Tuesday, August 5, 2025

Related Posts

बिहार कांग्रेस में कुछ होने वाला है बड़ा, आने वाले हैं नए प्रभारी

पटना : इस वर्ष साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए भी बेहद अहम है। पिछले विधानसभा चुनाव के निराशाजनक प्रदर्शन से पार्टी को बाहर निकाल कर सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन, यह तभी संभव है जब कांग्रेस को चुनाव लडऩे के लिए पर्याप्त सीटें मिलें। परंतु महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद की दो टूक है कि विधानसभा में सीटें निर्धारित हैं। ठोंक बजा कर ही सीटों का बंटवारा होगा। राजद का संदेश सहयोगी दल वीआइपी, वामदल के साथ ही कांग्रेस के लिए भी है। लेकिन, कांग्रेस भी इस बार झुकने को तैयार नहीं। लिहाजा उसने रणनीति के तहत सहयोगी दलों पर दबाव के लिए अभी से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मैदान में उतार दिया है।

अब कांग्रेस के बड़े नेताओं को दिल्ली से भेजा जा रहा बिहार

कांग्रेस की इसी रणनीति के तहत उसके वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं का बिहार दौरा शुरू हो गया है। जिसकी शुरुआत खुद पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने की। राहुल गांधी 18 दिनों के अंतराल पर अब तक दो बार बिहार आ चुके हैं। अब एक बार फिर उनके बिहार आने की चर्चा है। हालांकि राहुल कब आ रहे हैं इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। राहुल गांधी के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 22 फरवरी को बिहार आ रहे हैं। 22 के बाद वे 28 फरवरी को फिर बिहार आएंगे। खरगे के अलावा युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी और बिहार कांग्रेस के प्रभारी बनाए गए कृष्णा अलावरु गुरुवार 20 फरवरी को बिहार आएंगे।

यह भी देखें :

अलावरु के साथ अलका लांबा आज पहुंच रही बिहार

अलावरु के साथ ही राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा आज बिहार पहुंच रही हैं। बुधवार की देर शाम वे पटना पहुंच रही हैं और अगले चार दिनों यहीं रहेंगी। इसके बाद अन्य नेताओं के आने-जाने का सिलसिला शुरू होगा। बड़े नेताओं की इस आवाजाही भले ही कांग्रेस कोई और वजह बताए लेकिन, समझने वाले इसकी हकीकत समझ रहे हैं। कांग्रेस जानती है कि राजद से सीटें प्राप्त करना उसके लिए आसान नहीं होगा। पिछले कई चुनाव इसके बेहतर उदाहरण रहे हैं। लेकिन अब कांग्रेस समझौते के मूड में नहीं।

क्षेत्रीय दलों के लिए जरूरी के साथ मजबूरी भी है कांग्रेस

आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनावों ने यह संदेश दिया है कि क्षेत्रीय दलों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन कितना जरूरी है। कांग्रेस का खाता नहीं खुला परंतु छह प्रतिशत से अधिक वोटों के साथ कांग्रेस ने यह जरूर बता दिया कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के लिए जरूरी के साथ मजबूरी भी है। यदि कांग्रेस का साथ नहीं दिया तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप जैसा हाल होने में देर नहीं लगेगी।

यह भी पढ़े : Breaking: के राजू बने झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी, 9 राज्यों के बदले इंचार्ज

विवेक रंजन की रिपोर्ट

127,000FansLike
22,000FollowersFollow
587FollowersFollow
562,000SubscribersSubscribe