एक रहस्य: कौन है शिव का परम भक्त जो ब्रह्म मुहूर्त में करता है पूजा

यहाँ शिव के साथ होती है रावण की पूजा

यहाँ नहीं होता लंका नरेश का दहन

झारखंड में एक ऐसा मंदिर है जिसके रहस्य से आज तक पर्दा नहीं उठा पाया है।  इस मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में भगवान् शिव की अदृश्य शक्ति पूजा करती है।

इसको लेकर जब हमारी टीम ने आस पास के ग्रामीणों से बात की तो उन्हों ने बाताया कि हर दिन ब्रह्म मुहूर्त  में मंदिर से घंटी की आवाज आती है।

22Scope News

कोई अनजान, अनदेखी अदृश्य शक्ति यहाँ शिवलिंग पर जल अर्पण करती है। आज तक किसी ने नहीं देखा है कि वह कौन है जो शिव का परम भक्त है। इस को लेकर कई मान्यताएं है जो इस मंदिर से जुडी हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि जहाँ विजय दशमी के दिन देश भर में बुराई के प्रतीक के रूप में रावण का दहन होता है, वहीं झारखंड की राजधानी से लगभग 17 किलोमीटर दूर रावणेश्वर मंदिर में होती है रावण की पूजा।

एक रहस्य: कौन है शिव का परम भक्त जो ब्रह्म मुहूर्त में करता है पूजा

यहाँ रावण का दहन भी नहीं होता, इस मंदिर में शिव के साथ उनके परम भक्त रावण की भी पूजा होती है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि रावण भोलेनाथ का परम भक्त था।

इस वजह से उनकी भी पूजा इस मंदिर में की जाती है. पिठोरिया में स्थित रावणेश्वर मंदिर के गुम्बद में रावण की प्रतिमा स्थापित है।

जो भी यहाँ आकर शीश नवाता है पहले रावण और शिव को प्रणाम करता है। मंदिर के अंदर जो पूजा होती है वहां भी शिव के साथ रावण की भी पूजा होती है।

एक रहस्य: कौन है शिव का परम भक्त जो ब्रह्म मुहूर्त में करता है पूजा

लोगों का कहना है कि ये मंदिर 400 पुराना है। मंदिर की बाहरी दीवारों से लेकर अंदर तक कई देवी-देवताओं की मूर्ति बनी हुई है।

22Scope News

 

मंदिर के अंदर शिवलिंग, नाग, देवी पार्वती, ब्रह्मा, गुरुड़ की भी मूर्ति स्थापित हैं. पुजारी का कहना है कि रावण बहुत बड़े ज्ञानी और विद्वान थे और जब भगवान शिव गृह प्रवेश कर रहे थे तो रावण ने ब्राह्मण का रूप लेकर उनका गृह प्रवेश करवाया था।

एक मान्यता के अनुसार जब रावण शिव जी को अपने साथ लंका ले जा रहा था तो इसी मार्ग से होते हुए गया था और मंदिर जहाँ स्थापित है वहां कुछ क्षण के लिए रुका था इसलिए यहाँ रावण के साथ शिव का मंदिर है. और तभी से यहाँ दोनों की ही पूजा होती आ रही है।

रावण की जब भी बात आती है तो उसे हमेशा बुराइयों का प्रतीक समझा जाता है। यही कारण है कि विद्वान होने के बावजूद, उसकी अच्छाइयों को कम और बुराइयों को ज्यादा याद किया जाता है।

रावण में लाख बुराइयों के बावजूद रावण में एक खासियत भी थी, वो बड़ा ज्ञानी और शिवभक्त था। इसी कारण इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ रावण की भी पूजा होती है।

लेकिन आज तक मंदिर के एक रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है कि यहाँ ब्रह्म मुहूर्त में कौन कर जाता है पूजा   कहीं वो वही तो नहीं ?

 

Share with family and friends: