पटना : जिस तरह से पिछले दो जनवरी से जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठे थे। उसके बाद उन्हें चार दिनों बाद पटना पुलिस ने सोमवार की सुबह पटना के गांधी मैदान से जबरदस्ती उठाकर पटना के सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लेकर गई। उसके बाद पूरे ड्रमेटिक तरीके से पटना के बेउर जेल और फिर देर शाम उन्हें बेउर जेल से रिहा किया गया। इसके बाद राजद ने प्रशांत किशोर और एनडीए की मिली भगत बताई है।
राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि प्रशांत किशोर का पूरा फर्जीवाड़ा अब खुल गया है। चाहे वह लग्जरी वैनिटी वैन हो या फिर भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ सानिध्य का सवाल हो। पूरे मामले में एक सत्याग्रह को भड़काने की कोशिश की प्रशांत किशोर का इस्तेमाल सत्ता के लोगों के द्वारा किया गया। इतना ही नहीं प्रशांत किशोर का इस्तेमाल करते हुए बीपीएससी के अभ्यर्थियों को गांधी मैदान में भी पिटवाया गया। जब राष्ट्रीय जनता दल ने सवालों की झड़ी लगाई तो रातों-रात इसको उठा लिया गया। जब न्यायालय में इसको ले जाया गया उस वक्त भी उदंडता सामने आई। एसपी से तू-तड़क की बातें भी सामने आई है, इसके फैसले पर पुनर्विचार किया गया।
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प्रशांत किशोर के लिए दिए गए फैसले पर अगर न्यायिक विचार होता है तो कल्पना कर सकते हैं कि दिल्ली से लेकर पटना तक सत्ता किस तरह से प्रशांत का इस्तेमाल कर रही है। प्रशांत किशोर नोट छापते हैं और वोट काटने का काम करते हैं। बिहार का पिछड़ा और दलित पिछड़ा इस बातों को समझ रहा है। अगर प्रशांत किसी अति पिछड़ा समाज से होते तो क्या निर्णय बदले जाते। परिवहन विभाग में प्रशांत किशोर के सारे फर्जीवाड़े को सामने रख दिया। ऐसे लोग लोकतंत्र के लिए घातक हैं। यह लोग लोकतंत्र का मजाक बनाकर रख रहे हैं। यह अभी तक कह रहे हैं कि हम सत्याग्रह आंदोलन कर रहे हैं। उसका तो सारा फर्जीवाड़ा खुलकर सामने आ गया। प्रशांत किशोर भाड़े पर काम करने वाले भाड़े के टट्टू हैं।
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महीप राज की रिपोर्ट