रांची: झारखंड के 81 विधानसभा सीटों में कांग्रेस पार्टी को एक असामान्य चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व द्वारा टिकट के लिए मांगे गए आवेदनों में तीन सीटों—बरहेट, तमाड़ और देवघर—के लिए एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। यह स्थिति कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इन सीटों पर दावेदारी की कमी को लेकर सवाल उठाए हैं।
प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, इस स्थिति का मुख्य कारण यह हो सकता है कि ये सीटें पार्टी के लिए रणनीतिक दृष्टि से कमजोर मानी जा रही हैं। वहीं, जिन सीटों पर कांग्रेस का मजबूत आधार है, जैसे धनबाद, पूर्वी सिंभू, हटिया (रांची), और अन्य महत्वपूर्ण सीटों पर दावेदारों की लंबी फेहरिस्त देखी जा रही है।
धनबाद सीट पर सबसे ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि हटिया, रांची, बुकारो और जमशेदपुर पूर्वी सीटों पर भी दावेदारों की संख्या ज्यादा है। दूसरी ओर, घाटशिला सीट पर केवल एक ही आवेदन मिला है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जहां पार्टी के विधायक मौजूद हैं, वहां से अधिक आवेदन आए हैं, जबकि नई सीटों पर दावेदारों की कमी देखी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह स्थिति कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
यदि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना पड़ा, तो इन तीन सीटों पर उम्मीदवार की कमी एक बड़ी समस्या हो सकती है। विशेष रूप से देवघर सीट पर कोई आवेदन नहीं आना, जो कि पूर्ववर्ती गठबंधन सरकार की एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है, कांग्रेस के लिए चिंताजनक है।
प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि गठबंधन की सरकार में शामिल होने के कारण इन सीटों पर दावेदारों की कमी हो सकती है। पार्टी का मानना है कि मुख्यमंत्री खुद इन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकते हैं, और गठबंधन के अंदर सहयोग बनाए रखते हुए चुनावी रणनीति बनाई जा रही है।
कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व को उम्मीद है कि उम्मीदवारों की कमी के बावजूद पार्टी इन सीटों पर प्रभावी ढंग से चुनावी तैयारी कर सकेगी और चुनावी रणनीति को सुदृढ़ बना सकेगी। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और आगामी चुनावों में अपनी स्थिति को कैसे मजबूत करती है।