वाराणसी / लखनऊ : Political Friendship Twist – कांग्रेस का बढ़ा मनोबल, अब यूपी के पूर्वांचल में मांग रही सीट। संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में आए परिणामों से कांग्रेस का मनोबल काफी बढ़ा है। दिल्ली की सत्ता का रास्ता जिस यूपी से होकर गुजरता है, उसी यूपी में अब कांग्रेस अपने खोए हुए सियासी गौरव को फिर से हासिल करने की योजना पर काम कर रही है। अब वह सियासी लिहाज से अहम यूपी में अपने दायरे को बढ़ाने में जुटी है। अब उसे कार्यकर्ताओं के साथ ही पुराने कोर वोटरों के भी गोलबंद होने का भरोसा है बशर्ते कि सीट के लिहाज से सही प्रत्याशी उतारा जाए। इसीलिए कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश नेतृत्व को कमर कस कर मैदान में उतरने को कह चुका है ताकि लोगों के भी हर ज्वलंत मुद्दे पर कांग्रेस की मौजूदगी का अहसास होता रहे। इसी क्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय की अगुवाई में शुक्रवार को नीट पेपर लीक मामले में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। आगे यूपी में होने वाले विधानसभा उप चुनावों में भी कांग्रेस आईएनडीआईए के अपने साझेदार सपा से पूर्वांचल में भी अपने लिए सीट मांगने से नहीं चूकी है।
यूपी की नौ विधानसभा सीटें विधायकों के सांसद बनने से हुईं रिक्त
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस मिलकर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सियासी मात देने में सफल रहे। अब बारी यूपी में होने 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव की है, जिसमें 9 सीटें विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई हैं। कानपुर की सीसामऊ सीट विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता जाने से रिक्त हुई है। इस समय कांग्रेस के राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव के बीच सियासी केमिस्ट्री बहुत अच्छी दिख रही है, जो उपचुनाव में भी दिख सकती है। इसे लेकर दोनों ही दलों के नेताओं, पदाधिकारियों और गली व बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं में भी जोश का माहौल बना हुआ है। जमीनी स्तर पर मिल रहे फीडबैक के आधार पर अब कांग्रेस पश्चिम यूपी के साथ-साथ पूर्वांचल के इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने का मन बनाया है और सपा को इसके लिए रजामंद करने के प्रयास भी लगातार जारी हैं।
यूपी में दस विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव, कांग्रेस पांच पर लड़ने के मूड में
यूपी में जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें करहल, मीरापुर, खैर, फूलपुर, मझवा, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ शामिल हैं। इनमें से 5 विधानसभा सीटें सपा कोटे की खाली हुई हैं तो 3 सीटें भाजपा की रिक्त हुई हैं। इसके अलावा एक सीट रालोद और एक सीट निषाद पार्टी की है। होने वाले ये उपचुनाव एनडीए और आईएनडीआईए गठबंधन दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण और साख वाले हैं। ऐसे में दोनों ही गठबंधन एक-दूसरे की सीटें कब्जा करने के फिराक में हैं और उसके लिए हर दांव चलने की तैयारी है। इसी क्रम में आईएनडीआईए गठबंधन में उपचुनाव से पहले सीट बंटवारे को भी काफी अहम माना जा रहा है। आईएनडीआईए गठबंधन के लिहाज से अहम बात यह है कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर उपचुनाव में भी आपसी समन्वय बनाकर अच्छा प्रदर्शन दिखाकर 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने गठबंधन को और मजबूत करने का मौका है। फूलपुर सीट भाजपा के विधायक प्रवीण पटेल के फूलपुर से सांसद चुने जाने के चलते खाली हुई है जबकि अलीगढ़ की खैर सीट के विधायक अनूप प्रधान हाथरस से सांसद बने हैं। गाजियाबाद सीट से भाजपा विधायक डॉ. अतुल गर्ग गाजियाबाद से सांसद बने है जबकि निषाद पार्टी के मिर्जापुर के मझवां से विधायक डा. विनोद कुमार बिंद अब भदोही से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं। रालोद के मीरापुर के विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद बन गए हैं।

यूपी में उपचुनाव के लिए कांग्रेस की डिमांड बढ़ी तो सपा ने तुरंत हामी नहीं भरी
कांग्रेस भी यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में सपा से सीटें मांग रही है। प्रदेश कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए जिन पांच सीटों का चयन किया है उनमें फूलपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, अलीगढ़ की खैर, मिर्जापुर की मझवा और गाजियाबाद सीट है। दोनों दलों में कितनी सीटों पर समझौता होगा, यह तो दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व की बैठक में ही तय होगा लेकिन उससे पहले अपने-अपने दावे-प्रतिदावे का क्रम जारी है। कांग्रेस की ओर से यूपी की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में लगातार दावेदारी की जा रही है लेकिन अभी तक सपा की ओर से उपचुनाव में कांग्रेस को गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट देने पर सहमति बनती दिख रही है। इस बाबत प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि सपा की 2022 में जीती हुई विधानसभा सीटों पर हम दावा नहीं कर रहे हैं बल्कि भाजपा और एनडीए के कब्जे वाली सीटों पर कांग्रेस की ओर से दावेदारी की रही है। साथ ही प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व ने जोड़ा है कि गाजियाबाद सीट को हम नहीं लेंगे और पार्टी पश्चिमी यूपी में मीरापुर और खैर सीट पर उपचुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पूर्वांचल में फूलपुर और मझवा सीट को लेकर भी पार्टी गंभीर है एवं अभी तक की रणनीति यही है कि होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी के हर हिस्स में आईएनडीआईए का प्रतिनिधित्व अपने पहचान से करती दिखे। इसीलिए कांग्रेस पूर्वांचल और पश्चिमी दोनों ही इलाके की सीटों पर उपचुनाव लड़ने का मन बनाए हुए है। दूसरी ओर सपा नेतृत्व कांग्रेस को मन के मुताबिक सीटें देने के मूड में नहीं दिख रहा है। उसने स्पष्ट किया है कि यूपी में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें उपचुनाव में दी जा सकती हैं जिनमें एक सीट अलीगढ़ की खैर और दूसरी गाजियाबाद सीट है। ये दोनों ही सीटें पश्चिमी यूपी की हैं और पूर्वांचल की एक भी सीट से सपा किसी दूसरे को तत्काल मौका देने का रिस्क नहीं लेना चाह रही है ताकि भाजपा की तुलना में सपा का दबदबा प्रमुखता से जनता के बीच नजर आए।
सपा की बढ़ी महत्वाकांक्षाएं – यूपी से बाहर अपना सांगठनिक विस्तार करने की तैयारी
कांग्रेस जहां दिल्ली की सत्ता के जरूरी यूपी में अपने खोए गौरव को वापस पाने की जद्दोजेहद में जुटी है तो वहीं संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में मिले आशातीत नतीजों से उत्साहित सपा नेतृत्व अब यूपी से बाहर भी अपना सांगठनिक और सियासी विस्तार की योजना को क्रियान्वित करने में जुट गया है। इसी क्रम में उसकी नजर इसी साल होने वाले हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर है। समाजवादी पार्टी उन दोनों राज्यों में अपना पैर पसारने की कोशिश में है, जिसके लिए कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करना चाहती है। उसी तैयारी को जेहन में रखते हुए यूपी में होने वाले उपचुनाव में सीट बंटवारे से पहले सपा की नजर कांग्रेस की रणनीति पर है। कांग्रेस महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सपा को हिस्सेदारी देती है तो सपा यूपी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ सकती है।