डिजीटल डेस्क : डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा – मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं । बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति वर्ष 2025 में 20 जनवरी को अपने दूसरा कार्यकाल शुरू करने से पहले डोनाल्ड ट्रंप वैश्विक राजनीति के लिहाज अहम घोषणा की है।
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आर्थिक, रणनीतिक और कूटनीतिक मोर्चों पर. कूटनीति और रणनीति के मोर्चे पर अपने दूसरे कार्यकाल में रहने वाली नीतियों को लेकर भी डोनाल्ड ट्रंप ने अहम बाते कही हैं।
राष्ट्रपति पद के लिए संपन्न हुए चुनाव के बाद अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने कहा कि – ‘मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं, अब कोई जंग नहीं होने देंगे। …अपने पिछले कार्यकाल के दौरान 4 साल में कोई जंग नहीं लड़ी। हालांकि आईएसआईएस को हराया था’।
रूसी क्षेत्र से अपनी सेना वापस बुलाएगा यूक्रेन, की घोषणा
अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति पद पर आसीन होने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी जीत के बाद इस पहले संबोधन का असर वैश्विक स्तर पर तत्काल दिखा है। इस भाषण के कुछ देर बाद ही यूक्रेन के आर्मी चीफ ने ऐलान किया कि वो रूस के क्षेत्र से अपनी सेना का वापस बुलाएंगे।
यूक्रेन के एक सांसद के जरिए ये जानकारी सामने आई है। इसे यूक्रेन की ओर से रूस से जंग खत्म करने के लिए पहला कदम माना जा रहा है। यूक्रेन ने रूस के जिस क्षेत्र से सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया है वो है कुर्स्क है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के खात्मे के लिए डोनाल्ड ट्रंप के खुले विकल्प आए सामने…
इस बीच अचानक बने नए हालात में रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच समाधान संबंधी डोनाल्ड ट्रंप के संभावित विकल्पों की चर्चा होने लगी है। बताया जा रहा है कि जारी युद्ध के क्रम में यूक्रेन के 65400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर रूस का कब्जा हो चुका है। इनमें क्रीमिया, लुहांस्क, जेपोरिजिया, डोनेस्क, खेरसोन आदि शामिल हैं।
युद्ध को रुकवाने या खत्म करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप के वैकल्पिक समाधान के रूप में जो कुछ सामने आया है, उसके मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप जीते हुए इलाके का कुछ हिस्सा रूस को देने के पक्षधर हैं जबकि जीते हुए इलाके के कुछ हिस्से रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन छोड़ने पर सहमत होने का संकेत अप्रत्यक्ष तौर पर देते रहे हैं।

31 महीनों से जारी रूस और यूक्रेन के बीच की जंग के अब खत्म होने की आस….
डोनाल्ड ट्रंप के पहले संबोधन के बाद यूक्रेन का यह कदम काफी कुछ बना कहे ही बयां करने के लिए काफी है। इस बीच यूक्रेन ने अपने ताजा ऐलाना के साथ ही दावा करते हुए कहा है कि कुर्स्क क्षेत्र में रूस ने तीन महीने में 20 हजार से अधिक कर्मियों को खो दिया है। कुर्स्क वह क्षेत्र है जहां पर हाल में उत्तर कोरिया के सैनिकों को भी रूस के समर्थन में उतरना था।
बीते 4 नवंबर को अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था, कुर्स्क क्षेत्र में लगभग 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिक युद्ध अभियान में शामिल हो सकते हैं। उसी दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था कि कुर्स्क क्षेत्र में 11,000 उत्तर कोरियाई सैनिक पहले से ही मौजूद हैं।
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जंग 24 फरवरी, 2022 से चल रही है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ जंग की शुरुआत हुई थी। इस युद्ध को 31 महीने हो गए हैं। ट्रंप यूक्रेन पर रूस के हमले के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ठीकरा फोड़ कर चुनाव जीते हैं और इसके अलावा वह नाटो पर भी निशाना साधते रहे हैं।

चुनाव जीतने से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को शीघ्र समाप्त कराने का किया था वादा…
चुनाव जीतने से पहले ट्रंप ने दावा किया था वह रूस-यूक्रेन युद्ध को शीघ्र समाप्त कर सकते हैं। ऐसे में जेलेंस्की के लिए युद्ध जारी रखना आसान नहीं है क्योंकि ट्रंप रूस के साथ समझौता करने के लिए दबाव डालेंगे, ऐसा अपने पहले संबोधन में साफ कह चुके हैं।
माना जा रहा है कि यूक्रेन पर युद्ध समाप्ति के लिए जेलेंस्की पर रियायतें देने का दबाव बढ़ सकता है एवं रूस और अमेरिका के संबंधों में संभावित सुधार के चलते युद्ध के समीकरण बदल सकते हैं और ऐसे में यूक्रेन को युद्ध विराम के लिए समझौता करना पड़ सकता है।
इसकी वजहें भी साफ हैं। नाटो का सदस्य होने के नाते इसके अन्य सदस्यों की मदद के लिए आगे आना अमेरिका का दायित्व है। नाटो के अनुच्छेद 5 के अनुसार यदि कोई देश किसी नाटो सदस्य पर हमला करता है तो वह सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है। अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ भी ऐसी ही संधियां कर रखी हैं।
अमेरिका के नेतृत्व में नाटो ने रूस से जारी युद्ध में यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है। इसके विपरीत ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह यूक्रेन को दी जा रही मदद रोक देंगे और कीव पर दबाव बनाएंगे कि वह रूस की शर्तों के अनुसार शांति प्रक्रिया अपनाए।
ट्रंप बड़े-बड़े संगठनों को ताकत व प्रभाव दिखाने के मंच के रूप में देखने के बजाय खतरे की वजह और बोझ मानते हैं। माना जा रहा है कि यूक्रेन को अमेरिका से मिलने वाली मदद में कमी आ सकती है। नाटो को ये डर पहले से रहा है कि अगर ट्रंप जीते, तो अमेरिका से नाटो को मिलने वाले बजट में बड़े पैमाने पर कटौती होगी।
ट्रंप की जीत के बाद नटो में शामिल यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ेगा। नाटो के कुल 32 में से 9 देशों के लिए मुश्किल हो सकती है, जो अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो में खर्च नहीं करते।
बताया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप जर्मनी से अपनी 12000 सैनिकों की फोर्स हटाने पर विचार कर सकते हैं। ट्रंप जर्मनी में अपना मिलिट्री बेस दूसरी जगह शिफ्ट कर सकते हैं। ट्रंप जर्मनी से अपना आर्टिलरी बेस भी हटा सकते हैं।