Ranchi– झारखंड में मौसम का मिजाज पल-पल बदल रहा है. बहुत कुछ झारखंड की राजनीति के मिजाज सा, गर्मी जितनी ज्यादा है, उससे कम पारा झारखंड की राजनीति का भी नहीं चढ़ा हुआ है.
राज्यसभा चुनाव को लेकर झामुमो के प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं. माफ कीजिएगा, यह मेरा आकलन नहीं. दरअसल कांग्रेस के नेताओं के बयान इस बात की तस्दीक कर रहे हैं.
कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे, झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा राज्यसभा प्रत्याशी दिए जाने को राष्ट्रीय अध्यक्षा के अपमान से जोड़ रही हैं, तो विधायक डॉक्टर इरफान अंसारी ने ट्वीट किया “पत्थर तो हज़ारों ने मुझे मारे थे, मगर जो दिल पर आकर लगा वह एक दोस्त ने मारा था।”
पत्थर तो हज़ारों ने मारे, मगर जो दिल पर आकर लगा वह दोस्त का था
उनके दर्द को समझा जा सकता है. राज्यसभा के लिए वो अपने पिता फुरकान अंसारी के लिए प्रयासरत थे. दर्द तो उन सब को भी हो रहा होगा, जिन्होंने उच्च सदन तक पहुंचने का सपना देखा था. प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर सहित कांग्रेस के कार्यकर्ता खुद को अपने सहयोगी दल के हाथों छला महसूस कर रहे हैं.
जेएमएम के कैंडिडेट देने से गुस्से में कांग्रेस
तो क्या सरकार के ऊपर सच में संकट के बादल छा गए हैं? बादल गरज भी रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह बरसेंगे भी? मौसम के अनुभव से जो मैंने सीखा है या आप भी देख रहे होंगे कि आसमान पर बादल छाते हैं. जब तब गरज भी जाते हैं. लगता है झमाझम बारिश होगी.
लेकिन जब झमाझम बारिश नहीं होती तो अनुभवी लोग कहते हैं छींटे तो जरूर पड़ेगे. लेकिन जब वह भी नहीं पड़ते तो उन महाज्ञानी की बात याद आ जाती है जो यह कहते थे कि “गरजने वाले बादल बरसते नहीं”
बरसे भी कैसे? गिन चुनकर चार राज्य हैं जिनमें दो सहयोगी दलों के भरोसे हैं. अगर एक भी खिसका तो झोली से एक और राज्य गया. ऐसे में क्या कांग्रेस पार्टी कोई बड़ा फैसला लेगी? चलिए इस लाइन को थोड़ा और करेक्ट करते हैं. क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी यह फैसला ले सकती है?
इसका जवाब तो कांग्रेस पार्टी ही देगी। इधर झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखदेव भगत ने ट्विटर पर लिखा “निर्णय कठोर लिए जाते हैं, कायर समर्पण करते हैं।”
सुखदेव भगत के शब्द कठोर हैं. भाव साहसिक.
लेकिन राजनीति में फैसले भावना पर नहीं, यथार्थ को सम्मान देते हुए लिए जाते हैं.
इन सब को समझें, बुझें तो कह सकते हैं मौसम अभी तुरंत बदलने वाला नहीं। अलबत्ता आसमान पर काले बादल छाएंगे आप उसे छाते हुए देखेंगे भी. हो सकता है उन बादलों की गर्जना, आपके कान के सिग्नल रिसीव भी कर रहे हों, लेकिन उन बादलों के बरसने की संभावना फ़िलवक्त दिख नहीं रही.
विश्लेषण:- राकेश रंजन कटरियार