Hazaribagh: लोक आस्था के महापर्व छठ पर जिले से इस बार एक प्रेरणादायक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण पहल देखने को मिली है। यहां की रहने वाली किन्नर अंजली ने पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ छठ व्रत संपन्न किया।जिससे समाज को आस्था और समानता का गहरा संदेश मिला।
समानता और आस्था का अद्भुत संदेशः
किन्नर समुदाय, जिसे आज भी समाज में बराबरी का दर्जा नहीं मिल पाया है, अब अपनी भक्ति और सामाजिक स्वीकृति के लिए इस पर्व के माध्यम से नया उदाहरण पेश कर रहा है। अंजली ने न केवल निर्जला व्रत रखा, बल्कि घाट पर दीप जलाकर और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।
इस साल पहली बार छठ कियाः
अंजली ने कहा कि छठ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और सूर्य उपासना का प्रतीक है। इसमें हम उगते और डूबते दोनों सूर्य की पूजा करते हैं। यह पर्व हमें विनम्रता, त्याग और समर्पण का संदेश देता है। अंजली ने बताया कि उन्होंने इस साल पहली बार छठ किया और यह उनके जीवन का सबसे पवित्र अनुभव रहा। उन्होंने कहा कि उनके मन में लंबे समय से इच्छा थी कि वे इस लोक आस्था के पर्व में भाग लें। समाज के लोगों ने भी उन्हें सम्मान और सहयोग दिया, जिससे व्रत बिना किसी विघ्न के पूरा हुआ।
स्थानीय लोगों ने सराहाः
स्थानीय लोगों ने अंजली की इस पहल की खूब सराहना की। लोगों का कहना है कि यह उदाहरण समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि भक्ति सच्ची हो तो कोई भी दीवार उसे रोक नहीं सकती। अंजली द्वारा किया गया यह छठ व्रत हजारीबाग में समानता, सम्मान और स्वीकृति का प्रतीक बन गया है। यह संदेश देता है कि ईश्वर की भक्ति सभी के लिए समान है—चाहे वह किसी भी लिंग, जाति या वर्ग से जुड़ा हो।
रिपोर्टः शशांक शेखर
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