पहली बार ट्रेन पर चढ़ी नक्सल प्रभावित क्षेत्र की लड़कियां

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर आज तमिलनाडु के लिए हुई रवाना

रांची : पहली बार ट्रेन पर चढ़ी- जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर खूंटी संसदीय क्षेत्र की

सैंकड़ों युवतियों को टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स में रोजगार का अवसर मिला है.

खूंटी, तमाड़, सिमडेगा, चाईबासा और सराईकेला खरसावां की लगभग दो हजार इंटर पास

छात्राओं का चयन टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के हुसुर (तमिलनाडु) प्लांट के लिए हुआ है.

मंगलवार को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, विधायक सीपी सिंह ने

हटिया रेलवे स्टेशन से हुसूर के लिए विशेष ट्रेन को रवाना किया.

इस अवसर पर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

पहली बार ट्रेन पर चढ़ी: विशेष ट्रेन से हुसूर के लिए रवाना

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने पिछले दिनों खूंटी, सिमडेगा, चाईबासा और सराईकेला में

कैंप लगाकर इंटर पास छात्राओं का इंटरव्यू लिया था.

कैंप में हजारों की संख्या में छात्राओं ने भाग लिया था.

जिनमें से चयनित छात्राओं का पहला जत्था लगभग 1000 छात्राएं विशेष ट्रेन से हुसूर के लिए रवाना हुई.

ये सभी लड़कियां नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आती हैं, जो पहली बार ट्रेन पर चढ़ी.

लड़कियों ने कहा कि ट्रेन पर चढ़कर बहुत अच्छा लग रहा है. क्योंकि इससे पहले कभी ट्रेन पर सफर नहीं किया.

ट्रेनिंग के बाद मिलेगी नौकरी

खूंटी के सांसद सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि इन क्षेत्रों में रोजगार के लिए

पलायन एक बड़ी समस्या है. सबसे अधिक ट्रैफिकिंग इस क्षेत्र में होता है.

इसलिए टाटा समूह के उच्चाधिकारियों से बात कर इंटर पास युवतियों को कौशल विकास के साथ रोजगार उपलब्ध कराने की बात हुई. कंपनी इन युवतियों को एक साल का ट्रेनिंग देने के बाद नौकरी देगी. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें कंपनी द्वारा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. मुंडा ने कहा कि टाटा समूह से जुड़ने का छात्राओं के लिए यह एक शानदार अवसर है.

पहली बार ट्रेन पर चढ़ी: 1987 आदिवासी बेटियों को टाटा ने दी नौकरी

बता दें कि नक्सलवाद का दंश झेल रहे झारखंड के चार जिलों खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और सिमडेगा जिले की 1984 आदिवासी बेटियां स्वावलंबी बनेंगी. इनका चयन तमिलनाडु के हुसुर स्थिति टाटा समूह की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने किया है. 2600 लड़कियों में से 1984 का चयन हुआ. इसमें खूंटी की 428, सरायकेला-खरसावां की 152, सिमडेगा की 891 और चाईबासा की 513 लड़कियां शामिल हैं.

रिपोर्ट: मदन सिंह

Share with family and friends: