BHAGALPUR: गंगा विलास क्रुज के भागलपुर पहुंचने पर विदेशी सैलानियों का जोरदार स्वागत किया गया. सैलानियों ने भागलपुर की ऐतिहासिक धरोहरों को देखा.
![डॉल्फिन की अटखेलियां देख अचंभित हुए गंगा विलास के सैलानी 1 22Scope News](https://22scope.com/wp-content/uploads/2023/01/dolfin.jpg)
क्रूज देवभूमि काशी से भागलपुर के उत्तरवाहिनी गंगा, सुलतानगंज के अजगैबीनाथ धाम रुकी जहां सैलानियों का भव्य स्वागत किया गया. सैलानियेां ने गंगा किनारे रचे-बसे सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक प्रगति को देखा. साथ ही उन्होंने गंगा में डॉल्फिन की अटखेलियों को भी देखा. डॉल्फिन की अटखेलियों को देख सैलानी काफी अचंभित हुए. उन्होंने कहा कि इस यात्रा का यह सबसे सुखद पहलू है.
![डॉल्फिन की अटखेलियां देख अचंभित हुए गंगा विलास के सैलानी 2 22Scope News](https://22scope.com/wp-content/uploads/2023/01/ganga-cruise-2.jpg)
जर्मनी और स्वीटरजरलैंड के 31 सैलानी पहुंचे बटेश्वर स्थान
जर्मनी और स्वीटरजरलैंड के के 31 सैलानी बटेश्वर स्थान पहुंचे जहां सुल्तानगंज में पहाड़ी
पर जहनु ऋषि के आश्रम और शीला पर उकेरे और बनाए गए मूर्तियों का अवलोकन किया.
धरोहरों और सामाजिक प्रगति को दिखाने का प्रयास
![डॉल्फिन की अटखेलियां देख अचंभित हुए गंगा विलास के सैलानी 3 22Scope News](https://22scope.com/wp-content/uploads/2023/01/bhagalpur-cruise.jpg)
गंगा विलास क्रुज को काफी आकर्षक ढंग से देश के कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है. जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस क्रुज के माध्यम से देश की धरोहरों और है सामाजिक प्रगति को दिखाने के प्रयास से इको टूरिज्म की शुरुआत भारत सरकार द्वारा की गई है.
स्कूली बच्चों और राजनीतिक दलों के लोगों ने किया सौलानियों का स्वागत
विलास क्रूज़ के कहलगाँव बटेश्वर स्थान पहुंचने पर स्कूली बच्चों
और कई राजनीतिक दलों के लोगों ने स्विट्जरलैंड और जर्मनी सैलानियों
का स्वागत किया. कड़ी सुरक्षा के बीच यहाँ से सभी सैलानी प्राचीन धरोहर
विक्रमशिला विश्विद्यालय पहुंचे। यहां ऐतिहासिक अवशेषों को
देख भाव विभोर हुए. सैलानी तिब्बत मन्दिर, मुख्य स्तूप,
छात्रावास परिसर व खुदाई स्थलों से रूबरू हुए.
सैलानियों के साथ चल रहे ट्रांसलेटर सब्यसाची ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बारे में बारीकी से जानकारी दी.
बता दें कि अब तक कि यात्रा में भागलपुर ऐसा जिला रहा जहां गंगा
विलास क्रूज दो स्थानों पर रुकी. जर्मनी और स्विट्जरलैंड से आए
सैलानियों ने कहा हम लोगों ने वाराणसी से चलने के बाद
सबसे सुखद अनुभूति भागलपुर में की है वहीं उन्होंने डॉल्फिन की अठखेलियां अजगैविनाथ का पहाड़ व प्राचीन विश्वविद्यालय विक्रमशिला को देखकर काफी खुश दिखे.