Russia Ukraine War : मौत का मंजर देख यूक्रेन से लौटी निधि, आज भी डराती है यादें
कटिहार : Russia Ukraine War : मौत का मंजर देख यूक्रेन से लौटी निधि, आज भी डराती है यादें- यूक्रेन के
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खारकीव से मेडिकल छात्रा निधि झा अपने घर लौट आयी हैं.
लेकिन मेडिकल छात्रा के आंखों में अब भी उस दहशत का मंजर है.
जिसे याद कर कर वह सिहर उठती हैं. मगर इन सबके बीच आगे अब
उसे अपने डॉक्टर बनने के सपना को पूरा होने की अलग ही डर सता रहा है.
जहां देखो युद्ध का खौफनाक मंजर है. इमारतें धराशायी हो चुकी हैं.
मेडिकल छात्रा ने बताया कि सड़कों, इमारतों पर बमबारी और मिसाइल हमलों के निशान हैं. खारकीव में हम और हमारे साथी जान जोखिम में डालकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे. उन्होंने कहा कि अपने वतन से अच्छी जगह दुनिया में कहीं नहीं है. न जाने कितने छात्र-छात्राएं अभी भी वहां फंसे हुए हैं. भगवान उनकी हिफाजत करे, बस यही कामना है. युद्ध की आग में जलते यूक्रेन से सकुशल अपने घर लौटे कटिहार के छात्रा ने रोंगटे खड़े कर देने वाले कुछ ऐसे ही अनुभव साझा किए.
ट्रेन में खड़े होकर पोलैंड बॉर्डर तक पहुँची थी निधि
निधि कहती हैं कि जीवन के वह 19 घंटा जिसमें वह मौत का मंजर का सामना करते हुए ट्रेन में खड़े होकर पोलैंड बॉर्डर तक पहुंची थीं. वह उसे कभी नहीं भूल पाएंगे. हालांकि निधि कहती हैं कि पोलैंड बॉर्डर में आने के बाद भारत सरकार के मंत्री वीके सिंह उन लोगों का साथ मिलकर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने आगे की सफर से जुड़े तमाम व्यवस्था करते हुए आगे की मेडिकल की पढ़ाई अगर यूक्रेन में संभव नहीं होता है तो यूरोपियन कंट्री में ही पूरा करवाने का आश्वासन दिए हैं.
राजद के वरिष्ठ नेता ने की मुलाकात
ऐसे में घर लौट आई निधि और उनके परिजन उनके डॉक्टर बनने के सपनों को पूरा करने के लिए भारत सरकार से सहयोग करने के साथ-साथ भारत में ही ऐसी व्यवस्था विकसित करने की मांग कर रहे हैं. जिसके सहारे बगैर डोनेशन के देश के बच्चे देश में ही डॉक्टर बनकर देश की सेवा कर सके. वहीं निधि से मिलने आये राजद के वरिष्ठ नेता समरेंद्र कुणाल ने देश में चल रहे मेडिकल पढ़ाई की लचर व्यवस्था पर सरकार पर जमकर बरसे.
रिपोर्ट: श्याम