डिजिटल डेस्क। SpaDeX docking mission : इतिहास रचने के करीब है ISRO। इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX mission) के साथ इतिहास रचने जा रहा है। इसमें शामिल दो सैटेलाइट अब ऑर्बिट में महज 15 मीटर की दूरी पर स्थित है।
Highlights
SpaDeX docking mission का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करना है, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है। ये mission अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 की सफलता तय करेगा। इस mission में एक सैटेलाइट दूसरे सैटेलाइट को पकड़ेगा और डॉकिंग करेगा। इससे ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग करना भी संभव हो सकेगा।
SpaDeX के सफल डॉकिंग के बाद चौथा देश बन जाएगा भारत
SpaDeX के सफल प्रदर्शन से भारत उन जटिल प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा, जो इसके भावी मिशनों, जैसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री को उतारने के लिए महत्वपूर्ण हैं। अंतरिक्ष में डॉकिंग एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें अब तक केवल तीन अन्य देश- अमेरिका, रूस और चीन ही महारत हासिल कर पाए हैं।
ISRO ने 30 दिसबंर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV-C60 रॉकेट की सहायता से इस मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। ISRO अब डॉकिंग के लिए भारतीय ग्राउंड स्टेशनों से सिग्नल मिलने का इंतजार कर रही है। पहले इसकी तारीख 7 जनवरी थी लेकिन तकनीकी कारणों के चलते इसे 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किए गए इस मिशन में दो छोटे उपग्रह शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम है। बता दें कि पीएसएलवी सी60 रॉकेट ने दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) तथा 24 पेलोड को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्चपैड से उड़ान भरी थी।
उड़ान के लगभग 15 मिनट बाद, लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यान को 475 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया गया था।

SpaDeX docking mission की ताजा स्थिति पर आया ISRO का बयान…
SpaDeX docking mission की ताजा स्थिति पर ISRO की ओर से जानकारी साझा की गई है। ISRO ने बताया कि -‘… SDX 01 (चेजर) और SDX 02 (टारगेट) उपग्रह अच्छी स्थिति में हैं और डॉकिंग के लिए करीब लाए गए। SpaDeX उपग्रह ने एक-दूसरे की शानदार तस्वीरें और वीडियो भी रिकॉर्ड किए। दोनों उपग्रहों को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक पहुंचने का परीक्षण प्रयास किया गया।

…अंतरिक्षयानों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया जा रहा है। डेटा का आगे विश्लेषण करने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 15 मीटर की दूरी पर, हम एक-दूसरे को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। हम अब डॉकिंग के लिए सिर्फ 50 फीट की दूरी पर हैं।’

चंद्रयान-4 के काफी अहम है ISRO का यह SpaDeX docking mission…
ISRO अब डॉकिंग के लिए भारतीय ग्राउंड स्टेशनों से सिग्नल मिलने का इंतजार कर रही है। जब चेजर और टारगेट के बीच की दूरी 3 मीटर होगी, तब डॉकिंग यानी दोनों स्पेसक्राफ्ट के आपस में जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। चेजर और टारगेट के जुड़ने के बाद इलेक्ट्रिकल पावर ट्रांसफर किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया को धरती से ही कंट्रोल किया जाएगा।
ISRO के लिए ये मिशन एक बहुत बड़ा एक्सपेरिमेंट है, क्योंकि भविष्य के स्पेस प्रोग्राम इस मिशन पर टिके हैं। ISRO इस मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करके अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया है। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चंद्रयान-4 की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा। चंद्रयान-4 मिशन की कामयाबी स्पेडेक्स की सफलता पर निर्भर करती है।
चंद्रयान-4 मिशन में इसी डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल होना है। नासा की तरह अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में इसी मिशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। सैटेलाइट सर्विसिंग, इंटरप्लेनेटरी मिशन और इंसानों को चंद्रमा पर भेजने के लिए भी ये टेक्नोलॉजी जरूरी है।