नवादा में किसे अपना सांसद चुनेगी जनता,इन उम्मीदवारों के बीच होगा मुकाबला…

नवादा में किसे अपना सांसद चुनेगी जनता,इन उम्मीदवारों के बीच होगा मुकाबला...

आज हम चर्चा करेंगे बिहार की नवादा लोकसभा सीट की.नवादा में इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होने वाले है. यहां भाजपा, राजद के साथ-साथ दो निर्दलीय प्रत्याशियों की भी पुरजोर चर्चा है.

नवादा में इस बार भोजपुरी सिंगर गुंजन सिंह भी चुनावी दंगल में है. गुंजन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और उनके समर्थन में फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप सामने आए हैं.

वहीं नवादा सीट से भाजपा ने 2024 के चुनाव के लिए राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर पर भरोसा जताया है. राजद ने विवेक ठाकुर के खिलाफ चुनाव में श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया है. राजद से टिकट मिलने की उम्मीद विनोद यादव को थी लेकिन जब लालू यादव ने विनोद यादव का टिकट काटकर श्रवण कुशवाहा को चुनाव लड़ने का मौका दिया तब विनोद यादव ने नाराज होकर राजद से इस्तीफा दे दिया और अब उन्होंने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.
नवादा लोकसभा वर्तमान में सामान्य सीट है, 2009 से पहले यह सीट आरक्षित थी . लेकिन परिसीमन के बाद यह सामन्य सीट हो गई.इस सीट की जातीय समीकरण पर बात करें तो यहां भूमिहार और यादव जाति के लोगों की बहुलता है.

लेकिन इस क्षेत्र में कुशवाहा, वैश्य और मुस्लिम वोटर भी जीत-हार के बड़े फैक्टर है.

नवादा में बाहरी और स्थानीय नेताओं का भी मामला बार बार उठता रहा है. अब तक हुए 17 बार के चुनाव में नवादा में 14 बार बाहरी नेताओं ने जीत दर्ज की है केवल 3 बार स्थानीय नेता यहां से सांसद बने.

यहां विधानसभा की 6 सीटें आती है. जिनमें बरबीघा,रजौली,हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर,वारिसलीगंज की सीटें शामिल हैं. बरबीघा में जदयू का दबदबा है यहां से सुदर्शन कुमार विधायक हैं. रजौली में प्रकाश वीर राजद विधायक हैं.वहीं हिसुआ में कांग्रेस से नीतू कुमारी विधायक है. नवादा विधानसभा राजद के कब्जे में है, यहां विभा यादव विधायक है. गोबिंदपुर में भी राजद के एमडी कामरान का कब्जा है सिर्फ वारिसलीगंज में भाजपा अपना परचम लहरा पाई है और अरुणा देवी यहां से विधायक है.

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इतिहास के पन्नों को पलटे तो हम पाएंगे कि नवादा लोकसभा सीट पर समय समय से बदलाव हुए. 1957 से पहले नवादा सीट गया पूर्वी संसदीय सीट का हिस्सा था. परिसीमन के बाद संसदीय क्षेत्र संख्या 34 के रुप में इसका गठन हुआ. वहीं 1962 में यह बदलकर संसदीय सीट संख्य 42 के रुप में अस्तित्व में आया. एक बार फिर 2004 में इसका परिसीमन हुआ और यह संसदीय सीट संख्या 39 के रुप में सामने आया.

1962 से पहले नवादा लोकसभआ सीट से दो सदस्य चुने जाते थे. यह सीट तब अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी और यहां दूसरे चुने जाने वाले सदस्य सामान्य श्रेणी के होते थे.

1952 में ब्रजेश्वर प्रसाद कांग्रेस से (सामान्य) श्रेणी से सांसद बने वहीं और राम धनी राम कांग्रेस से ही आरक्षित श्रेणी से सांसद बने.

1957 में भी दो सांसद चुने गए. दोनों सांसद कांग्रेस पार्टी से ही चुने गए. राम धनी दास (एससी) कैटोगरी से और सत्यभामा देवी सामान्य श्रेणी से जीत हासिल की.

1962 से इस सीट पर एक ही सांसद चुने जाने लगे.

1962 में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की राम धनी दास दिल्ली पहुंचे.

1967 में कांग्रेस की जीत का सिलसिला टूटा स्वतंत्र उम्मीदवार सूर्य प्रकाश पुरी जीते.

1971 के चुनाव में कांग्रेस ने नवादा में एक बार फिर वापसी की, सुखदेव प्रसाद वर्मा ने जीत हासिल की.

1977 में भारतीय लोक दल के नथुनी राम सांसद बने.

जिसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में कुंवर राम ने जीत हासिल की.

1989 में यहां से सीपीआई एम के प्रेम प्रदीप ने जीत का परचम लहराया.

1991 में सीपीआई एम ने अपनी जीत बरकरार रखी और प्रेम चंद राम दिल्ली पहुंचे.

1996 में भाजपा ने पहली जीत हासिल की भाजपा के कामेश्वर पासवान यहां से जीते.

1998 में मालती देवी ने राजद के टिकट से जीत हासिल की.

1999 में भाजपा ने फिर से वापसी की यहगां से डॉ संजय पासवान जीते.

2004 में वीरचंद्र पासवान राजद से जीते.

2009 और 2014 के चुनाव में भाजपा ने लगातार दो अपना परचम लहराया.

2009 में डॉ भोला सिंह और 2014 में गिरिराज सिंह ने जीत हासिल की.

2019 में यह सीट लोजपा के झोली में गई ,लोजपा से चंदन सिंह जीते.

अब 2024 में यहां से कौन बाजी मारेगा ये तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा

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