डिजीटल डेस्क : Yogi Mantra – मंत्रियों को सीएम योगी ने दिया खास मंत्र, ‘सिफारिशी को न दें टिकट, बूथों के कार्यकर्ताओं का इकबाल रखें बुलंद’। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर एक्शन में हैं। वह ताबड़तोड़ बैठकें कर रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने बुधवार को मंत्रियों के साथ बैठक की और दो टूक लहजे में साफ कर दिया कि चुनाव में किसी भी हाल में सिफारिशी को टिकट न दें और ना ही उसे प्रत्याशी बनाने के बारे में सोचें।
इसी क्रम में उन्होंने मंत्रियों को बुलंद हौसले के साथ अपनी-अपनी जिम्मेदारी वाले विधानसभा क्षेत्रों में नियमित रूप से पहुंचने और वहां के बूथ कार्यकर्ताओं का इकबाल बुलंद करने का मंत्र दिया। कहा कि कार्यकर्ताओं को उत्साहित करें, उनके सुझावों को सुनें और उनकी बातों को तवज्जो भी दें तो फिर चुनावी कामयाबी निश्चित मानिए। कार्यकर्ता बूथ जीतेगा और बूथों की जीत आपको चुनाव में जीत दिलाएगी, इसमें कोई संदेह नहीं।
प्रभारी मंत्रियों को अपने क्षेत्रों में हफ्ते में दो दिन रात्रि प्रवास को कहा
विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को सभी प्रभारी मंत्रियों से मुलाकात की। उन्होंने हर एक ग्रुप से अलग-अलग उनके क्षेत्र का हाल जाना। इस बैठक में मुस्लिम उम्मीदवारों का मुद्दा भी उठा। चर्चा हुई कि क्या मुस्लिम बहुल विधानसभा सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार सकते हैं।
इसके अलावा बैठक में कहा गया ईमानदार और जिताऊ प्रत्याशी का ही चयन किया जाए एवं साफ तौर पर बिना किसी लागलपेट के सिफारिशी प्रत्याशी को टिकट न दिया जाए। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि उपचुनाव वाले क्षेत्रों में जातिगत समीकरण क्या है। साथ ही इस पर मंथन किया गया कि विपक्षी दल के कौन प्रत्याशी हो सकते हैं और मौजूदा समय में अलग – अलग दसों विधानसभा क्षेत्रों के समीकरण या स्थितियां क्या हैं।
उन्होंने सबको अपने प्रभारी क्षेत्र में तब तक हफ्ते में दो दिन तक रात्रि विश्राम करने को कहा है, जब तक चुनाव समाप्त न हो जाए। मुख्यमंत्री ने सभी प्रभारी मंत्रियों को यह भी कहा कि हर एक ग्रुप को कार्यकर्ताओं के साथ बात करनी है और सबसे ज्यादा फोकस बूथ को मजबूत करने में करना है।
मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने सीएम योगी के मीटिंग की दी जानकारी
बैठक के बाद राज्य के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि बैठक में विकास परियोजनाओं बाढ़ की स्थिति आदि पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि लक्ष्य उपचुनाव में सभी 10 विधानसभा सीटें जीतनी हैं, इसलिए उसपर भी चर्चा की गई। दरअसल 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इसलिए मंत्रियों को हर हाल में जीत दर्ज करने के लिए अभी से क्षेत्रों में डटे रहने को कहा गया है।
भाजपा के संगठन द्वारा इन सभी सीटों पर चुनावी तैयारी के लिए प्रदेश सरकार के मंत्रियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी की ड्यूटी लगाई गई है। उपचुनाव के लिए संगठन के पदाधिकारियों के साथ ही यूपी सरकार के 16 मंत्रियों की टीम का गठन कर सभी को अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज करने की जिम्मेदारी दी गई। मंत्रियों की टीम में भाजपा के अलावा सहयोगी दलों के मंत्रियों को भी शामिल किया गया है।
तमाम चुनौतियों के बीच अडिग सीएम योगी – प्रत्याशी चयन में सिफारिश की जगह नहीं
उपचुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ को यूपी भाजपा में संगठन से लेकर सत्ता तक के बीच सब कुछ ठीक करने के टॉस्क में जुटे हैं। उन्होंने अपनों को संभालने के साथ ही उन नेताओं पर ध्यान रखना शुरू किया है जिनके बयान से डैमेज होने का अंदेशा है। इसी क्रम में संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य बिठाने पर होमवर्क हो रहा है।
