Bokaro-झारखंड में भाषा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा. पहले मगही, भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं किए जाने पर राजनीति गरमायी और जब इसे इंटरमीडिएट स्तर की परीक्षाओं में कई जिलों में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है, तब इसके विरोध की खबरें भी आनी शुरु हो गयी है.
ताजा मामला बोकारो का है. नया मोड़ में झारखंडी भाषा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले सरकार के खिलाफ प्रर्दशन किया गया.
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि मगही और भोजपुरी को दूसरे जिलों में शामिल नहीं किया है, जबकि इन भाषाओं को बोकारो जिले में क्षेत्रीय भाषा में शामिल कर दिया गया. वक्ताओं ने इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने का विरोध करते इसे वापस लेने की मांग की और कहा कि यदि इसे वापस नहीं लिया जाता तब जोरदार आन्दोलन किया जाएगा. इस भाषाओं को कभी भी क्षेत्रीय भाषा के रुप में शामिल करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
आन्दोलनरत युवाओं का कहना था कि तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी स्थानीय निवासियों को ही मिलना चाहिए , हमें 75 फीसद आरक्षण नहीं बल्कि 100 फीसद आरक्षण चाहिए और यह तभी संभव है जब इन भाषाओं को स्थानीय भाषा की श्रेणी से हटाया जाए.