रांची: मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खूंटी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राज्य में सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की. सीएम राष्ट्रपति से कहा कि आदिवासी समुदाय के जीवन मरण से जुड़ी कुछ मांगें हैं, केंद्र सरकार से इन्हें लागू करने की अनुमति दिलाई जाय.
इनमें सरना धर्म कोड को लागू करना हो, मुंडारी और कुडुख भाषा को 8 वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग शामिल है. मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा कि आज यहां केंद्र सरकार के जनजातीय मंत्रालय के माध्यम से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. यह मंत्रालय आदिवासियों के लिए काम करता है. जनजातीय समुदाय का उत्थान कैसे हो, उनके उत्पाद को बाजार कैसे मिले यह इसी मंत्रालय का काम है.
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की
जिन आदिवासियों के संदर्भ में हमारी केंद्र और राज्य सरकार काम करती है वही आज ही आदिवासियों के आय के स्रोत को बढ़ाने की चिंता करते हैं उसका असर बहुत अच्छा दिख रहा है. यह हम कह नहीं सकते. आज भी आदिवासी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. जल जंगल जमीन की हमारी पहचान है.
आज भी आदिवासी विस्थापन का दंश खेल रहे हैं, वनों में रहने को मजबूर हैं, दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहे हैं.हमारा राज्य पूरे देश को खनिज संपदा से रौशन कर रहा है, लेकिन यहां के लोगों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कोरोना काल मे हमने देखा कैसे यहां के लाखों मजदूर पलायन करते हैं.
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति से सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की
भले ही हम वीडियो बनाकर दिखाते हैं कि हमारे यहां ये काम हो रहा है यह उत्पादन होता है लेकिन धरातल पर स्थिति अलग है. जब से अर्जुन मुंडा मंत्री बने हैं तब से इस क्षेत्र में कुछ काम दिख रहा है. उम्मीद है कि आगे भी यह दिखेगा. राज्य में 2225 स्वयं सहायता समूह हैं जिसमें 22 लाख महिलाएं जुड़ी है. वनोपज तो तैयार हो रहे हैं लेकिन किसानों को लाभ नहीं मिलता है. शहद तैयार होता है 200 रुपये किसानों को मिलता है और बाजार में 500 रुपये बिकता है.
इस असमानता को दूर करना है. सिद्धू कान्हो फेडरेशन के माध्यम से वनोपज को खरीदेंगे. जनजातीय किसानों को बाजार देंगे. वनोपज से जुड़ा प्रोसेसिंग यूनिट खोलने पर सरकार विचार कर रही है.
मुख्यमंत्री ने खूंटी में राष्ट्रपति से राज्य में सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की