Ranchi- आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने झारखंड में तत्काल जातीय जनगणना करवाने की मांग की है.
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सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि जातीय जनगणना इस राज्य की मौजूदा जरुरत है.
जातीय जनगणना से ही पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के सामाजिक,
शैक्षणिक एवं आर्थिक का मूल्यांकन संभव है.
आबादी अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करने में भी जातीय जनगणना की भूमिका अहम है.
राज्य सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर तत्काल जातीय जनगणना का निर्णय लेना चाहिए.
जातीय जनगणना की मांग पर अड़ी आजसू
यहां बतला दें कि सुदेश महतो अखिल झारखण्ड महिला संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थें.
इस अवसर पर बिनोद बिहारी महतो को याद करते हुए उन्होंने कहा कि
झारखंड आंदोलन के प्रणेता धरतीपुत्र बिनोद बिहारी महतो के विचार हर दौर में प्रासंगिक बने रहेंगे.
संगठित, शिक्षित, स्वाभिमानी समाज के निर्माण के लिए काम करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
बिनोद बाबू ने गांव-गांव में साधारण आदमी को अपने अधिकार और स्वाभिमान के लिए आगे बढ़ने और लड़ने की प्रेरणा दी.
बिनोद बिहारी महतो ने दिया लड़ो और पढ़ो का नारा
सुदेश महतो ने कहा कि स्वर्गीय बिनोद बाबू ने लड़ो और पढ़ो का नारा दिया था. इस नारे के मायने है.
झारखंड अलग राज्य निर्माण के 22 साल हो गए.
हम सभी के सामने आत्मावलोकन और मंथन करने का समय है कि
बिनोद बाबू के सपने का झारखंड और उसका समाज आज किस मुकाम पर खड़ा है.
32 माह की हेमंत सरकार में दुष्कर्म की 4079 घटनाएं
इस बीच हरमू, रांची स्थित आजसू पार्टी मुख्यालय में
अखिल झारखण्ड महिला संघ द्वारा आयोजित प्रखंड सम्मेलन को संबोधित करते हुए
मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि
झामुमो महागठबंधन की सरकार महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान देने का दंभ तो भरती है,
लेकिन पिछले बत्तीस महीनों के कार्यकाल में उनके उत्थान हेतु एक भी कार्य नहीं किया.
राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं.
पुलिस फाइलों के मुताबिक इस साल के मई महीने तक यानी 5 महीने में बलात्कार की 666 घटनाएं हुई हैं.
पिछले 29 महीनों (2020 से 2022 के मई तक) में राज्य में दुष्कर्म की 4079 घटनाएं हुई है.
नाबालिग बच्चों के साथ दुष्कर्म, हत्या और प्रताड़ना की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं.
अपराधियों के हौसले बुलंद है, महिलाएं भयभीत हैं. ये आंकड़े साबित करते हैं कि
राज्य सरकार अपराध एवं अपराधियों पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से विफल रही है.
पिछले बत्तीस महीनों के कार्यकाल से यह साबित हो चुका है
कि झामुमो एवं उनकी सहयोगी दलों ने महिलाओं को वोट के लिए इस्तेमाल किया.
चुनावी रैलियों और घोषणपत्रों ने इन्होंने महिलाओं के हक-अधिकार एवं उत्थान के लिए बड़े-बड़े वादें किए,
लेकिन सत्ता में आते ही ये लोग उन वादों को भूल गए.
वादों का खोखलापन, अपने ही वादों से मुकर गयी हेमंत सरकार
अखिल झारखण्ड महिला संघ की महिला नेत्रियों ने प्रखंड सम्मेलन के दौरान झामुमो महागठबंधन सरकार द्वारा महिलाओं के लिए किए गए वादों की याद दिलाई.
महिलाओं को सरकारी नौकरी में 50 प्रतिशत का आरक्षण, प्रत्येक गांव में महिला बैंक की स्थापना,
गरीब परिवार की महिलाओं को ₹2000 प्रतिमाह चूल्हा खर्च,
पंचायत सेवक, एएनएम, शिक्षिका एवं
होम गार्ड जैसे सभी रिक्तियों को तत्काल भरते हुए भारी संख्या में महिलाओं को स्थायी नौकरी,
प्राथमिक से लेकर पीएचडी तक सभी जाति एवं धर्म की लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा,
हर अनुमंडल मुख्यालय में सभी सुविधाओं के साथ महिला महाविद्यालय की स्थापना ये तमाम विषय हैं,
जो वर्तमान सरकार के मेनिफेस्टो में थे. लेकिन सत्ता में आते ही सरकार इन वादों पर मौन हो गई है.
इससे यह साफ साबित होता है कि इनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है.
जातीय जनगणना की मांग, नहीं हुआ महिला आयोग का गठन
हेमंत सरकार की उदासीनता के कारण राज्य में अभी तक महिला आयोग का गठन नहीं हुआ, लोकायुक्त का पद भी महीनों से खाली है। यह सरकार की सोच तथा महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है.
6 नवंबर को आजसू का राज्यस्तरीय सम्मेलन, सुदेश महतो बोले- महिलाओं को सुरक्षा देने में सरकार असफलएक हजार दिन तो झांकी है, 1 लाख दिन बाकी है- जेएमएम