विश्व धरोहर में शामिल होने की हो रही थी मांग
औरंगाबाद : जिले में मदनपुर की उमगा पहाड़ पर स्थापित प्राचीन पुरातात्विक पालकालीन गौरी-शंकर की मूर्ति को असमाजिक तत्वों ने तोड़ दी। अति प्राचीन मूर्तियों को खंडित किये जाने से लोगों का गुस्सा उबाल पर है। खासकर हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई है। लोग मूर्तियों को खंडित करने वाले असामाजिक तत्वों की पहचान कर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
Highlights
उमगा पहाड़ी पर 52 मंदिरों का है समूह
गौरतलब है कि उमगा पहाड़ी पर 52 मंदिरों का समूह है। समूह के हर मंदिर में देवी-देवताओं की एक से बढ़कर एक दुर्लभ और अति प्राचीन मूर्तियां स्थापित है। इस स्थल की महता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उमगा पहाड़ी पर स्थित 52 मंदिरों के समूह को यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने की चर्चा जोर पकड़ चुकी थी। इसी बीच असामाजिक तत्वों ने अति प्राचीन मूर्तियों को तोड़ कर धार्मिक भावनाओं को आहत किया है।
भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में तीन मंदिरों का किया था निर्माण
इन्ही मंदिरों के समूह में एक अति प्राचीन सूर्य मंदिर भी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में तीन मंदिरों- देव, देवकुंड और उमगा का निर्माण किया था। इतना ही नहीं गौरीशंकर खोह को छोड़कर इस समूह के अन्य मंदिरों तक पहुंचना इस कारण सरल है कि इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ों को काट कर सीढ़ियां बनाई गई है। वहीं गौरीशंकर खोह जाने का पहाड़ी रास्ता बेहद संकीर्ण, चुनौतीपूर्ण और कंकरीला-पथरीला है।
गौरीशंकर की है दुर्लभ मूर्ति
श्रद्धालु दुर्गम रास्ते से होकर गौरीशंकर की दुर्लभ मूर्ति के दर्शन करने जाते हैं। गौरीशंकर की मूर्ति के दुर्लभ होने का कारण यह है कि यहां स्थापित गौरी यानी देवी पार्वती और भगवान शंकर की मूर्ति युगल रुप में होने के साथ ही मैथुनी मुद्रा में है। इस मूर्ति में भगवान शंकर का हाथ गौरी पार्वती के वक्षस्थल पर है, जो सृजन का परिचायक है। यह दुनियां की इकलौता मूर्ति है। जिसे असामाजिक तत्वों ने खंडित कर दिया है। हालांकि इस मामले में औरंगाबाद के पुलिस कप्तान कांतेष कुमार मिश्रा का दावा है कि पुलिस मूर्तियों को खंडित करनेवाले असामाजिक तत्वों की शिनाख्त में लगी है। शीघ्र ही वे पुलिस की गिरफ्त में होंगे।