Hazaribagh: हजारीबाग में वन भूमि की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा चर्चित भूमि घोटाला (Hazaribagh Land Scam) मामला लगातार सुर्खियों में है। अब यह मामला और बड़ा हो गया है, क्योंकि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की चल रही जांच में अब हजारीबाग के सदर विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम भी अभियुक्तों की सूची में शामिल हो गया है।
एसीबी ने इस मामले में कांड संख्या 11/2025 दर्ज की है, जिसमें अब तक 70 से अधिक लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इनमें कई चर्चित नाम शामिल हैं, जैसे — आईएएस अधिकारी विनय चौबे, कारोबारी विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, जिन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। एसीबी ने अब तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां की हैं और करीब दर्जनों संपत्तियों की जांच जारी है। विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम शामिल होने से जांच का दायरा और बढ़ने की संभावना है।
2010 में हुई थी वन भूमि की खरीद, विधायक बने थे गवाहः
प्राथमिकी के अनुसार विधायक प्रदीप प्रसाद उस निबंधित दस्तावेज (डीड) के गवाह हैं, जिसके जरिए वर्ष 2010 में विनय सिंह और स्निग्धा सिंह ने हजारीबाग सदर अंचल क्षेत्र की वन भूमि को अपने नाम पर खरीदा था। यह रजिस्ट्री 10 फरवरी 2010 को की गई थी, जिसकी डीड संख्या 1763/1710 दर्ज है। एसीबी को मिले साक्ष्यों में यह भी पाया गया है कि इस जमीन की खरीद के दौरान कई नियमों और सरकारी अधिसूचनाओं का उल्लंघन किया गया था।
Hazaribagh Land Scam: राजनीति में आने से पहले थे बड़े भूमि कारोबारीः
जानकारी के अनुसार विधायक प्रदीप प्रसाद राजनीति में आने से पहले हजारीबाग के बड़े भूमि कारोबारियों में गिने जाते थे। उन्होंने भी कई संपत्तियां खरीदी हैं, जिनमें से कुछ अब जांच के दायरे में हैं। एसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि विवादित भूमि सदर अंचल के बभनवे मौजा में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग एक एकड़ है। इस भूमि पर बाद में एक शोरूम का निर्माण भी किया गया था।
Hazaribagh Land Scam: राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष ने साधा निशानाः
इस खुलासे के बाद झारखंड की राजनीति में नई हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने सरकार और भाजपा दोनों पर जवाबदेही तय करने की मांग की है। वहीं भाजपा के लिए यह मामला असहज स्थिति पैदा कर रहा है, क्योंकि अब घोटाले के अभियुक्तों में पार्टी के ही एक विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम सामने आया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह मामला न केवल हजारीबाग बल्कि पूरे राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि भाजपा अपने विधायक को लेकर क्या रुख अपनाती है- समर्थन, चुप्पी या कार्रवाई।
Hazaribagh Land Scam: क्या है हजारीबाग भूमि घोटालाः
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एसीबी को सूचना मिली कि हजारीबाग में वन भूमि और सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-बिक्री हो रही है। जांच में खुलासा हुआ कि कई राजनीतिक नेताओं, अधिकारियों और जमीन कारोबारियों की मिलीभगत से यह धांधली की गई। जमीनों को पहले फर्जी दस्तावेजों और गलत वर्गीकरण के जरिए रजिस्ट्री किया गया, बाद में उन्हें व्यावसायिक उपयोग में लाया गया। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
रिपोर्टः शशांक शेखर
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