आम चुनाव 2024 के पहले चरण में 60.03 फीसदी ने डाले वोट, त्रिपुरा में सबसे ज्यादा तो बिहार में सबसे कम वोटिंग

डिजीटल डेस्क : आम चुनाव 2024 के पहले चरण की 102 सीटों पर शुक्रवार को औसतन करीब 60 प्रतिशत मतदान होने की पुष्टि हुई है। छत्तीसगढ़, मणिपुर और पश्चिम बंगाल के कुछ स्थानों पर हुई हिंसक घटनाओं को छोड़कर बाकी हिस्सों में शांतिपूर्ण ढंग से वोट पड़े। तेज गर्मी के बाद भी लोगों ने घरों से निकलकर जमकर मतदान किया। पसंदीदा सरकार चुनने के लिए मतदाताओं में सबसे ज्यादा जागरूकता पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में दिखी तो सबसे कम बिहार में। त्रिपुरा में 79.9 (करीब 80) फीसदी मतदान हुआ और वोटिंग प्रतिशत के लिहाज से यह नंबर एक पर रहा। इस लिहाज से दूसरे स्थान पर रहे पश्चिम बंगाल में करीब 77 प्रतिशत हुई है जबकि सबसे कम वोटिंग बिहार में 47.49 प्रतिशत हुई। दिल्ली की सत्ता का जिस उत्तर प्रदेश होकर जाने की बात सियासी गलियारे में बड़े जोरशोर से होती है, उसी यूपी में 57.61 प्रतिशत ही मतदान हुआ जबकि उत्तराखंड में 53.64 और छत्तीसगढ़ में करीब 63 प्रतिशत वोटिंग हुई। मोटे तौर पर पहले चरण में औसतन करीब 60.03 प्रतिशत वोटिंग हुई है।

गत आम चुनाव में 67.4 फीसदी हुई थी वोटिंग

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में कुल 67. 40 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2019 के कुल चरणों की औसत वोटिंग 67 फीसदी रही थी। मतदान को लेकर मतदाताओं का सबसे खास रुझान जम्मू. कश्मीर से देखने को मिला जहां अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार आम चुनाव हुए। वहां मतदान को लेकर लोग इस कदर उत्साहित दिखे कि अचानक से सुबह हुई बारिश के बाद भी मतदान केंद्रों में लाइनों में लगे रहे। चुनाव आयोग ने जम्मू. कश्मीर के मतदाताओं के इस उत्साह को जमकर सराहा भी है। इसके साथ ही लंबे समय से जातीय संघर्ष से घिरे मणिपुर में भी मतदाताओं ने मतदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जहां करीब 67 प्रतिशत मतदान हुआ है।

नौ मंत्रियों समेत 1625 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद

इसी के साथ पहले चरण के इस चुनावी दंगल में मैदान में उतरे 1625 प्रत्याशियों की किस्मत भी ईवीएम में कैद हो गई है। इनमें 134 महिला उम्मीदवार भी हैं। नतीजे 4 जून को आएंगे। पहले चरण में नौ केंद्रीय मंत्रियों की किस्मत भी दांव पर लगी है। इन मंत्रियों में नागपुर से चुनाव लड़ रहे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, अलवर से चुनाव मैदान में उतरे पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, डिब्रूगढ़ सीट से मैदान में उतरे आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल पश्चिम में चुनाव लड़ रहे पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू, राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट से चुनाव लड़ रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, मत्स्य पालनए पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान, ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक शामिल हैं।

राजस्थान में वोटिंग प्रतिशत पिछली बार से घटा, भाजपा खेमे में चिंता

राजस्थान में वोट प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में इस बार कम रहा है। गत बार राजस्थान में लगभग 67 प्रतिशत की वोटिंग हुई लेकिन इस बार रात 9 बजे तक निर्वाचन विभाग प्रदेश में वोटिंग के आंकड़े अपडेट करने के दौरान तक राजस्थान में वोटिंग 56.79 प्रतिशत ही रही। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि वोट प्रतिशत में यह गिरावट किसके लिए खतरे की घंटी बजा रही है। क्या वोटों की गिरावट सिर्फ भाजपा के जीत के मार्जिन को ही कम करेगी या फिर सीटें भी इधर-उधर होंगी। पहले चरण में जिन 12 सीटों पर मतदान हुए उनमें कई सीटें पहले ही टफ बताई जा रही थीं। अब वोटिंग प्रतिशत कम रहने से मुकाबला और भी ज्यादा कड़ा नजर आ रहा है। अब से कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो राजस्थान में रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी। प्रदेश की 200 सीटों पर 74.62 प्रतिशत वोट पड़े थे। असर ये हुआ कि भाजपा सत्ता में आई। अब लोकसभा चुनावों में वोटिंग कम रही तो कहीं न कहीं ये सत्ताधारी पार्टी के लिए बड़े खतरे का संकेत है। राज्य में परंपरागत रूप से वोटिंग कम रहती है तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलता रहा है। वोटिंग बढ़ने का फायदा हमेशा भाजपा को मिला है।

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