‘जदयू को दे रहे हैं नसीहत, राजद को खुद नहीं पता झारखंड कब हुआ था अलग’

पटना : जदयू प्रवक्ताओं द्वारा आज किए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने हमला किया। उन्होंने कहा है कि प्रेस के सामने कुछ बोलने के पहले उन्हें अच्छी तरह से होमवर्क कर लेना चाहिए था। राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग 2020 में बिहार के बंटवारे के समय से हीं की जा रही है। उस समय बिहार में राजद की सरकार थी और केंद्र में एनडीए की सरकार थी। जिसमें नीतीश कुमार मंत्री थे। उसी समय उतर प्रदेश से अलग होने पर उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।

25 अप्रैल 2000 को बिहार विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा गया था। तीन फरवरी 2002 को दीघा-सोनपुर रेल सह सड़क पुल के शिलान्यास के अवसर पर गांधी मैदान की सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग सार्वजनिक रूप से की थी जिसे वाजपेई जी ने उचित मांग बताते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन भी दिया था। पुन: तत्काल दो अप्रैल 2002 को बिहार विधानसभा में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र को भेजा गया।

16 मई 2002 को राजद सांसद स्व. डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा नियम 193 दिए गए नोटिस पर लोकसभा में चर्चा हुई जिसका सभी दलों ने समर्थन किया था। इसके बावजूद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया गया और उस फाईल को हीं क्यों बंद कर दिया गया इसका सही जवाब तो नीतीश हीं देंगे। 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हीं सार्वजनिक मंचों से यह वादा किया था कि केन्द्र में उनकी सरकार बनने पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। दोनों बार उनकी सरकार बनी और फिर इस बार जदयू के समर्थन से हीं उनकी सरकार बनी है तो अब जदयू इस मांग से भाग क्यों रही है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू प्रवक्ताओं द्वारा यूपीए एक की सरकार के समय बिहार को क्या मिला, इस पर सवाल उठाया गया है तो उन्हें यह याद रखना होगा कि नीतीश जी की 2005 वाली सरकार की जो उपलब्धि बताई जा रही है वह वास्तविक रूप से केन्द्र की यूपीए एक सरकार की उपलब्धि थी। लालू घाटे में चल रहे रेलवे को 90,000 करोड़ का मुनाफा दिया जबकि इतिहास में पहली बार रेलवे का किराया कमाया गया, रेलवे में यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई। बिहार में तीन – तीन रेलवे कारखाने (मढ़ौरा, बेला एवं मधेपुरा) खोले गए। पीएमजीएसवाई के तहत 36,000 किमी सड़क निर्माण के लिए राशि दी गई।

गाडगिल फार्मूले के तहत 1822 मेगावाट बिजली प्रतिदिन दी गई।उरमा कोल ब्लॉक आवंटित की गई। केन्द्र द्वारा बिहार को प्रतिवर्ष मिलने वाली राशि को एक हजार करोड़ से बढ़ाकर दो हजार करोड़ कर दिया गया। बारहवीं पंचवर्षीय योजना योजना अंतर्गत 24000 करोड़ दिए गए। बीआरजीएफ योजना में बिहार के सभी जिलों को शामिल किया गया। फूड फॉर वर्क, मनरेगा, सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति योजना, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, इन्दिरा आवास योजना में प्रचुर मात्रा में राशि उपलब्ध कराई गई। केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में 90 प्रतिशत केन्द्रीय अनुदान दिया गया। जदयू के प्रवक्ता को बताना चाहिए कि जबसे केन्द्र में मोदी की सरकार बनी है कितनी राशि बिहार को दिया गया है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि जदयू प्रवक्ताओं ने जाती जनगणना का सवाल उठाया है तो उन्हें जान लेना चाहिए कि 2000 में केन्द्र में एनडीए की सरकार थी पर जनगणना नहीं कराई गई थी। जब 2010 में जनगणना हुआ तो लालू प्रसाद जी , मुलायम सिंह एवं शरद यादव के मांग पर हीं जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराई गई थी। जिसका अन्तिम गणना आने के समय केन्द्र में मोदी जी की सरकार बन गई थी। जिसके द्वारा उसे जारी नहीं किया गया। बिहार में तेजस्वी के पहल पर हीं जाती गणना कराई गई, यह बात तो प्रधानमंत्री से मिल कर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के बाहर निकलने पर नीतीश जी खुद प्रेस के सामने बोल चुके हैं। जदयू प्रवक्ताओं ने नौकरी देने पर भी जो बयान दिया है उसके बारे में पुरा देश जानता है कि तेजस्वी जी द्वारा नौकरी देने के वादे पर मुख्यमंत्री क्या बोलते थे।

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अविनाश सिंह की रिपोर्ट

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