मंजेश कुमारNDA
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पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के साथ इन दिनों अलग थलग पड़े हुए हैं। वे अपने आप को एनडीए का हिस्सा तो बताते हैं लेकिन एनडीए में उनकी कहीं कोई सहभागिता नहीं दिख रही है। इस बीच अब पशुपति पारस भी बिहार भ्रमण पर निकले हैं और जिलों में जा कर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। सोमवार को पशुपति पारस बेगूसराय पहुंचे।
पशुपति पारस साहेबपुर कमाल प्रखंड के मल्हीपुर गांव में कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर से दुहराया कि अभी तक वे एनडीए का ही हिस्सा हैं लेकिन आगे क्या होगा इसका फैसला समय के हिसाब से किया जायेगा। इस दौरान पशुपति पारस ने संसद में गृह मंत्री अमित शाह के आंबेडकर पर दिए बयान पर अपना विरोध भी दर्ज करवाया और कहा कि संसद में अमित शाह ने जिस तरह का बयान दिया वह आपत्तिजनक है।
उन्होंने अमित शाह के इस्तीफा के मांग पर कहा कि हमने उनसे इस्तीफा की मांग नहीं की है लेकिन उनका बयान सही नहीं है। अब इस बात पर भाजपा और जदयू ने उनके एनडीए का हिस्सा रहने या नहीं रहने के मामले में साफ कर दिया है।
भाजपा की तरफ से कहा गया है कि गठबंधन का मतलब होता है एक दूसरे का समर्थन करना लेकिन जो व्यक्ति भाजपा के वरीय नेताओं का विरोध करेगा फिर यह कैसे संभव है कि वह एनडीए का हिस्सा होगा। मामले में भाजपा ने साफ कहा कि ऐसा नहीं होता है कि गुड़ खाएं और गुलगुल्ले से परहेज भी करें। एनडीए की नीति से अलग चलने वाले एनडीए का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।
दूसरी तरफ जदयू ने भी सीधे सीधे कहा कि पशुपति पारस क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे फैसला वे खुद करेंगे। उन्होंने कहा कि पशुपति पारस को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में मंत्री बनाया। बिहार में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सबसे अधिक काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। ऐसा पूरे देश में कहीं नहीं हुआ है कि अनुसूचित जाति या जनजाति का कोई आम आदमी झंडा फहराए और मुख्यमंत्री सलामी दे लेकिन नीतीश कुमार ने ऐसा किया है। पशुपति पारस को क्या करना है ये फैसला वे खुद करेंगे।
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