कोलकाता : पश्चिम बंगाल राज्य लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही चुनाव आयोग की रडार पर बना हुआ है। पहले बड़ी संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित कराई गई और उसके बाद से हर सशंकित बिंदुओं का आकलन करते हुए सतत कार्रवाई जारी है। इसी क्रम में सोमवार को राज्य निर्वाचन कार्यालय ने आयोग की ओर से मुर्शिदाबाद के डीआईजी एस. मुकेश को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। साथ ही राज्य सरकार से सायं पांच बजे तक इस पद के लिए तीन वैकल्पिक नाम सुझाने को कहा ताकि उनमें से एक की तत्काल वहां नियुक्ति की जा सके।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने की थी आयोग से शिकायत
राज्य के मुख्य सचिव को चुनाव आयोग ने भेजे पत्र में इस बारे में जानकारी दी है। इस पत्र में आयोग ने अपने फैसले पर राज्य सरकार को तुरंत क्रियान्वयन करने को कहा है। बताया जा रहा है कि मुर्शिदाबाद के डीआईजी के बारे में बहरामपुर से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह डीआईजी राज्य के सत्तारूढ़ दल के लिए काम कर रहे हैं। उसी को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने यह ताजा कार्रवाई की है। आयोग ने राज्य सरकार को हिदायत दी है कि मुर्शिदाबाद के डीआईजी पद से हटाए गए अधिकारी को किसी भी रूप में निर्वाचन प्रक्रिया से जुड़े कामकाज में तैनात न किया जाए।
पहले पुलिस महानिदेशक और चार डीएम भी हटाए गए
इससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार को हटाया था। उस समय भी आयोग ने राज्य सरकार से नए पुलिस महानिदेशक पद के लिए तीन नामों का विकल्प मांगा था। तब राज्य सरकार ने आईपीएस विवेक सहाय, संजय मुखर्जी और राजेश कुमार का नाम सुझाया था। उसमें पहले विवेक सहाय को आयोग ने जिम्मेदारी दी लेकिन बाद में उन्हें भी बदलते हुए संजय मुखर्जी को चुनाव प्रक्रिया तक के लिए राज्य का पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया था। यही नहीं, आयोग ने राज्य के चार जिलों के डीएम को बदलने का निर्देश दिया था क्योंकि वे चारों ही अधिकार आईएएस नहीं थे। उन जिलों में पूर्व मिदनापुर, पूर्व बर्दवान, झाड़ग्राम और वीरभूम शामिल हैं।