डिजिटल डेस्क: लोकसभा में बोले PM Modi – महाकुंभ में निकला एकता के अमृत का पवित्र प्रसाद…। लोकसभा में मंगलवार को PM नरेंद्र Modi महाकुंभ के आयोजन को लेकर अपना अहम संबोधन दिया।
PM Modi ने अपने संबोधन के दौरान लोकसभा में मंगलवार को कहा कि – ‘…महाकुंभ से ‘एकता का अमृत’ और कई अन्य अमृत निकले हैं। महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं और एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है।
…महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए और ‘अहम्’ त्याग कर ‘वयम्’ के भाव से प्रयागराज में जुटे। देश के इतिहास में कई ऐसे पल आए हैं जिन्होंने देश को नई दिशा दी और देश को झकझोर कर जागृत कर दिया।
…प्रयागराज महाकुंभ एक ऐसा अहम पड़ाव है जिसमें जागरूक होते देश का प्रतिबिंब नज़र आता है। भारत में महाकुंभ का उत्साह दिखा। सुविधा और असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए कोटि कोटि श्रद्धालु जुटे, यह हमारी ताक़त है।’
‘महाकुंभ ने आशंकाओं को दिया उचित जवाब…’
PM Modi ने आगे कहा कि – ‘…महाकुंभ में हमने अपनी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए हैं। यह हमें नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करती है। महाकुंभ ने उन शंकाओं और आशंकाओं को उचित जवाब दिया है जो हमारे सामर्थ्य को लेकर कुछ लोगों के मन में रहती हैं।
…मानव जीवन के इतिहास में ऐसे कई मोड़ आते हैं, जो पीढ़ियों को दिशा देते हैं। महाकुंभ के आयोजन के दौरान लोग सुविधा-असुविधा की चिंता छोड़कर इसमें शामिल हुए। पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ने का क्रम जारी है।
…आज भारत का युवा अपनी परंपरा अपनी आस्था और परंपरा को गर्व के साथ अपना बना रहा है। एक देश के रूप में हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का भरोसा बढ़ा। अपने विरासत से जुड़ने की परंपरा आज के भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।
…युवा पीढ़ी भी पूरे भाव से महाकुंभ से जुड़ी। महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को जवाब मिला है। देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी है। महाकुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा।
…हमें इस बारे में जरूर सोचना चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ में आएगा और नदियों की साफ-सफाई के साथ-साथ नदियों की रक्षा भी होगी।’


PM Modi : महाकुंभ भारत के इतिहास में अहम मोड़
PM Modi यहीं नहीं रुके। PM Modi ने आगे कहा कि – ‘…संपन्न हुआ महाकुंभ भारत के इतिहास में अहम मोड़ है। प्रयागराज महाकुंभ एक ऐसा अहम पड़ाव है जिसमें जागरूक होते देश का प्रतिबिंब नज़र आता है।
…देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी है। दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप था। …जिस तरह से गंगा को लाने के लिए भगीरथ प्रयास हुआ था उसी तरह का महाप्रयास महाकुंभ में दिखाई दिया।
…मैंने लाल किले से ‘सबका प्रयास’ पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के माध्यम से भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। …‘सबका प्रयास’ का यही साक्षात स्वरूप है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर कोने से आए लोग एक हो गए और ‘अहम्’ त्याग कर ‘वयम्’ के भाव से प्रयागराज में जुटे।
…महाकुंभ में छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं था। यह दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे अंदर रचा बसा है। यह हमारी ताक़त है।’


‘महाकुंभ के लिए सभी कर्मयोगियों-प्रयागराजवासियों विशेष धन्यवाद…’
लोकसभा में मंगलवार को महाकुंभ पर बोलते हुए PM Modi ने बिना नाम लिए एक साथ सियासी विरोधियों को साधा।
अपने चिर-परिचित अंदाज में PM Modi ने कहा कि – ‘…दुनिया को महाकुंभ ने विराट स्वरूप दिखाया। भारत की नई पीढ़ी महाकुंभ से जुड़ी और यह युवा पीढ़ी आज गर्व के साथ अपनी आस्था और परंपराओं को अपना रही है।
…एक देश के रूप में हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का भरोसा बढ़ा। …अपने विरासत से जुड़ने की परंपरा आज के भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।


…आज मैं इस सदन के माध्यम से देशवासियों को नमन करता हूं जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ है। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है…। मैं सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। …मैं देश भर के श्रद्धालुओं, उत्तर प्रदेश व विशेष रूप से प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।
…स्वामी विवेकानंद के शिकागो सर्वधर्म सम्मेलन में दिए गए भाषण, गांधीजी के ‘दांडी मार्च’ और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ‘दिल्ली चलो’ का नारा देने जैसे ऐतिहासिक अवसरों जैसा ही अवसर महाकुंभ का था। जैसे गंगा को लाने के लिए भगीरथ प्रयास लगे, वैसे ही महाकुंभ भी सबके प्रयासों का प्रतीक है।
…पिछले वर्ष अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने हम सभी को यह अहसास कराया कि देश अगले 1000 वर्षों के लिए कैसे तैयार हो रहा है। इस वर्ष महाकुंभ ने हमारी सोच को और मजबूत किया है, तथा देश की सामूहिक चेतना हमें देश के सामर्थ्य के बारे में बताती है।
…मैं पिछले सप्ताह त्रिवेणी का पवित्र जल मॉरीशस लेकर गया था, जब उस जल को वहां के गंगा तालाब में प्रवाहित किया गया तो वहां बहुत ही उत्साह और आस्था का माहौल था। …जब महाकुंभ के पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया तो श्रद्धा और उत्सव का माहौल देखने लायक था।’
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