूली की समीक्षा की जा रही है। मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार ने मुख्य सचिव अलका तिवारी को निर्देश दिया है कि वे हर हफ्ते वाणिज्य कर, खनन, परिवहन, उत्पाद, निबंधन, वन और जल संसाधन जैसे विभागों से वसूली की रिपोर्ट लें और उसे CMO को भेजें।
मई में 5400 करोड़ रुपए की आमदनी में से 89 करोड़ ओवर ड्राफ्ट में कट गया और 5100 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। जून में केंद्र से फिर 5400 करोड़ रुपए मिलने से थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन फाइनेंशियल बैलेंस की रस्साकशी जारी है।
मंईया सम्मान योजना को चाहिए 16,000 करोड़, पर बचा क्या है?
2025-26 के लिए बजट में ‘मंईया सम्मान योजना’ पर अनुमानित खर्च 16,000 करोड़ रुपए रखा गया है। यह राशि स्वरोजगार, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी है। लेकिन फिलहाल खाते में सिर्फ 3000 करोड़ बचे हैं, जबकि दो महीने की राशि लंबित है।
योजना के ठहराव का सीधा असर महिलाओं और जरूरतमंदों पर पड़ेगा, जिन्हें यह स्कीम राहत देती है। अगर नई राशि जल्द नहीं आती, तो यह स्कीम अधर में लटक सकती है।
बजट का गणित और सरकार की चुनौती
फ्री-बीज योजना: 33,250 करोड़ रुपए
सामाजिक क्षेत्र (Social Sector): 62,840 करोड़ रुपए (बजट का सबसे बड़ा हिस्सा)
सामान्य क्षेत्र: 37,884 करोड़ रुपए
आर्थिक क्षेत्र: 44,675 करोड़ रुपए
राज्य को स्वयं जुटाने हैं: 74,667.92 करोड़ रुपए
100% केंद्रीय योजनाएं: सिर्फ 2,908.98 करोड़
ऐसे में जब इतनी बड़ी रकम जुटानी बाकी है, और कुछ योजनाओं के लिए पैसा पहले ही कम पड़ रहा है, तो यह देखना अहम होगा कि सरकार किस तरह आमदनी बढ़ाकर वादे पूरे करती है।