Hazaribagh : हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहली बार रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन हुआ है. इस तरह का आपरेशन देश के बड़े नामी ग्रामी अस्पताल में ही संभव हो पता है. ऑपरेशन होने पर हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने चिकित्सकों को शुभकामना दिया है, तो दूसरी ओर उन्होंने आर्थो डिपार्टमेंट के कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यहां आज भी यह इम्प्लांट बेचने को लेकर कलंकित है.
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Hazaribagh : कम सुविधा में ही चिकित्सकों ने बेहतर काम किया है
हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने रीड के सफल ऑपरेशन को लेकर ऑर्थो डिपार्मेंट के चिकित्सकों को शुभकामना दिया है. साथ ही कहा है कम से कम सुविधा में ही चिकित्सकों ने बेहतर काम किया है. जो इलाज बड़े शहरों में होता था वह हजारीबाग के चिकित्सकों ने किया है.
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उन्होंने यह भी कहा कि कठिन ऑपरेशन जिसके लिए अस्पताल तैयार नहीं थे. फिर भी विभाग के चिकित्सकों ने एक चुनौती लेते हुए ऑपरेशन किया है. इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है. उन्होंने यह भी कहा कि हजारीबाग में बेहद कम खर्चे में ऑपरेशन हुआ है अगर बाहर जाता तो बड़ी रकम इलाज के लिए देना पड़ता.
29 जनवरी को हुआ था एक्सीडेंट
बता दें कि 29 जनवरी को मरीज पप्पू भुइयां का एक्सीडेंट हुआ था। उसका इलाज शेख़ भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आर्थो विभाग में चल रहा था, जिसमें उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन एक जटिल ऑपरेशन है जिसकी सुविधा सीमित संस्थानो में ही उपलब्ध है. शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल के अस्थि रोग विभाग में रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन करने वाले टीम का नेतृत्व अस्थि रोग विभाग के डॉक्टर शशि कांत सिंह और डॉक्टर संजीव कुमार सिंह ने किया.
इम्प्लांट बेचने के लिए कलंकित है विभाग-सांसद मनीष जायसवाल
वहीं सांसद मनीष जायसवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि आर्थो रोग विभाग को सफल ऑपरेशन के लिए सम्मानित किया जाएगा. उनका यह भी कहना है कि अभी भी यह विभाग कलंकित है. आज भी यहां इम्पलाआंट बेचा जा रहा है. कुछ डॉक्टर बेहतर काम अवश्य कर रहे हैं, लेकिन यह विभाग काम को लेकर संवेदनशील नहीं है.
उन्होंने आर्थो रोग विभाग के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान भी खड़ा किया है. सांसद मनीष जायसवाल ने बेहतर काम करने वाले चिकित्सकों को सम्मानित किया है. वहीं विभाग के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा किया है. सांसद ने इम्पलाआंट बेचने को लेकर विभाग पर बड़ा प्रश्न खड़ा किया है.
शशांक शेखर की रिपोर्ट–