रांची: शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन काफी हंगामेदार रहा. सदन से निलंबन के बाद बीजेपी विधायको ने सदन के बाहर तख्तियां लेकर सरकार की नीतियों को गलत ठहराया.
वही पांकी विधायक शशिभूषण मेहता ने cm हेमंत सोरेन को ठग की सरकार करार देते हुए कहा कि हेमंत सोरेन ने युवाओ को 5 लाख नौकरी देने के नाम पर ठगा है.
तख्तियां के माध्यम से उन्होंने कहा कि बालू ,पानी, हवा ये है प्रकृति के उपहार, इन तीनों को थानेदार से मुक्त करो हेमंत सरकार तमाम मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओ ने अपनी बातों को सदन के बाहर रखा वही दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि सरकार यहाँ पर सभी चीजों को देख रही है.
चाहे बात हो नियोजन निति की, या स्थानीय निति की, सरकार हर एंगल से अपनी नज़र इन मुद्दों पर बनाई हुई है.लेकिन कहीं ना कहीं ये राज्यपाल के पास अटक सा गया है.बीजेपी कार्यकर्ताओ ने सरकार के विरोध जमकर हल्ला बोला राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है.
हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है और राज्य संवैधानिक संकट के दौर से गुजर रहा है. हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार, चोरी, डकैती की घटनाएं हर रोज अखबारों की सुर्खियां बनी हुई हैं.
सत्ता संपोषित भ्रष्टाचार ने रिकॉर्ड बना लिया है. खान, खनिज, बालू, पत्थर, जमीन की लूट के साथ अब तो झारखंड देश के सबसे बड़े कैश कांड का गवाह बन गया है.
राज्यपाल से मांग की गई कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते अविलंब इन मामलों पर विधि-सम्मत कार्रवाई करें. इस दौरान भाजपा विधायकों ने विधानसभा में विधायकों के निलंबन का भी मामला राज्यपाल के सामने रखा.
विरंची नारायण ने सरकार का पुरज़ोर विरोध किया. उन्होंने हेमंत सोरेन की नीतियों को गलत ठहराया और कहा कि हेमन्त सोरेन ने युवाओ को 5 लाख नौकरी देने की बात कर उन्हें छलने का काम किया है.
बिरंची नारायण ने cm हेमन्त सोरेन पर तंज़ कसते हुए कहा की cm हेमंत रघुवर दास के रास्ते पर चले,1985 के जगह 1932 लाइए. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन चाहते नहीं है कि 1932 लागू हो विधायक विरंची नारायण ने कहा की उनकी आवाज़ सरकार दबा नहीं सकती, अगर उन्हें अपनी बात रखने पर सदन से बाहर किया जाता है तोह वो अपनी बात सदन के बाहर रखेंगे.
सत्ता पक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी पर लगाए गए सदन के अवमानना के आरोप को भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने दुखद बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बाबूलाल मरांडी को भाजपा का विधायक मानता है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष नहीं मानते. उन्हें चार सालों से सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है.
बिरंची नारायण ने कहा कि विधानसबा अध्यक्ष राजनीति कर रहे हैं. अध्यक्ष का जो आसन है, वह न्याय का आसन है. उन्हें सिर्फ झामुमो और कांग्रेस ने अध्यक्ष नहीं बनाया, वे सर्वसम्मत से अध्यक्ष हैं. ऐसे में उन्हें न्याय करना चाहिए, लेकिन वे प्रदीप यादव के इशारे पर काम करते हैं. प्रदीप यादव कहते हैं, स्टैंड-अप तो स्टैंड-अप, सीट डाउन तो सीट डाउन, वो कहते हैं यस तो यस, नो तो नो. बिरंची नारायण ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. सत्ता पक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी पर लगाए गए सदन के अवमानना के आरोप को भाजपा के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने दुखद बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बाबूलाल मरांडी को भाजपा का विधायक मानता है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष नहीं मानते. उन्हें चार सालों से सदन में बोलने नहीं दिया जा रहा है. बिरंची नारायण ने कहा कि विधानसबा अध्यक्ष राजनीति कर रहे हैं. अध्यक्ष का जो आसन है, वह न्याय का आसन है. उन्हें सिर्फ झामुमो और कांग्रेस ने अध्यक्ष नहीं बनाया, वे सर्वसम्मत से अध्यक्ष हैं. ऐसे में उन्हें न्याय करना चाहिए, लेकिन वे प्रदीप यादव के इशारे पर काम करते हैं. प्रदीप यादव कहते हैं, स्टैंड-अप तो स्टैंड-अप, सीट डाउन तो सीट डाउन, वो कहते हैं यस तो यस, नो तो नो.
नके मुंह में राम और बगल में छूरी’: मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि इन लोगों को राज्य की जनता से कोई लेना-देना नहीं है. अपने इसी आचरण से ये जनता को गुमराह करते हैं और राज्य को पिछड़ेपन की ओर ले गए हैं. राज्य के सभी वर्ग के लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं और इस तरह से ये अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का काम करते हैं. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री ने कहा कि इनके मुंह में राम और बगल में छूरी है. ये इसी आचरण के लोग हैं, इन पर ये कहावत चरितार्थ होती है. झारखंडी हित और अधिकार से इनका दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है.