लखनऊ : यूपी में Yogi सरकार ने किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के 500 बेड के ट्रॉमा सेंटर को दी मंजूरी। यूपी में Yogi आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में जारी महाकुंभ 2025 के भव्य-दिव्य आयोजन के बीच विकास से जुड़े तमाम दूसरे मुद्दे पर तेजी से काम करते रहने का मिसाल पेश करते हुए एक झटके में कई ताबड़तोड़ फैसले लिए हैं।
CM Yogi आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई यूपी कैबिनेट की बैठक में शिक्षा, परिवहन, पर्यटन, रोजगार, राजस्व एवं आबकारी नीति से जुड़े अहम फैसलों के साथ ही मेडिकल शिक्षा एवं उन्नत चिकित्सा क्षेत्र के लिए अहम फैसले लिए हैं।
प्रदेश का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा चिकित्सा विश्वविद्यालय के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाले लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में 500 बेड के ट्रॉमा सेण्टर के विस्तार एवं पेशेण्ट यूटिलिटी कॉम्पलेक्स के निर्माण हेतु बजट को मंजूरी दे दी है।
किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय को 2.72 अरब रुपये मंजूर
यूपी कैबिनेट की बैठक में CM Yogi आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लिए गए इस संबंधी फैसले की जानकारी देते हुए यूपी के वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि – ‘मंत्रिपरिषद ने किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में 500 बेडेड ट्रॉमा सेण्टर के विस्तार एवं पेशेण्ट यूटिलिटी कॉम्पलेक्स के निर्माण कार्य से सम्बन्धित 2 अरब 72 करोड़ 97 लाख 17 हजार रुपये की आकलित लागत की प्रायोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
…किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय अपने प्रदेश का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा चिकित्सा विश्वविद्यालय है। इसमें दुर्घटनाओं इत्यादि में गम्भीर रूप से घायल मरीजों की सघन देख-रेख एवं आकस्मिक सेवाएं तथा विशिष्ट उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में आकस्मिक चिकित्सा केन्द्र एवं ट्रॉमा सेण्टर कॉम्पलेक्स की स्थापना की गयी थी।
…ट्रॉमा सेण्टर में लगभग 460 बेड की सुविधा उपलब्ध है। इसमें प्रतिदिन लगभग 600 रोगियों का इलाज किया जाता है, परन्तु मरीजों की संख्या में निरन्तर होती वृद्धि के कारण यह क्षमता अपर्याप्त प्रतीत हो रही है। इसे देखते हुए यह फैसला लिया गया है।’
किंग जॉर्ज में अब एक छत के मिलेंगी समस्त मेडिकल सुविधाएं…
वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि – ‘किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में 500 बेडेड ट्रॉमा सेण्टर के विस्तार एवं पेशेण्ट यूटिलिटी कॉम्पलेक्स के निर्माण से एक ही छत के नीचे किसी भी दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल मरीजों को सभी मेडिकल सुविधाएं मुहैया होंगी।
इसमें सर्जिकल स्पेशियलिटी यथा-ट्रॉमा सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, आर्थोपेडिक सर्जरी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन एवं मॉड्यूलर/हाइब्रिड ऑपरेशन थियेटर की सुविधा तथा सम्पूर्ण पैथालॉजिकल व रेडियोलॉजिकल सुविधाएं सुलभ हो सकेंगी। पेशेण्ट यूटिलिटी कॉम्पलेक्स में विभिन्न आपदाओं से पीड़ित मरीजों के उपचार हेतु समर्पित आपदा प्रबन्धन वॉर्ड (डेडिकेटेड डिजास्टर मैनेजमेण्ट वॉर्ड) का निर्माण भी कराया जाएगा, जिसका लाभ सम्पूर्ण प्रदेश के जनमानस को होगा।’
संजय गांधी पीजीआई के लिए संशोधित नियमावली को Yogi सरकार ने दी मंजूरी
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि – ‘इसी क्रम में मंत्रिपरिषद ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अधिनियम, 1983 (संशोधन) अध्यादेश-2025 के आलेख को स्वीकृति प्रदान कर दी है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ प्रदेश का उत्कृष्ट सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान है।
संस्थान द्वारा प्रदेश सहित अन्य राज्यों तथा निकटवर्ती देशों से आने वाले मरीजों को उच्चकोटि की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। संस्थान के सुचारु एवं प्रभावी संचालन में संस्थान के निदेशक की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अधिनियम 1983 की धारा-12 में संस्थान के निदेशक के सम्बन्ध में प्राविधान किया गया है।
अधिनियम में निदेशक के कार्यकाल, आयु सीमा तथा कार्यकाल विस्तार के सम्बन्ध में कोई व्यवस्था उल्लिखित नहीं है। अतः आवश्यक है कि यह प्राविधान अधिनियम में समाविष्ट कर लिए जाएं। इसी क्रम में संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान अधिनियम, 1983 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन करते हुए एक नवीन धारा-12-क अन्तर्विष्ट/समाहित किए जाने का प्रस्ताव है।
इसके अन्तर्गत धारा-12-क (1) निदेशक अपना पदभार ग्रहण करने के दिनांक से 05 वर्ष की अवधि के लिए अथवा अपनी आयु 65 वर्ष पूर्ण करने तक, जो भी पहले हो, के लिए पदभार ग्रहण करेगा।
धारा-12-क (2) अधिनियम में किसी अन्य बात के होते हुए भी निदेशक, जिसने 65 वर्ष की आयु प्राप्त न की हो, को इस रूप में कुलाध्यक्ष द्वारा 03 वर्ष से अनधिक अवधि का अतिरिक्त कार्यकाल प्रदान किया जा सकता है। परन्तु कुलाध्यक्ष को सम्बोधित और स्वलिखित व स्वहस्ताक्षरित पत्र द्वारा निदेशक अपना पद त्याग सकेगा और कुलाध्यक्ष द्वारा ऐसा त्याग-पत्र स्वीकार कर लिए जाने पर वह अपना पद धारण करने से विरत हो जाएगा।’