हाल ही में हुए यूपी भाजपा कार्यसमिति में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि संगठन सरकार से ऊपर होता है और कोई व्यक्ति या सरकार संगठन से बड़ा नहीं हो सकता है। मौर्य ने कार्यकर्ताओं का भी जिक्र किया था और कहा कि जो दर्द आपका है वही हमारा भी है और केशव मौर्य जब ये बोले खूब तालियां बजी, लेकिन उनका संबोधन सवाल भी छोड़ गया था और उसे सीएम योगी ने भी गंभीरता से लिया तो केंद्रीय नेतृत्व ने भी।
हालांकि उसी बैठक में सीएम योगी ने भी उपचुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को मैसेज दे दिया था कि लोकसभा चुनाव में यूपी की हार अति आत्मविश्वास की हार है। साथ ही उन्होंने एक खास बिंदु उठाते हुए कहा था कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल जिस तरह से विपक्ष ने किया, हम भाजपा के लोग उसका काउंटर नहीं कर पाए। उसी संबोधन में सीएम योगी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ये टास्क भी दे दिया कि उपचुनाव में सबको अपनी ताकत दिखानी होगी। होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव भाजपा के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ की साख का भी सवाल है।
अगर इसमें जीत मिलती है तो ये लोकसभा चुनाव में मिली हार के लिए मरहम का काम करेगा। इसलिए सीएम योगी ने मंत्रियों को हर हाल में जीत दर्ज करने के अभी से क्षेत्रों में डटे रहने को कहा गया है। वहीं, उपचुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द होने की संभावना को देखते हुए भाजपा में टिकट के लिए भी भागदौड़ शुरू हो गई है। विधायक से सांसद बनने वाले नेता जहां अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाने में जुटे हैं।
वहीं कई पूर्व सांसद और विधायक भी टिकट के दौड़ में शामिल हैं। ऐसे ही टिकटार्थियों के लिए बुधवार की बैठक में सीएम योगी ने अपनी लाइन क्लीयर कर दी है कि करना क्या है।
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यूपी में होने वाले उपचुनाव में भाजपा की कमान सीएम योगी के पास
बता दें कि लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले 9 विधायकों की सीट पर यूपी में उपचुनाव होना है। इसके अलावा सिसामऊ सीट पर भी उपचुनाव होना है जो सपा विधायक इरफान सोलंकी के अयोग्य घोषित होने के बाद रिक्त हुई थी। जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें मिल्कीपुर, कटेहरी, फूलपुर, मंझवा, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, खैर और कुंदरकी शामिल हैं। भाजपा ने हर सीट पर तीन-तीन मंत्रियों के अलावा संगठन से एक-एक पदाधिकारी की तैनाती की है।
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद विधानसभा सीटों के होने वाले उपचुनाव भाजपा के लिए काफी अहम हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने उपचुनाव की कमान स्वयं अपने हाथों में ले ली है। सीएम योगी आदित्यनाथ को भी पता है कि विरोधियों को शांत करने के लिए उपचुनाव अच्छा मौका है। यही वजह है कि वह एक्शन में हैं। इसी क्रम में उन्होंने बुधवार को मंत्रियों की बैठक की। इससे पहले सीएम योगी ने 30 जून को भी एक बैठक की थी, जिसमें उन्होंने उपचुनाव में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई थी।
सीएम योगी के लिए चुनौती हैं – समाजवादियों का गढ़ माने जाने वाली पांच सीटें
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव है उसमें से 5 को सपा का किला माना जाता है। उनमें करहल, कुंदरकी, कटहरी, सीसामऊ और मिल्कीपुर शामिल हैं। करहल से सपा प्रमुख अखिलेश यादव विधायक हैं और वह अब सांसद बन गए हैं। वह कन्नौज से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। वहीं, मिल्कीपुर सीट अयोध्या के अंतर्गत आती है जहां अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक रहे हैं और उनके सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है।
कटहरी अंबेडकरनगर की सीट है जहां से सपा के लालजी वर्मा विधायक थे और अंबेडकरनगर लोकसभा सीट से सांसद बन गए हैं। कुंदरकी सीट मुरादाबाद के अंतर्गत आती है और मुस्लिम बहुल है। इसे सपा का गढ़ माना जाता है। जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, लेकिन इस बार संभल लोकसभा सीट से जीतकर वह सांसद बन गए हैं।