डिजिटल डेस्क : अमेरिका में Donald Trump के शपथ ग्रहण का काउंटडाउन शुरू, भारत समेत दुनिया पर होगा असर। अमेरिका के व्हाइट हाउस में Donald Trump की ताजपोशी का काउंटडाउन शुरू हो गया है। अब से कुछ ही घंटो में दूसरी बार Donald Trump अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने जा रहे हैं और अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।
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Donald Trump के शपथ ग्रहण के बाद उनकी ओर से लिए जाने वाले फैसलों पर पूरी दुनिया की नजर है। सिर्फ इतना ही नहीं उनकी विदेश नीति कई देशों की नियति भी तय करेगी क्योंकि पूरी दुनिया जानती है कि ट्रंप कब क्या कर दें कोई नहीं जानता। माना जा रहा है कि न केवल भारत बल्कि दुनिया के सभी प्रमुख देशों पर इस ताजपोशी का असर दिखेगा।
वैश्विक उथलपुथल के दौर में Donald Trump की सत्ता में हुई वापसी
अमेरिका की सत्ता में Donald Trump की वापसी ऐसे दौर में हो रही है जब दुनिया के कई हिस्सों में उथल पुथल मची हुई है। मिडिल ईस्ट के कई देश आपस में उलझे हुए हैं तो करीब तीन साल से यूक्रेन और रूस एक दूसरे पर गोले दाग रहे हैं। ऐसे में Donald Trump का हर एक फैसला अमेरिका की विदेश नीति को नए सिरे से परिभाषित करेगा।
शपथ ग्रहण के ठीक बाद लिए जाने वाले उनके फैसलों में इस बात की झलक मिल जाएगी कि कौन उनका दोस्त है और कौन दुश्मन है। हालांकि Donald Trump का यह दूसरा कार्यकाल होगा लेकिन इस बार उनका ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा ना केवल अमेरिकी नीतियों में बड़ा बदलाव लाएगा बल्कि वैश्विक राजनीति, कूटनीति, व्यापार और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर भी गहरा असर डालेगा।
Donald Trump के दूसरे कार्यकाल के शुरूआती संकेत से ही साफ है कि अमेरिका और बाकी दुनिया को एक नई रणनीतिक दिशा में आगे बढ़ना होगा।

अमेरिका के घरेलू फ्रंट के साथ रूस – चीन के संबंधों में भी दिखेगा इस ताजपोशी का असर
अमेरिका की सत्ता में Donald Trump की वापसी का असर न केवल अमेरिका के घरेलू फ्रंट में बल्कि वैश्विक स्तर पर दिखना लाजिमी है। घरेलू फ्रंट पर Donald Trump प्रशासन घरेलू उद्योगों और नौकरियों को प्राथमिकता देगा। यह नीति अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में हो सकती है लेकिन इसका वैश्विक व्यापार पर गंभीर असर होगा।
अपने ‘मेड़ इन अमेरिका’ नीति के तहत Donald Trump विदेशी आयातों पर विभिन्न तरह के शुल्क थोप सकते हैं और अमेरिकी कंपनियों को घरेलू उत्पादन पर ज़ोर देने के लिए दवाब दे सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को राहत देते हुए बड़े पैमाने पर कर कटौती और बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाएगा। इससे विदेशी निर्यात और बाहर से गये प्रोफेशनल्स के लिए चुनौती हो सकती है।
Donald Trump की इमिग्रेशन पॉलिसी विशेषकर एच1बी वीजा नियमों से प्रवासियों और विशेष रूप से भारतीय आईटी पेशेवर प्रभावित होंगे। इसी क्रम में रूस के साथ ट्रंप शासनकाल में संबंध बेहतर होने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध में ट्रंप ने युद्ध बंद करने का पहले ही ऐलान किया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन से जल्द ही मुलाकात की भी तैयारी चल रही है।

अगले कुछ समय तक अमेरिका और रूस के बीच संबंध को सुधारने पर ही ज़ोर दिया जाने वाला है। Donald Trump के इन कदमों से अमेरिका और नाटो सदस्य देशों में मतभेद खुलकर सामने आएंगे। दूसरी ओर, चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए Donald Trump ने निजी तौर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने शपथ ग्रहण का न्योता भेजा था। Donald Trump चीन के साथ नई शुरुआत करना चाहते है।
माना जा रहा है कि चीन ने भले ही उपराष्ट्रपति को शपथ ग्रहण में शामिल होने भेजा है लेकिन चीन के साथ यह हनीमून का समय लंबा नहीं चल सकेगा। चीन के साथ व्यापार और ताइवान के मुद्दे पर Donald Trump का रुख सख्त होता जाएगा और इससे एशिया में राजनयिक स्थिरता पर संकट बना रहेगा।
Donald Trump के शासनकाल में सबसे अधिक बदलाव अमेरिका का यूरोप और नाटो के साथ दिखाई देगा। Donald Trump अपने नाटो सहयोगियों पर अधिक आर्थिक बोझ उठाने का दबाव बनाएंगे जिससे यूरोप और अमेरिका के संबंध कमजोर हो सकते हैं। जर्मनी, फ्रांस जैसे बड़े यूरोपीय देश अमेरिकी नीतियों से असहज हो सकते हैं।

Donald Trump के नए कार्यकाल का भारत से रिश्ते सहित अन्य क्षेत्रों में भी दिखेगा अहम बदलाव…
इसी क्रम में भारत और अमेरिका के संबंधों पर Donald Trump प्रशासन का सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा लेकिन कुछ चुनौतियां भी बनी रहेगी। सकारात्मक पहल के तहत भारत और अमेरिका में रक्षा, तकनीक, आतंकवाद के मुद्दों पर पारस्परिक सहयोग देखने को मिलेगा। चीन की बढ़ती ताकत के खिलाफ अमेरिका, भारत को एक मजबूत साझेदार के रूप में देख सकता है।
माना जा रहा है कि पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ भी Donald Trump का रुख भारत के पक्ष में रहेगा। Donald Trump शासनकाल में भारत की चुनौतियां एच1बी वीज़ा नियमों को लेकर देखने को मिल सकती है। अमेरिका में भारतीय पेशेवरों के लिए नौकरी बनाये रखना या नई नौकरी पाना मुश्किल हो सकता है। Donald Trump की अमेरिकी उद्योग जगत को दी जाने वाली संरक्षणवादी नीतियों का असर भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी पड़ सकता है।
Donald Trump के शपथ ग्रहण से पहले ही इजरायल-हमास डील ने ट्रंप के आने के बाद होने वाले बदलाव की झलक दिखा दी है। Donald Trump ईरान के साथ सख्ती से पेश आ सकते हैं और आने वाले दिनों में ट्रंप खुलकर इजरायल का समर्थन करते दिखाई देगें। इससे मध्य-पूर्व में नया विवाद जन्म ले सकता है।